पंजाब में क्यों नहीं चल पाया झाड़ू का जादू? कांग्रेस के प्रदर्शन ने जगाई उम्मीद
x

पंजाब में क्यों नहीं चल पाया झाड़ू का जादू? कांग्रेस के प्रदर्शन ने जगाई उम्मीद

पंजाब से भी आम आदमी पार्टी को बहुत ज्यादा उम्मीद थी, या कहें कि पूरा विश्वास था कि पंजाब में उसे इस लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड सीटें मिलेंगी. यही वजह भी रही कि पंजाब में आप ने मिशन 13 के तहत चुनाव लड़ा लेकिन 3 सीट ही मिल पायी


Punjab Loksabha Result: लोकसभा चुनाव के परिणामों ने जहाँ एक ओर बीजेपी को इस बात से निराश किया कि उसे पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हो पाया तो वहीँ दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को भी दिल्ली और पंजाब से बड़ी निराशा मिली है. आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से दिल्ली में कांग्रेस से हाथ मिलकर सोचा था कि दिल्ली में जिन 4 सीटों पर वो लड़ रही हैं, उनमें से वो कम से कम 2 से 3 सीट तो आराम से जीत ही जाएगी, ज्यादा अच्चा रहा तो पार्टी ने चरों सीटों से जीत की उम्मीद बाँधी हुई थी. ठीक ऐसे ही पंजाब से भी आम आदमी पार्टी को बहुत ज्यादा उम्मीद थी, या कहें कि पूरा विश्वास था कि पंजाब में उसे इस लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड सीटें मिलेंगी. यही वजह भी रही कि पंजाब में आप ने कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया और मिशन 13 के तहत चुनाव लड़ा. हालाँकि कांग्रेस की पंजाब इकाई ने भी इस गठबंधन से इनकार कर दिया था. लेकिन परिणाम आप को निराश करने वाले रहे. पंजाब को 3 सीट से ही संतोष करना पड़ा. आप ने होशियारपुर, आनंदपुर साहिब और संगरूर सीट पर जीत हासिल की.

नहीं चला मुफ्त बिजली का दाव

आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ी जीत दर्ज की थी, उस हिसाब से इस लोकसभा चुनाव में आप को पंजाब से बड़ी उम्मीदें थीं. यही वजह रही कि आप ने मिशन 13 के तहत चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए भी ये चुनाव अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था क्योंकि उन्होंने खुद ये कहा था कि ये चुनाव उनकी ढाई साल की राज्य की सरकार का टेस्ट होगा. इतना ही नहीं इस पूरे चुनाव में उन्होंने स्टार प्रचारक के तौर पर काम किया था.


अरविन्द केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर किया था प्रचार

क्योंकि अरविन्द केजरीवाल 10 मई तक जेल में थे, इसलिए पंजाब में प्रचार प्रसार की मुख्य ज़िम्मेदारी भगवंत मान पर रही. अंतरिम जमानत मिलने के बाद केजरीवाल बाहार आये और उन्होंने भगवंत मान के साथ मिलकर प्रचार प्रसार किया. इस दौरान दोनों ही नेताओं ने पंजाब की जनता के सामने मुफ्त बिजली, पेंशन आदि मुद्दों पर वोट माँगा. केजरीवाल ने जनता के सामने अपनी गिरफ्तारी और जेल जाने का मामला भी उठाया, ये सोच कर कि सहानुभूति के साथ साथ वोट भी मिल पायें लेकिन ऐसा बड़े पैमाने पर हुआ नहीं.


आप और कांग्रेस की पंजाब इकाई एक दूसरे पर लगाये आरोप प्रत्यारोप

दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में आप बेशक कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़े थे लेकिन पंजाब में दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े. गठबंधन की लाज बस यही रही कि आप और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने एक दूसरे पर कोई टीका टिप्पणी नहीं की लेकिन दोंनों ही पार्टियों की पंजाब इकाई ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहे.


वोट शेयर गिरा

आम आदमी पार्टी की सीटें पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले बेशक बढ़ी है लेकिन पार्टी को वोट प्रतिशत में नुक्सान हिउया है. आप को 2022 के विधानसभा चुनाव में 46% वोट मिले थे, जो इस लोकसभा चुनाव में घट कर 26% रह गया है.


जनता ने ड्रग्स और भ्रष्टाचार पर जताई नाराज़गी

वहीँ अगर जनता की बात करें तो उनके मन में पंजाब की ड्रग्स की समस्या को लेकर अब भी गुस्सा दिखा. ये गुस्सा आप सरकार के खिलाफ ही दिखा. उन्होंने ये भी कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार में भी कोई फर्क नहीं आया है.

कांग्रेस का प्रदर्शन रहा बेहतर

वहीँ अगर हम कांग्रेस की बात करें तो इस लोकसभा चुनाव में पंजाब से कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं. अगर पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं, यानी इस बार 1 सीट का नुक्सान हुआ. पर कांग्रेस का प्रदर्शन इस लिहाज से अच्छा रहा कि 2022 में जिस तरह से विधानसभा में कांग्रेस की बड़ी हार हुई थी, उसके मुकाबले लोकसभा चुनाव में परिणाम काफी बेहतर रहे.


कांग्रेस की लड़ाई आप से ही नहीं अपनों से भी थी

कांग्रेस की बात करें तो पंजाब उसकी लड़ाई सिर्फ आम आदमी पार्टी, अकाली दल से ही नहीं थी बल्कि अपने उन साथियों से भी थी, जो चुनाव से पहले या बाद में बड़े पैमाने पर पार्टी छोड़ कर चले गए थे. बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता बीजेपी में भी शामिल हुए और लोकसभा उम्मीदवार भी बने. इन सबके बाद भी कांग्रेस को पिछली बार की 8 के मुकाबले 7 सीटें मिली.

Read More
Next Story