अब रैलियों की जगह AI और डीप फेक, बंगाल में पार्टियों के लिए तैयार कर रहा चुनावी मैदान
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया लगातार विकसित होती रही है, ठीक उसी तरह जैसे मतपेटियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों तक.
Bengal Lok Sabha Elections 2024: भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को साल 1952 में देश के पहले आम चुनावों के दौरान महिला मतदाताओं की अंगुली पर अमिट स्याही लगाने के लिए राज्य के कई मतदान केंद्रों पर युवा लड़कों की मदद लेनी पड़ी थी. ऐसे ही एक युवा वॉलिंटियर प्रसिद्ध शिक्षाविद् पाबित्र सरकार थे. मिदनापुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खड़गपुर के एक मतदान केंद्र में उस समय 15 वर्षीय वॉलिंटियर रहे सरकार ने बताया कि यह व्यवस्था कुछ महिला मतदाताओं के मन में किसी वयस्क द्वारा उनकी अंगुली छूने को लेकर पैदा हुई झिझक को दूर करने के लिए की गई थी. वहां से लेकर थीम आधारित मॉडल मतदान केंद्रों तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया लगातार विकसित होती रही है, ठीक उसी तरह जैसे मतपेटियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों तक.
मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर लोकसभा क्षेत्र में आदर्श मतदान केंद्र के रूप में सजाए गए महारानी काशीश्वरी गर्ल्स हाई स्कूल मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारियों ने मतदाताओं को पीले गुलाब भेंट किए. माता-पिता के साथ आए बच्चों को खिलौने और टॉफियां दी गईं. टेंट के नीचे बैठने की व्यवस्था की गई और ठंडा पानी पिलाया गया. चार मतदान केन्द्रों वाले पूरे परिसर को गुब्बारों और अन्य सजावटी वस्तुओं से रंग-बिरंगे ढंग से सजाया गया था. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि मतदान के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए राज्य भर में पहली बार ऐसे मॉडल केंद्र स्थापित किए गए हैं.
निर्वाचन क्षेत्र के रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के उम्मीदवार प्रोमथेश मुखर्जी, जो मतदान केंद्र पर मतदाता भी थे, ने कहा कि यहां मतदान करना एक सुखद अनुभव था. यह ईसीआई की एक बहुत अच्छी पहल है. यह परिवर्तन राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों द्वारा प्रचार एवं चुनाव प्रबंधन में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है. रोड शो, रैलियां, नुक्कड़ सभाएं, घर-घर जाकर प्रचार करने के पारंपरिक तरीकों के समानांतर पार्टियों ने अपने अभियान को साइबरस्पेस पर भी ले जाया, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल ने डिजिटल प्रचार को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया है.
बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य 4 मई को माकपा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने पतले होते भूरे बालों और ट्रेडमार्क सफेद कुर्ता और धोती में दिखाई दिए. वह एक वीडियो में मतदाताओं से अपील करते देखे गए कि याद रखें, टीएमसी शासन के दौरान बंगाल में भाजपा खूब फली-फूली. नरेंद्र मोदी कौन हैं? ममता बनर्जी कौन हैं? उन्हें हमारे राज्य और देश को बर्बाद न करने दें. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार और राज्य की तृणमूल सरकार दोनों पर निशाना साधा और तृणमूल पदाधिकारियों द्वारा महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से लेकर चुनावी बांड के जरिए भ्रष्टाचार तक के मुद्दों पर बात की.
बीमार पूर्व मुख्यमंत्री ने आखिरी बार फरवरी 2019 में चुनाव प्रचार के लिए सार्वजनिक रूप से उपस्थिति दर्ज कराई थी. तब से, उनके स्वास्थ्य ने उन्हें चुनाव प्रचार से दूर रखा है. हालांकि, पार्टी नेताओं का मानना है कि उनकी उपस्थिति वाम मोर्चे की चुनावी संभावनाओं को मजबूत कर सकती थी. खासकर ऐसे समय में जब इसने औद्योगीकरण की कमी, बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बना लिया है. पार्टी ने उनकी अनुपस्थिति की भरपाई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके उन्हें 'पुनः निर्मित' करके करने की कोशिश की. पार्टी ने घोषणा की कि ऑडियो और वीडियो एआई द्वारा निर्मित थे.
