रायबरेली में राहुल गांधी की लड़ाई आसान नहीं, 2019 के नतीजे से समझिए
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रायबरेली में राहुल गांधी की लड़ाई आसान नहीं, 2019 के नतीजे से समझिए

रायबरेली लोकसभा यूपी की 80 संसदीय सीटों में से एक है. इस सीट पर अमूमन कांग्रेस का कब्जा रहा है. यहां से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं.


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ साथ यूपी की रायबरेली सीट से भी किस्मत आजमां रहे हैं. इस सीट पर 2019 में उनकी मां सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी.हालांकि जीत का फासला कम था. राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने उसी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को उतारा है जिन्होंने सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी थी. परंपरागत तौर पर राहुल गांधी अमेठी सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन 2019 के चुनाव में वो स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे. यहां हम बात करेंगे कि रायबरेली में राहुल गांधी की राह आसान क्यों नहीं है.

अपवाद के साथ रायबरेली कांग्रेस की परंपरागत सीट

सबसे पहले रायबरेली में वोटर्स की संख्या पर नजर डालते हैं. यहां कुल 17 लाख 84 हजार मतदाता हैं. जिसमें पुरुष 9 लाख और महिला साढ़े आठ लाख के करीब. अगर 1952 से 2019 तक के चुनाव पर नडर डालें तो 1977 में राजनारायण, 1996 और 1998 में बीजेपी की तरफ से अशोक सिंह ने जीत दर्ज की थी. तीन इन चुनाव को छोड़कर कांग्रेस का कब्जा रहा. यानी कि इस सीट को कांग्रेस का गढ़ मान सकते हैं. सोनिया गांधी ने 2004 में इस सीट से पर्चा भरा और मौजूदा समय में सांसद भी हैं. रायबरेली लोकसभा में बछरावां, सरैनी, ऊंचाहार, हरचंदपुर और रायबरेली सदर विधानसभाएं हैं. इस दफा के चुनाव में इंडी गठबंधन के खिलाफ ना सिर्फ बीजेपी बल्कि बीएसपी भी है. बीएसपी की तरफ से लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश हो रही है.

विधानसभा नतीजों में सपा भारी

रायबरेली लोकसभा की पांच विधानसभाओं में से तीन पर सपा का कब्जा है यानी कि जमीनी तौर पर इंडी ब्लॉक को मजबूत मान सकते हैं. यहां ओबीसी मतदाता 23 फीसद के करीब हैं जिसमें 9 फीसद यादव हैं. यह 9 फीसद सपा को जो वोटबैंक है वो राहुल गांधी की राह को आसान बमाने में मदद कर सकता है. लेकिन बीएसपी के 32 फीसद वोट को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. दलित समाज के वोटर्स की संख्या 32 फीसद हैं. बीएसपी को 2014 के चुनाव में 63 हजार से अधिक मत मिले थे. लेकिन इस दफा बीएसपी ने यादव समाज के उम्मीदवार को उतार कर सपा के 9 फीसद कोर यादव वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है.

2019 के नतीजे ने चौंकाया

यहां बात करेंगे कि 2019 में बीजेपी कैंडिडेट दिनेश प्रताप सिंह के बारे में.2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ दिनेश प्रताप सिंह चुनावी मैदान में थे. इन्हें कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था. लेकिन जब नतीजे आए तो रायबरेली सीट चर्चा के केंद्र में आ गई. सोनिया गांधी चुनाव जीतने में कामयाब तो हुईं लेकिन जीत का अंतर सिमट चुका था. दिनेश प्रताप सिंह तीन लाख से अधिक मत पाने में कामयाब रहे. उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी ने एक बार फिर मौका दिया है. 2014 में जहां सोनिया गांधी को पांच लाख 26 हजार से अधिक मत मिले थे वहीं बीजेपी के अजय अग्रवाल को एक लाख 73 हजार मत मिले. 2019 में सोनिया गांधी के मतों में थोड़ा इजाफा हुआ है. लेकिन बीजेपी उम्मीदवार के मिले मतों(तीन लाख 67 हजार) ने चौंका दिया था.

इस सीट से दिग्गजों की हुई है हार

इंदिरा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर की पत्नी सविता अंबेडकर, जनेश्वर मिश्रा, विजयाराजे सिंधिया, विनय कटियार यहां से चुनाव हार चुके हैं.

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