यूपी की इन सीटों पर कांटे की टक्कर, चौथे चरण में हुआ कड़ा मुकाबला
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यूपी की इन सीटों पर कांटे की टक्कर, चौथे चरण में हुआ कड़ा मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में यूूपी की कानपुर, इटावा, कन्नौज, शाहजहांपुर, उन्नाव, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बहराइच, खीरी, धौरहरा, हरदोई, मिश्रिख और अकबरपुर में वोट डाले गए थे.


Lok Sabha Election 2024: कहते हैं न कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. जिसने यूपी जीत लिया, उसने दिल्ली की सत्ता पर भी कब्जा कर लिया. यही वजह है कि राजनैतिक पार्टियां सबसे ज्यादा फोकस यूपी पर ही करती हैं और हो भी क्यों न आखिरी यह राज्य लोकसभा के 80 सांसद जो देता है. यूपी में चौथे चरण की बात करें तो 13 सीटों पर मतदान हुआ. हालांकि, मुख्य मुकाबला बीजेपी और इंडिया गठनबंधन के बीच है. लेकिन बीएसपी भी कई सीटों पर कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ रही है. चौथे चरण में कानपुर, इटावा, कन्नौज, शाहजहांपुर, उन्नाव, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बहराइच, खीरी, धौरहरा, हरदोई, मिश्रिख और अकबरपुर में वोट डाले गए थे. ऐसे में आइए इन सीटों का गणित समझते हैं.

कन्नौज

वैसे तो यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. लेकिन साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने इसमें सेंध लगा दिया था और बीजेपी के सुब्रत पाठक ने सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी डिंपल यादव को 12,353 वोटों से हरा दिया था. इस सीट से अब खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वहीं, बीजेपी ने दोबारा से सुब्रत पाठक को टिकट दिया है. इत्र की खुशबू से दुनिया को दीवाना बनाने वाला कन्नौज यूपी की सियासत में अहम स्थान रखता है. इस हाई प्रोफाइल सीट से समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव भी चुनाव लड़ चुके हैं.

उन्नाव

बीजेपी ने इस सीट से तीसरी बार साक्षी महाराज को टिकट दिया है. जबकि, सपा ने अनु टंडन पर दांव लगाया है. अनु टंडन इस सीट से साल 2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं. वहीं, बसपा ने अशोक पांडेय को मैदान पर उतारा है. पिछले चुनाव में बीजेपी को 56 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. जबकि, सपा-बसपा गठबंधन को 33 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए थे. ऐसे में इस सीट पर विपक्ष की राह कम आसान होने वाली नहीं है.

इटावा

इटावा सपा के पूर्व प्रमुख और यूपी के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का गृह जिला है. इसलिए हमेशा से ही यह सीट सपा के लिए नाक का सवाल रहा है. सपा ने यहां से साल 1999 से लेकर 2009 तक जीत हासिल की. हालांकि, साल 2009 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई. इसके बाद साल 2014 और 2019 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की. इस बार बीजेपी हैटट्रिक लगाने की फिराक में है.

खीरी

खीरी लोकसभा सीट किसान आंदोलन के समय सुर्खियों में आई थी. जिसमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है. बीजेपी ने इस बार भी अजय टेनी पर भरोसा जताया है और चौथी पर टिकट देकर चुनावी मैदान पर उतारा है. खीरी सीट ब्राह्मण, दलित और कुर्मी बहुल मानी जाती है. सपा ने यहां से उत्कर्ष वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष यहां किसानों का मुद्दा बनाकर चुनाव जीतती है या अजय टेनी चौथी पर जीत हासिल करने में कामयाब हो पाते हैं.

कानपुर

यूपी के औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर को भी हाई प्रोफाइल सीट का दर्जा हासिल है. बीजेपी ने इस बार रमेश अवस्थी को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने आलोक मिश्रा पर दांव लगाया है. वहीं, बसपा से कुलदीप भदौरिया मौका दिया है. कभी यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन साल 2014 से यहां लगातार बीजेपी जीतते आ रही है.

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