UP में चुनाव 9 सीट पर नजर पूरे देश की, क्या बूस्टर डोज बनेगा हरियाणा
देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए अहम है।
UP Assembly Bypoll 2024: महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही यूपी की 10 विधानसभाओं में से 9 सीटों के लिए मतदान होना है। मिल्कीपुर सीट का मामला अदालत में लंबित है लिहाजा चुनावी तारीख का ऐलान नहीं किया गया। वैसे तो विधानसभा की 9 सीटों के लिए उपचुनाव हो रहा है लेकिन चर्चा ज्यादा है। दरअसल यह चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए अहम है। आम चुनाव 2024 में जिस तरह से नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे। उसके पीछे अहम वजह बताई गई कि सामाजिक समीकरणों को साधने में बीजेपी के रणनीतिकार नाकाम रहे। अखिलेश यादव और उनके सहयोगियों ने संविधान और आरक्षण पर हमले की बात को बहुत ही सधे तरीके से पेश किया था। लेकिन अब हरियाणा में शानदार जीत और जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन( बीजेपी नंबर 2 पर आने के बाद वोट शेयर के मामले में आगे) के बाद उसी रणनीति को यूपी की सियासी पिच पर इस्तेमाल कर सकती है।
बीजेपी को झटका लगा था
आम चुनाव 2024 के नतीजे जब सामने आए और उसके बाद जीत हार का पोस्टमार्टम हुआ तो एक बात पर विचार एक जैसे थे। मसलन योगी आदित्यनाथ के अनुसार अति आत्मविश्वास में नतीजे खराब आए। दूसरी तरह सामाजिक समीकरणों को साधने में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आगे रही, हालांकि यह कहा गया कि इन दोनों दलों ने धोखे और बरगलाने वाली राजनीति की। लेकिन हकीकत भी यही है कि अगर बीजेपी 2019 के नतीजों को दोहरा पाने में कामयाब होती तो केंद्र में बैसाखी की जरूरत नहीं पड़ती। चुनावी लड़ाई में सीटों पर जीत और हार का सिलसिला चलता रहता है। लेकिन कोई हार धारणा बनाने में मदद करने लगे तो आने वाली लड़ाई बेहद मुश्किल हो जाती है। बीजेपी के लिए 2027 का चुनाव सिर्फ राज्य के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि केंद्र की सत्ता के हिसाब से अहम है क्योंकि दो साल बाद चुनाव होगा।
यूपी में हरियाणा प्रयोग
हरियाणा के चुनाव में बीजेपी ने जाट बनाम गैर जाट के मुद्दे को उभारा और उसके साथ ही हिंदुओं के मुद्दे पर राष्ट्रवाद का पुट दिया उसका फायदा नजर आता दिखाई दे रहा है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में जिस नीति पर बीजेपी आगे बढ़ी उसका फायदा मिला भले ही सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। लेकिन वोट शेयर का बढ़ना उसकी रणनीति की कामयाबी को दिखाता है। अगर उप चुनाव में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर वाला नुस्खा कामयाब रहता है तो निश्चित तौर पर 2027 उस फॉर्मूले पर आगे बढ़ सकती है। सियासी जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ दोनों के लिए चुनौती बड़ी है। अखिलेश यादव के लिए इस वजह से अहम होगा कि आम चुनाव की जीत सिर्फ संयोग नहीं था। योगी आदित्यनाथ के लिए यह जीत इसलिए अहम है कि उनके आलोचकों को जवाब मिल सकता है।
जानकारों के मुताबिक इसमें दो मत नहीं कि लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक समाज के पिछड़े वर्ग से थी। लेकिन 400 पार के नारे के बाद समाजवागी पार्टी और कांग्रेस को मौका मिल गया। विपक्षी दल के नेता कहने लगे कि आप लोगों को अल्पकालिक लाभ देकर बड़े लाभ से वंचित करने की साजिश रची जा रही है और यदि आप नहीं चेते तो भारी भुगतान करना पड़ेगा।