जितना टालोगे चुनाव उतना हारोगे, यूपी में अखिलेश यादव का अति आत्मविश्वास तो नहीं
देश के सबसे बड़े सूबे में से एक उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव 20 नवंबर को होना है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है।
UP Assembly By Polls 2024: देश के सबसे बड़े सूबे में से एक उत्तर प्रदेश में चुनाव वैसे तो 9 विधानसभा सीटों के लिये है। लेकिन चर्चा झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तरह है। इन 9 सीटों पर मतदान 20 नवंबर को होगा और नतीजे 23 को आएंगे। सवाल यह है कि यह चुनाव अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)दोनों के लिए नाक का सवाल बन चुका है। जीत की दरकार इतनी की जुबान भी तीखी हो चली है। बटेंगे तो कटेंगे, जहां दिखा सपाई वहां बिटिया घबराई तो वस्त्र से नहीं जुबां से कोई साधु होता है। यानी कि दोनों पक्ष एक दूसरे पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ रहे। इसी तरह अमेठी में एक पोस्टर नजर में आया जिस पर लिखा है अखिलेश जी की फियर है, बीजेपी का अंत नियर है। यानी कि अखिलेश जी का डर इस कदर है अब बीजेपी को कोई बचाने वाला नहीं। इसके साथ ही लिखा है जितना चुनाव टालोगे उतना ही हारोगे। दरअसल विधानसभा का उप चुनाव 13 नवंबर को पहले होना था।
टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे!
पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी।
दरअसल बात ये है कि उप्र में ‘महा-बेरोज़गारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालनेवाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं।ये भाजपा की पुरानी चाल है। हारेंगे तो टालेंगे
अब अखिलेश यादव इस तरह के दावे कर रहे हैं तो उसके पीछे का आधार क्या है। यूपी की सियासत पर नजर रखने वाले बताते हैं कि आम चुनाव 2024 में जिस तरह समाजवादी पार्टी आरक्षण पर हमले की बात कर ओबीसी आबादी को अपने पाले में कामयाब रही कुछ उसी तरह की उम्मीद इस उपचुनाव में भी है। लेकिन अब बात इतनी आसान नहीं है। आम चुनाव 2024 में बीजेपी की हार के पीछे कई वजहें जिम्मेदार थीं। लेकिन जिस तरह से संगठन में समन्वय की कमी, कार्यकर्ताों की उदासीनता, संघ का सक्रिय तौर पर चुनावी मैदान में नहीं उतरना, चुनाव तो जीत ही लेंगे वाला भाव था उससे बीजेपी बाहर निकलने की बात कह रही है। यानी कि सभी 9 विधानसभा सीटों पर कांटे की टक्कर है। इसके साथ ही जिस तरह से यूपी के सीएम आक्रामक अंदाज में समाजवादी पार्टी की बखिया उधेड़ने का काम कर रहे हैं वैसे में समाजवादी पार्टी के दावे दमदार नजर नहीं आ रहे।