Shravasti Lok Sabha News: यूपी का श्रावस्ती जिला होने के साथ साथ लोकसभा सीट भी है. श्रावस्ती का अपना इतिहास है. इस जगह का जिक्र ना सिर्फ पुराणों में मिलता है. बल्कि इसका बौद्ध और जैन धर्म से भी नाता है. गौतम बुद्ध ने अपनी जिंदगी के 25 वर्षावास यहां व्यतीत किये थे. यानी श्रावस्ती से 25 साल का नाता रहा. अतीत की गाड़ी का पहिया चलता रहा और अलग अलग कालखंड से गुजरते हुए यह इलाका भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अंग है. देश में इस आम चुनाव के दौर से गुजर रहा है. श्रावस्ती में लोग किसे अपना प्रतिनिधि चुनेंगे उसे लेकर निगाहें टिकी हुई हैं. आम चुनाव 2024 जहां बीजेपी ने साकेत मिश्रा को चुनाव में उतारा है. वहीं सपा की तरफ से रामशिरोमणि वर्मा उन्हें टक्कर दे रहे हैं. यहां हम चर्चा करेंगे कि इस सीट पर माहौल कैसा है. क्या यहां लड़ाई सिर्फ बीजेपी और सपा में है या बीएसपी इसे त्रिकोणीय बना रही है. यहां पर 25 मई को मतदान होना है.
श्रावस्ती के समीकरण को समझें
सबसे पहले नजर डालते हैं कि इस सीट का समीकरण कैसा है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 20 लाख के करीब है. पुरुष मतदाता 11 लाख और महिला वोटर्स की संख्या साढ़े आठ लाख के करीब है. इस लोकसभा में विधानसभा की कुल पांच सीटें भिनगा, गैसणी, तुलसीपुर, बलराम सुरक्षित और श्रावस्ती है. भिनगा और गैसणी सीट सपा के खाते में गई थी जबकि तीन सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा. अगर देखें तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी बीस पड़ी. लेकिन क्या यही तस्वीर लोकसभा में है. इस सीट पर बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी मुइनुद्दीन अहमद खान को मौका दिया है, सामान्य तौर पर यूपी की राजनीति में देखा गया है कि जिस सीट पर बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवार को मौका दिया है उस सीट पर सपा को नुकसान हुआ है. 2014-2019 में मुकाबला बराबरी का
अगर आप 2014 और 2019 के नतीजो को देखें तो 2014 में बीजेपी के दद्दन मिश्रा ने सपा के अतीक अहमद को हराया था. दोनों के बीच फासला भी अधिक था. 2019 के चुनाव में पासा पलट गया. सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से राम शिरामणि चुनावी मैदान में थे. उन्होंने बीजेपी के दद्दन मिश्रा को परास्त तो किया. लेकिन जीत का अंतर हजारों में रहा. बता दें कि बीजेपी ने 2024 चुनाव के लिए दद्दन मिश्रा की जगह साकेत मिश्रा पर भरोसा जताया है और राम शिरोमणि अब पाला बदल कर सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. इस दफा तस्वीर अलग
यहां पर आप अगर देखें को 2014 में बीजेपी को जीत जब मिली तो सपा और बसपा एक साथ नहीं थे. लेकिन 2019 में सपा और बसपा एक साथ आए और बाजी पलट गई. लेकिन एक खास बात यह भी नजर आई कि बीजेपी और गठबंधन के बीच जीत-हार का अंतर कम था. 2024 के चुनाव में दो बड़े बदलाव हैं पहला तो यह कि बीजेपी ने प्रत्याशी बदल दिया और इसके साथ ही अब बीएसपी का उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. जानकारों का कहना है कि बीएसपी का कैंडिडेट जितना मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा उतना अधिक नुकसान सपा को और फायदा बीजेपी को होगा.
कौन हैं साकेत मिश्रा
साकेत मिश्रा, यूपी विधान परिषद में मनोनीत सदस्य हैं, इसके साथ ही पूर्वांचल विकास परिषद के अध्यक्ष भी हैं. मूल रूप से देवरिया जिले के रहने वाले हैं, इनके पिता नृपेंद्र मिश्र,सीनियर ब्यूरोक्रेट रहे हैं, साकेत मिश्र की ननिहाल श्रावस्ती जिले में हैं और उनके नाना बदलूराम शुक्ल का अपना नाम रहा है, साकेत मिश्र आईआईएम से पढ़ाई करने के बाद 1994में आईपीएस बने. हालांकि नौकरी से इस्तीफा दे दिया.