CPM के इस गढ़ में टीएमसी बनाम बीजेपी, शत्रुघ्न सिन्हा कर पाएंगे कमाल ?
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CPM के इस गढ़ में टीएमसी बनाम बीजेपी, शत्रुघ्न सिन्हा कर पाएंगे कमाल ?

पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट इसलिए भी अहम है कि सीपीएम के गढ़ में बीजेपी और टीएमसी दोनों जीत हासिल करने में कामयाह रहे हैं.


Asansol Loksabha election News: पश्चिम बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं. हर एक सीट पर राजनीतिक दल तकरीरों के जरिए एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे हैं. टीएमसी का कहना है कि इस दफा बीजेपी का सुपड़ा साफ तो दूसरी तरफ बीजेपी भी पीछे नहीं. बीजेपी नेताओं का कहना है कि 4 जून को पता चल ही जाएगा किसके दावों पर जनता ने मुहर लगाई.इन सबके बीच चर्चा होगी आसनसोल लोकभा सीट की. यहां से शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी मैदान में और उन्हें बीजेपी के एस एस अहलुवालिया टक्कर दे रहे हैं. बता दें कि इस सीट पर बीजेपी से गायक बाबुल सुप्रियो 2014 और 2019 में चुनाव जीत कर आए थे. लेकिनल 2022 में बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद सांसदी भी छोड़ दी थी. 2022 में उपचुनाव में टीएमसी ने इस सीट पर कब्जा कर लिया था.

सीपीएम का गढ़ रहा है आसनसोल

अगर 1957 से 2022 तक के कालखंड में इस सीट पर नजर डालें तो यह सीपीएम का गढ़ रहा है, हालांकि 2014 में यह सिलसिला टूट गया. सबसे पहले एक नजर यहां मतदाताओं की संख्या पर डालते हैं. कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख के करीब है जिसमें पुरुष मतदाता 9 लाख और महिला मतदाता 8 लाख के करीब हैं. इस लोकसभा में कुल सात विधानसभा पांडवेश्वर, रानीगंज, जमूरिया, आसनसोल दक्षिण, आसनसोल उत्तर, कुल्टी और बारबानी आती हैं. अगर 2014 के नतीजों देखें तो बाबुल सुप्रियो को कुल 36 फीसद मत मिले थे जबकि 2019 में मत प्रतिशत बढ़कर 51 फीसद हो गया था.

शत्रुघ्न सिन्हा बनाम एस एस अहलुवालिया

अगर शत्रुघ्न सिन्हा की बात करें तो 1992 के चुनाव में वो राजेश खन्ना के खिलाफ लड़े थे. हालांकि 25 हजार मतों से चुनाव हार गए. लेकिन 1996 से 2002 और 2002 से 2006 तक राज्यसभा सांसद रहे. इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे. वहीं बीजेपी के कैंडिडेट एस एस अहलुवालिया 2014 में दार्जिलिंग और 2019 में बर्दवान- दुर्गापुर से चुनाव जीत चुके हैं. वो स्थानीय होने की बात कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर विधानसभा में ताकत की बात करें तो टीएमसी, बीजेपी से आगे है.

आसनसोल के पीछे दिलचस्प कहानी

आसनसोल इलाके में खनिज संपदा की कमी नहीं है. लोहा और कोयला पर आधारित उद्योग है. कोलकाता के बाद यह बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा ओद्योगिक और जनसंख्या वाला शहर भी है, इस शहर का नाम आसन सोल क्यों पड़ा वो बेहद दिलचस्प है, आसन एक पेड़ होता है जो 30 मीटर तक लंबा होता है.जबकि सोल का मतलब जमी, इन दो शब्दों से इस शहर का नाम पड़ा.

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