सीपीआई (एम) भी सोशल मीडिया पर अपने अभियान के लिए एआई-जनरेटेड एंकर समता का उपयोग कर रही है. जो उस पार्टी के लिए परिवर्तन की दिशा में एक बड़ी छलांग है, जिसने 1970 के दशक में बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में कंप्यूटरों के उपयोग का विरोध किया था. हालांकि, माकपा बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए एआई का उपयोग करने वाली पहली पार्टी है. लेकिन क्लोन अवतार तैयार करना और यहां तक कि चुनाव प्रचार को धार देने के लिए मृत नेताओं को पुनर्जीवित करना एक नया आउटरीच टूल बन गया है.
प्रौद्योगिकियों की सहायता से विकसित एनिमेटेड वीडियो और सिंथेटिक सामग्री का उपयोग साइबर स्पेस पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए विभिन्न दलों द्वारा व्यापक रूप से किया जा रहा है. इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि वायरल डिजिटल सामग्री तेजी से प्रमुखता प्राप्त कर रही है. बंगाल में इस चुनाव में सबसे तीखी बहस एक स्टिंग वीडियो की प्रामाणिकता को लेकर है. वीडियो में संदेशखली में भाजपा के बूथ अध्यक्ष गंगाधर कायल को यह कहते हुए सुना गया कि टीएमसी नेताओं द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के इशारे पर गढ़े गए हैं.
स्थानीय भाजपा पदाधिकारी को अपुष्ट वीडियो में यह कहते हुए सुना गया कि संदेशखली में एक घर में बंदूकें रखी गई थीं और बाद में उन्हें केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जब्ती के रूप में दिखाया गया. वीडियो जारी करते हुए टीएमसी ने अधिकारी पर बंगाल को बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां गढ़ने का आरोप लगाया. कायल ने सीबीआई को दी गई लिखित शिकायत में दावा किया कि वीडियो पूरी तरह फर्जी है और लोगों को गुमराह करने के लिए एआई का उपयोग करके उनकी आवाज में बदलाव किया गया है.
एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मतदाताओं से कहा कि टीएमसी की बजाय भाजपा को वोट देना बेहतर है. बाद में पता चला कि यह वीडियो फर्जी था. अच्छा हो या बुरा; असली हो या नकली, राज्य ने चुनावों का ऐसा डिजिटलीकरण कभी नहीं देखा. कृष्णानगर में दो मंजिला इमारत में स्थित टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा के मुख्य प्रचार कार्यालय की एक झलक डिजिटल बदलाव को दर्शाती है. ग्राउंड फ्लोर पर बने दो कमरे कॉल सेंटर जैसे लग रहे थे. इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी के शोधकर्ताओं की एक टीम उनके डिजिटल अभियान को संभाल रही थी. उनके आउटरीच अभियान की एक प्रमुख विशेषता एआई चैट बॉक्स के माध्यम से मतदाताओं से सीधा संवाद करना था.
टीएमसी नेता से जुड़े आईएसडी शोधकर्ताओं में से एक एज्रा मोहंता ने द फेडरल को बताया कि हमने क्यूआर कोड वाले पर्चे बांटे. कोड को स्कैन करके, कोई भी व्यक्ति सीधे एआई चैट बॉक्स के माध्यम से उनसे जुड़ सकता है. महुआ मोइत्रा के आउटरीच अभियान की एक प्रमुख विशेषता एआई चैट बॉक्स के माध्यम से मतदाताओं से सीधा संवाद करना था. कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड का उपयोग करके चैट बॉक्स से जुड़ सकता था.
बंगाल में भाजपा के मीडिया सह-प्रभारी कालीचरण शॉ ने कहा कि डिजिटल अभियान निस्संदेह प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदाताओं तक पहुंचने में बड़ी मदद करता है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का अभियान पारंपरिक और डिजिटल दोनों तरह के अभियानों का मिश्रण है. वरिष्ठ पत्रकार आशीष बिस्वास, जिन्होंने कई दशकों तक चुनावों को कवर करते हुए इस बदलाव को करीब से देखा है, ने कहा कि एआई के बढ़ते उपयोग के साथ डिजिटल चुनाव प्रचार भी परंपरा से आगे बढ़ रहा है, जिससे भारतीय लोकतंत्र में गतिशीलता स्पष्ट है.