यूपी में यह चरण है सबसे खास, बीजेपी के सामने अग्निपरीक्षा ?
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यूपी में यह चरण है सबसे खास, बीजेपी के सामने अग्निपरीक्षा ?

यूपी के सातवें चरण में पूर्वी हिस्से में चुनाव होना है. वाराणसी सीट से पीएम मोदी एक बार फिर चुनावी परीक्षा देने के लिए तैयार है. यह चुनाव बीजेपी के लिए अहम है


Loksabha 7th phase Election 2024: 1 जून 2024 को सातवें चरण के मतदान के साथ ही वोटिंग की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी. आम लोग हों या खास हर किसी को चार जून का इंतजार है कि दिल्ली की गद्दी पर कौन काबिज होगा. इन सबके बीच यूपी के उन लोकसभा की बात करेंगे जो बीजेपी के लिए कठिन परीक्षा की तरह है. इस चरण में पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में भी मतदान होना है. यूपीं में सातवें चरण में जहां मतदान होना है उनमें महाराजगंज, गोरखपुर,कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव सुरक्षित, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्टसगंज हैं. अगर इन सभी सीटों की बात करें तो घोसी और गाजीपुर बीजेपी के खाते में नहीं गई थी. इस लिहाज से बीजेपी के लिए यह किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है.

इन सीटों पर बीजेपी का कब्जा

  • महाराजगंज
  • गोरखपुर
  • देवरिया
  • सलेमपुर
  • कुशीनगर
  • बांसगांव सुरक्षित
  • बलिया
  • वाराणसी
  • मिर्जापुर
  • रॉबर्ट्सगंज
  • चंदौली

इन दो सीटों पर बीएसपी का कब्जा

  • घोसी
  • गाजीपुर

बीजेपी के सामने पहाड़ जैसी चुनौती

जहां एक तरफ बीजेपी को 2019 में अपनी जीती हुई सीटों की दोबारा कायम रखने की चुनौती है. वहीं घोसी और गाजीपुर की सीट भी नाक का सवाल बन गई है. पूर्वांचल की ये सभी सीटें काशी क्षेत्र की हैं जिसमें वाराणसी मंडल, गोरखपुर मंडल और आजमगढ़ मंडल शामिल हैं. गोरखपुर लोकसभा से खुद सीएम योगी आदित्यनाथ का नाता है. वहीं वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. बीजेपी के साथ साथ विपक्ष के सामने भी चुनौती बहुत बड़ी है. अगर बीजेपी इन सीटों पर 2019 जैसा प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती है तो जाहिर सी बात है कि इंडी ब्लॉक का जादू नहीं चला. अगर इंडी ब्लॉक ने बेहतर किया तो उसे 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के नजरिए से भी देखा जाएगा.

पीएम मोदी हैट्रिक लगाने के लिए तैयार

बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी 14 मई को वाराणसी सीट से नामांकन दाखिल कर चुके हैं. उससे पहले 13 मई को वाराणसी में रोड शो किया था. उनके खिलाफ इंडी ब्लॉक ने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को चुनावी मैदान में उतारा है. हालांकि वो 2014 और 2019 का चुनाव हार चुके हैं. पूर्वी यूपी की इन सीटों पर होने वाले चुनावी कसरत के बारे में जानकार कहते हैं कि अगर आप 2014- 19 के नतीजों को देखें तो राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में जातियों की गोलबंदी का सच टूटा. लेकिन सच यह भी जातीय गोलबंदी यूपी के दूसरे हिस्सों की तरह जड़ जमाए हुए है.

2024 की परीक्षा सबसे अलग

राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से चुनावी जीत की तैयारी में जुटे हैं.इन सबके बीच इस सच्चाई को नहीं नकारा जा सकता कि 2014 में बीजेपी ने एक तरह से करिश्मा कर दिखाया था जिसकी दूसरी बार झलक 2019 में दिखाई दी. इन सबके बीच 2024 का चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि इसे कई कसौटियों पर खरा उतरना है. स्थानीय पत्रकार संजय मिश्रा कहते हैं कि अगर आप इलाके की तासीर को देखें तो आम तौर यह सपा और बसपा का गढ़ रहा है. हालांकि दोनों दलों की चुनौती के बीच भी बीजेपी सरयूपार के इलाकों यानी गोरखपुर मंडल में बेहतर प्रदर्शन करती रही है. अगर आजमगढ़ और वाराणसी मंडल की बात करें तो 2014 के चुनाव में बीजेपी सपा-बीएसपी के गठबंघन की पकड़ को कमजोर करने की कोशिश की. लेकिन 2024 के चुनाव में विपक्षी दल कुछ हद तक बीजेपी की चुनावी प्रचार की टेक्निक पर काम करते नजर आ रहे हैं.
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