सिर्फ कागज पर महिला शक्ति, दो चरण के चुनाव में सिर्फ इतनों पर भरोसा
महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर राजनीतिक दल बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं. लेकिन 2024 आम चुनाव के पहले और दूसरे चरण में उनके दावों की पोल खुद ब खुद खुल रही है.
Women Candidates in Lok Sabha Election 2024: आम चुनाव 2024 के दो चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है, कुल 190 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव संपन्न हो चुके हैं, राजनीतिक दल गुणा- गणित कर अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. एनडीए को उम्मीद है कि दो चरणों में 100 के पार. बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह भी इस दावे को दोहरा चुके हैं. वहीं इंडिया गठबंधन भी 100 पार का दावा कर रहा है. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पहला और दूसरा चरण तो पार्टी के नाम रहा. लेकिन यहां हम बात करेंगे कि उन सभी राजनीतिक दलों की जो महिला सशक्तीकरण की बात तो करते हैं. लेकिन पहले और दूसरे चरण में उन्होंने महिलाओं पर कितना भरोसा किया.
पहले-दूसरे चरण में सिर्फ 8 फीसद महिला उम्मीदवार
पहले और दूसरे चरण के चुनाव में कुल 1618 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें से महिलाएं सिर्फ आठ फीसद हैं. पहले चरण के चुनाव में 135 और दूसरे चरण के चुनाव में 100 महिला उम्मीदवार. यानी कि दो फेज में मिलाकर सभी राजनीतिक दलों ने सिर्फ 235 पर भरोसा जताया. पहले फेज में तमिलनाडु में महिला उम्मीदवारों की संख्या(76) टॉप पर थी दूसरे राज्य पीछे रहे. वहीं दूसरे चरण में केरल में 24 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में थीं. बीजेपी ने जहां 69 महिलाओं को मौका दिया वहीं कांग्रेस ने 44 महिला उम्मीदवारों में भरोसा जताया.
क्या है लोगों की राय
इस विषय पर लोगों से बात करने की द फेडरल भारत की टीम ने बात करने की कोशिश की. बातचीत में हमने शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मूड को समझने की कोशिश की, ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी में रहने मोहन सिंह का कहना था कि अजी यह तो सिर्फ दिखावे वाली बात है. उनके जवाब में बेरुखी थी. वो स्पष्ट तौर पर कह रहे थे कि राजनीतिक दल महिलाओं के विषय में बड़ी बड़ी बात तो करते हैं कि लेकिन सच यह है कि जमीनी स्तर पर उन्हें भी लगता है कि वर्तमान समय में भी महिलाएं बेहतर तरीके से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं. शहरी इलाके में रहने वाले मोहन के जवाब के बाद हमने सुत्याना गांव के राहुल से पूछा कि उनकी राय क्या है. वो तो एक झटके में बोल गए कि महिलाओं की जगह तो अभी भी चूल्हे तक सीमित है. जब उनसे पूछा गया कि मथुरा से हेमामालिनी को टिकट एक दो नहीं बल्कि तीसरी बार मिला तो जवाब यह था कि सभी महिलाएं तो हेमामालिनी नहीं हो सकतीं.
पहला चरण (21 राज्य)
19 अप्रैल को पहले चरण में कुल 102 सीटों पर मतदान कराए गए थे. यूपी की 8, बिहार की 4, तमिलनाडु की 39, मध्य प्रदेश की 6. असम की 5, महाराष्ट्र में पांच, राजस्थान की 12, मणिपुर में 2, अरुणाचल में 2, मेघालय में 2 छत्तीसगढ़, सिक्किम, अंडमान निकोबार, पुडुचेरी, नागालैंड मिजोरम की एक एक सीट पर मतदान हुआ था.
दूसरा चरण
26 अप्रैल को कुल 88 सीटों पर मतदान कराए गए. केरल की 20 सीट, राजस्थान की 13 सीट, यूपी की 8 सीट, कर्नाटक की 14 सीट, मध्य प्रदेश की 6, असम, बिहार में पांट सीट, पश्चिम बंगाल में 3, मणिपुर, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर में एक एक सीट पर वोटिंग हुई थी.
2019 के मुकाबले मतदान में कमी
इन दोनों चरणों की खासियत यह रही कि 2019 की तरह मतदाता फर्स्ट डिविजन में पास तो हुए लेकिन मतदान का प्रतिशत कम रहा. पहले चरण में मतदान का प्रतिशत 64 फीसद था जबकि 2019 में यह आंकड़ा 70 फीसद था.दूसरे चरण में करीब 66 फीसद मतदान हुआ जबकि 2019 में मतदान का प्रतिशत 69 फीसद था.