हमारा रिश्ता 100 साल पुराना,अब बेटे को सौंप रही हूं, राहुल होंगे कामयाब ?
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'हमारा रिश्ता 100 साल पुराना,अब बेटे को सौंप रही हूं', राहुल होंगे कामयाब ?

राहुल गांधी, केरल के वायनाड के साथ साथ यूपी के रायबरेली से भी चुनावी मैदान में हैं. इस सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट के तौर पर देखा जाता है.


Rahul Gandhi Candidate From Raebareli: राहुल गांधी, केरल के वायनाड के बाद रायबरेली सीट से भी चुनावी मैदान में है. 20 मई को होने वाले मतदान से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक दूसरे पर अपनी तरकश से तीर चला रहे हैं. प्रियंका गांधी रायबरेली के चप्पे चप्पे में जाकर कह रही हैं कि यहां से हमारा रिश्ता सिर्फ वोट का नहीं है. उनकी दादी, उनके दादा, उनकी मां का दिल से जुड़ाव है और उसे कोई खत्म नहीं कर सकता. लेकिन बीजेपी का कहना है कि अगर राहुल गांधी को इतना प्यार रहता तो वो पहले ऐलान किए होते कि इस सीट से भी चुनाव लड़ेंगे. लेकिन वायनाड में करारी हार की चिंता से वो यहां अपने लिए संजीवनी ढूंढ रहे हैं.

अब मेरा बेटा आप लोगों के हवाले
सोनिया गांधी ने कहा कि वो अपने बेटे का को आपके हवाले यानी रायबरेली की जनता को सौंप रही हूं, राहुल आप लोगों को निराश नहीं करेंगे. इसके साथ यह भी कहा कि पिछले 20 वर्षों तक आप लोगों ने जो भरोसा व्यक्त किया उसके लिए धन्यवाद. उनके पास जो कुछ भी है रायबरेली की जनता ने दिया है. इसलिए भाइयों और बहनों वो अपने बेटे को सौंप ही है. आप लोग उन्हें अपना समझिए.

हमारा रिश्ता मां गंगा की तरह पवित्र
सोनिया गांधी ने कहा कि हमारा रिश्ता नया नहीं है. उनका परिवार यहां से जुड़ा रहा है. रायबरेली और गांधी परिवार को अलग करके देखा नहीं जा सकता.पिछले 100 वर्षों से हमारा यहां से नाता है. यह रिश्ता उतना ही पवित्र है जितना मां गंगा का अवध और रायबरेली के किसानों से है.यह एक आंदोलन की तरह हम सबसे जुड़ गया जो आज भी अटूट है.सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी सास इंदिरा गांधी का यहां से अगाध प्रेम रहा है. वो खुद उसकी गवाह रही हैं. आपने मुझे 2024 में मौका दिया और करीब 20 साल तक आपके साथ बने रहने का सौभाग्य मिला. यहीं मेरी जिंदगी की अमूल्य सौगात है.

क्या है जमीनी हकीकत

रायबरेली की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि यहां का सामाजिक समीकरण निश्चित तौर पर बीजेपी के बहुत अनुकूल नहीं है. लेकिन यदि आप 2019 के नतीजों को देखें तो जिस तरह से बीजेपी ने हार के अंतर को एक लाख पर सिमट दिया है वो अपने आप में अलग तरह का संकेत देता है. कांग्रेस के पक्ष में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने पहले ही वॉक ओवर दे दिया था. इस दफा समाजवादी साथ में हैं. इस तरह से कांग्रेस की स्थिति मजबूत मान सकते हैं. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि जिस तरह से सोनिया गांधी इमोशन का ब्रह्मास्त्र चला रही थीं. उससे एक बात तो साफ है कि कांग्रेस को लगता है कि मोदी- योगी की जोड़ी के सामने उन्हें किसी भी मामले में हल्का नहीं पड़ना है.

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