दक्षिण दिल्ली लोकसभा पर किसका जोर, बीजेपी ने बदला है उम्मीदवार
दिल्ली की दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट पर बीजेपी और आप के बीच है मुकाबला. यहां दोनों दलों से गुर्जर उम्मीदवार आमने सामने हैं.
दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर इस बार मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच है. वर्ष 2014 और 2019 में ये सीट बीजेपी के पाले में आई थी और यहाँ से दोनों बार रमेश बिधुड़ी सांसद चुने गए. इस बार बीजेपी से रामबीर सिंह बिधुड़ी और आम आदमी पार्टी से सहीराम पहलवान मैदान में है. दोनों ही गुर्जर समाज से आते हैं. इस लोकसभा सीट पर लगभग 20 लाख मतदाता हैं.
1967 से शुरू हुआ दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट का चुनावी सफ़र
ये लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. यहां हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ को जीत मिली थी. इसके बाद अगला चुनाव 1971 में हुआ और कांग्रेस के शशि भूषण ने जीत हासिल की. यहां पर हुए अब तक हुए 13 चुनावों में से 4 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. यानी इस लोकसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा ज्यादा रहा है.
बीजेपी के दिग्गज जीत चुके हैं इस सीट से
दक्षिणी दिल्ली की बात करें तो इसमें दिल्ली के पॉश इलाके भी शामिल हैं. सिर्फ इसलिए ही ये दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीट नहीं है बल्कि यहाँ से मैदान में उतरे उम्मीदवारों ने इसे समय समय पर हाई प्रोफाइल बनाया है. इस सीट से बीजेपी की तरफ से मदन लाल खुराना, सुषमा स्वराज और विजय कुमार मल्होत्रा जैसे हाईप्रोफाइल नेता चुनाव लड़ चुके हैं.
गुर्जर बाहुल्य सीट है दक्षिणी दिल्ली
दक्षिण दिल्ली सीट गुर्जर बहुल सीट मानी जाती है. यही वजह भी है कि बीजेपी और आप ने गुर्जर उम्मीदवार को ही मैदान में उतारा है. इस लोकसभा में 54 गांव हैं, जिनमे से 22 गाव गुर्जर बाहुल्य है. इन गांव में 4.5 लाख से ज्यादा वोटर हैं. वहीँ दुसरे नम्बर पर जाट बिरादरी आती है, जिसके 17 गांव हैं. इनमें ढाई लाख से ज्यादा की आबादी है. इनके अलावा पूर्वांचली भी इस लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रहते हैं.
दक्षिण दिल्ली में ये हैं विधानसभाएं
दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत बिजवासन, देवली, अंबेडकर नगर, संगम विहार, कालकाजी, पालम, महरौली, छतरपुर, बदरपुर और तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र आते हैं.
जातीय समीकरण
इस लोकसभा सीट पर लगभग 9 प्रतिशत मुसलमान मतदाता है तो 85 प्रतिशत हिन्दू मतदाता है. इसके बाद सिख मतदाताओं की संख्या लगभग ढाई प्रतिशत है. अनुसूचित जाति से आने वाले मतदाताओं का प्रतिशत लगभग 15 है.