
याद रहेगा आम चुनाव 2024 का प्रचार अभियान, पक्ष और विपक्ष दोनों ने गढ़े कई जुमले
आम चुनाव 2024 का नतीज जिस किसी भी गठबंधन के पक्ष में उसका फैसला तो 4 जून को होगा. लेकिन प्रचार के दौरान जिस तरह से नेताओं ने जुमलों का इस्तेमाल किया उससे राजनीतिक तापमान जरूर बढ़ गया.
Loksabha Election 2024: देश की 140 करोड़ जनता को अब औपचारिक नतीजों का ऐलान है. वैसे तो एग्जिट पोल के आंकड़ों में एनडीए की बल्ले बल्ले है. लेकिन वो सिर्फ अनुमान है. चार जून को नतीजों का ऐलान चुनाव आयोग करेगा.लेकिन यहां हम बात कुछ अलग करेंगे. सात चरणों के चुनाव में नेताओं ने मतदाताओं की दिल में उतरने की भरपूर कोशिश की. जोश में होश एक किनारे लगा. नए नए जुमले गढ़े गए. शिकायत निर्वाचन आयोग तक पहुंची बावजूद उसके भाषाई मर्याटा टूटी. सियासी दलों को इस बात से कोई मतलब नहीं कि वो क्या कह रहे हैं, अगर किसी ने किसी दल से सवाल पूछा तो जवाब यही कि यही सवाल हमारे विरोधी से क्यों नहीं करते.
विषगुरु से मुजरा-मटन तक
इस चुनाव में कुछ शब्द जो आपने बार बार सुना होगा. इन शब्दों को आपने उपन्यास, फिल्मों के डॉयलॉग में भी सुना होगा. लेकिन सत्ता और विपक्ष को लगा कि ये शब्द वो हथियार हैं जिनकी मदद से उनका चुनावी अभियान और धारदार होगा और दूसरे के प्रचार को कुंद करेगा. अब इसका असर जो भी हो लेकिन राजनीतिक तापमान जरूर बढ़ा.चुनावी अभियान के दौरान अनुभवी चोर, दो शहजादे, मंगलसूत्र, मुजरा, मटन, मछली जैसे शब्द एक एक कर जुड़ते गए. अडानी अंबानी से टेंपो में भरकर नकजी मिलने की बात जहां पीएम मोदी ने की. वहीं राहुल गांधी ने अरबपतियों का कठपुतली राजा कह कर तंज कसा. यही नहीं हिमाचल प्रदेश के मंडी से चुनाव लड़ रहीं कंगना रनौत पर मंडी में क्या भाव वाला कमेंट भी सुर्खियों में रहा.
- दो शहजादे तुष्टीकरण के लिए एक साथ आए हैं- नरेंद्र मोदी
- नरेंद्र मोदी विश्व गुरु नहीं, विषगुरु हैं- जयराम रमेश
- नरेंद्र मोदी झूठों के सरदार- मल्लिकार्जुन खड़गे
वोट जिहाद की चर्चा
आम चुनाव 2024 के प्रचार में वोट जिहाद की चर्चा रही. आमतौर पर अभी तक आप लव जिहाद की बात सुनते रहे होंगे.दरअसल यूपी के फर्रुखाबाद में चुनावी रैली में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी ने इस शब्द का इस्तेमाल किया था. इस तरह की तकरीर पर बीजेपी की तरफ से जमकर ऐतराज भी जताया गया. हालांकि सलमान खुर्शीद ने कहा कि जिसकी जैसी सोच वो उसके हिसाब से व्याख्या कर रहा है.
इसके साथ ही इस चुनाव में मटन, मछली और मुजरा की भी चर्चा हुई. इस बारे में सियासी जानकार कहते हैं कि चुनावी प्रचार के दौरान भाषाई मर्यादा टूटने की बात नई नहीं है. लेकिन हकीकत में कोई भी दल खुद पर संयम नहीं बरत रहा है. अगर किसी एक दल का नेता कुछ इस तरह की बात करता है तो दूसरा दल अपने शब्दकोष में और निम्न स्तर का शब्द खोज लाता है. जहां तक बात मतदाताओं की है जो उन्हें भी इस तरह के शब्दों में आनंद आता है. अगर देखा जाए तो यह समस्या सर्वकालिक है और इस पर लगाम तभी लग सकेगा जब कोई भी सियासी दल इस तरह के शब्दों पर प्रतिक्रिया ना दें.