सभी तरह के कयासों को विराम, रायबरेली से लड़ेंगे राहुल गांधी
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सभी तरह के कयासों को विराम, रायबरेली से लड़ेंगे राहुल गांधी

3 मई को कांग्रेस सस्पेंस का पर्दा हटा दिया. रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ने जा रहे हैं जिनके खिलाफ बीजेपी मे दिनेश प्रताप सिंह को उतारा है.


Rahul Gandhi News: राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यूपी की अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे या नहीं रहस्य के चादर में लिपटा हुआ है. लेकिन 3 मई को सस्पेंस खत्म हो गया. कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है और प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी. इससे आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि अमेठी सीट से कौन उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. पार्टी ने यहां से किशोरी लाल शर्मा नाम के शख्स को चुनावी मैदान में उतारा है. दरअसल, इस तरह के सवाल उठ रहे थे कि क्या गांधी परिवार यूपी के उन सीटों से किस्मत आजमाएगा जो उनकी विरासत थी. यह बात अलग है कि 2019 में स्मृति ईरानी ने जब राहुल गांधी को हरा दिया तो मिथक टूटा कि अमेठी, गांधी परिवार की विरासत है.

रायबरेली में राहुल बनाम दिनेश प्रताप सिंह

अब जब राहुल गांधी को कांग्रेस ने रायबरेली से चुनावी मैदान में उतारा है तो आप को दिलचस्पी होगी कि बीजेपी ने किस पर दांव खेला है. बता दें कि बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है. वो योगी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हैं. पिछली दफा यानी 2019 में भी रायबरेली से किस्मत आजमायी थी. लेकिन सोनिया गांधी ने डेढ़ लाख के अधिक मतों से हराया था. 2019 के चुनाव में भी दिनेश प्रताप सिंह ने टक्कर दी. उस चुनाव में सपा-बीएसपी का गठबंधन था और उन्होंने सोनिया गांधी का समर्थन किया था.

रायबरेली का चुनावी इतिहास

रायबरेली संसदीय सीट के बारे में कहा जाता है कि गांधी परिवार नहीं तो कौन. हालांकि यह पूरी तरह सच नहीं है. 1967. 1971 1980 में इंदिरा गांधी को जीत हासिल हुई लेकिन 1977 में राज नारायण सिंह ने इंदिरा गांधी को हरा दिया था. इसी तरह 1996, 1998 में कांग्रेस को कामयाबी नहीं मिली. 1999 में सतीश शर्मा की जीत के साथ सिलसिला चला और 2004 से लेकर आज की तारीख में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और सोनिया गांधी सांसद हैं. रायबरेली संसदीय सीट पर नजर रखने वाले अब कहते हैं कि जब इंदिरा जी चुनाव लड़ती थीं. उस वक्त की तस्वीर अलग थी. लेकिन आप देखें तो पाएंगे कि यहां की जनता ने बदलाव किया है. दरअसल आप अपनी विरासत को आगे तभी बढ़ा सकते हैं जब जमीनी स्तर पर काम हो.

रायबरेली के चुनावी समीकरण पर देखें तो बीजेपी को कभी बहुत बढ़त नहीं मिली है. लेकिन बदलते समय के साथ लोगों के विचार में बदलाव आया है. मसलन अमेठी मे कौन सोच सकता था कि राहुल गांधी चुनाव हार जाएंगे. लेकिन 2019 का नतीजा आप ने देखा है कि किस तरह से स्मृति ईरानी भारी पड़ीं.

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