गुरुग्राम में राज बब्बर की राह आसान नहीं, जातीय गणित इनके पक्ष में
x

गुरुग्राम में राज बब्बर की राह आसान नहीं, जातीय गणित इनके पक्ष में

दिल्ली से सटे गुरुग्राम लोकसभा के लिए राज बब्बर कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार हैं. इनका मुकाबला पांच बार के सांसद और मौजूदा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत से है.


Raj Babbar Candidate from Gurugram: राज बब्बर किसी परिचय के मोहताज नहीं. 70 एमएम के सिल्वर स्क्रीन पर अलग अलग भूमिकाओं में नजर आने वाला यह शख्स सियासत की पिच पर बैटिंग और बोलिंग दोनों को अंजाम दे रहा है. राज बब्बर का नाता वैसे तो उत्तर प्रदेश से है. यूपी से ही उन्होंने अपने सियासी पारी का आगाज किया था. लेकिन 2024 के आम चुनाव ने जब उन्हें हरियाणा के गुरुग्राम से चुनाव लड़ाने का फैसला किया तो स्थानीय कांग्रेसियों के साथ साथ विपक्ष भी भौचक्का रह गया. पार्टी के समर्पिक कार्यकर्ता का हवाला देकर वो चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं. लेकिन क्या उनकी राह आसान होगी देखने वाली बात है. बता दें कि बीजेपी ने यहां के मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को दोबारा मौका दिया है.

गुरुग्राम से चुनावी मैदान में राज बब्बर

सवाल यह है कि राज बब्बर के लिए यहां की चुनावी लड़ाई आसान क्यों नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कैप्टन अजय सिंह यादव पसंद नहीं थे और उन्होंने राज बब्बर के लिए बैटिंग की. खास बात यह है कि यह पहला मौका है जब कांग्रेस ने किसी गैर यादव उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है. राज बब्बर का पंजाबी सोनार समाज से ताल्लुक है. यह तो रही जाति की बात. राज बब्बर पर बाहरी होने का टैग भी लगा है. वैसे तो हिंदुस्तान की चुनावी व्यवस्था में कोई भी शख्स जो निर्धारित योग्यता पूरी करता हो कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है. लेकिन सियासी तौर पर आउटसाइडर को शोर मचाया जाता है. हालांकि राज बब्बर कहते हैं कि उनका बचपन तो गुरुग्राम में ही बीता है, इसके साथ वो यह भी कहते हैं कि आखिर पीएम नरेंद्र मोदी को गुजरात से वाराणसी जाकर चुनावी संग्राम का हिस्सा बने हैं. उनके बारे में बीजेपी बात क्यों नहीं करती.

गुरुग्राम के झाड़सा में एक चुनावी सभी में राज बब्बर कहते हैं कि अजी वो तो यहीं के हैं और हमेशा जनता के बीच रहंगे. इस बात को कहते समय वो राव इंद्रजीत की तरफ इशारा कर कहते हैं कि वो तो लापता सांसद रहे हैं. आप खुद गुरुग्राम की चरमराते इंफ्रास्ट्रक्चर को देखिए, इस शहर ने हरियाणा और केंद्र को ना जाने कितना राजस्व दिया. लेकिन खराब सड़कें, पीने की पानी की दिक्कत, खराब कानून व्यवस्था बदले में मिला.गुरुग्राम लोकसभा के नूह विधानसभा में मुस्लिम समाज को संबोधित करते हुए राज बब्बर कहते हैं कि आप लोगों के हिस्से बेरोजगारी,सांप्रदायिक हिंसा, घृणा के अलावा और क्या आया.वो जब मुस्लिम बहुल इलाके में जाते हैं तो बताते हैं कि बीजेपी के राज्य में अल्पसंख्यक समाज सुरक्षित नहीं है. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि कांग्रेस की सरकार बने.

राज बब्बर की राह आसान क्यों नहीं

अगर गुरुग्राम की बात करें तो इस लोकसभा में हिंदू समाज में अहीर यानी यादव और मेव मुस्लिमों का दबदबा है. इनकी आबादी 18 और 20 फीसद के करीब है. अगर दूसरी जातियों की बात करें तो आठ फीसद पंजाबी, दलित और आदिवासी आबादी कुल 13 फीसद, जाट करीब सात फीसद, गुज्जर और ब्राह्मण करीब चार फीसद हैं. इस लोकसभा के बारे में सीनियर पत्रकार कहते हैं कि राव इंद्रजीत की जीत में किसी तरह की बाधा नहीं है. वो कहते हैं कि आप किसी भी चुनाव को देख लें 80 फीसद अहीर समाज अहीर कैंडिडेट के पक्ष में ही मतदान करता है, इस दफा तो कांग्रेस ने गैर अहीर को उतारा है. अगर आप राव इंद्रजीत को देखें तो वो राजशाही परिवार के साथ साथ राव बीरेंद्र के बेटे हैं.पांच बार सांसद रहे हैं. इस तरह से इनका कद राज बब्बर से कहीं अधिक बड़ा है. खास बात यह है कि राव इंद्रजीत बीजेपी का हिस्सा 2014 में बने थे. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि नूह हिंसा के दौरान भी संतुलित भूमिका में नजर आए और उसका असर यह है कि मुस्लिम समाज में भी लोकप्रिय है.

Read More
Next Story