हिंदी सिनेमा की इन 5 अभिनेत्रियां ने हिंदी सिनेमा पर बखूबी निभाया मां का किरदार
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हिंदी सिनेमा की इन 5 अभिनेत्रियां ने हिंदी सिनेमा पर बखूबी निभाया मां का किरदार

हिंदी सिनेमा में इन पांच अभिनेत्रियों ने मां की भूमिका निभाकर दिखाई दर्शकों को दिखाई अपनी शान, जज्बा और गंभीरता.


दुर्गा खोटे (1905-1991)


हिंदी सिनेमा की पहली सुपरस्टार माँ, जिन्हें मुगल-ए-आज़म (1960), बिदाई (1974) और आनंद (1971) जैसी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है. दुर्गा खोटे ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक एक्ट्रेस से की थी. दुर्गा खोटे ने 50 से अधिक सालों तक हिंदी और मराठी सिनेमा साथ ही थिएटरों में राज किया था. के. आसिफ की मुगल-ए-आज़म में दिलीप कुमार की जोधाबाई की भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. उन्होंने मां के किरदार में यादगार भूमिकाओं निभाई हैं. दुर्गा खोटे ने भारत मिलाप (1942), चरणों की दासी (1941), मिर्ज़ा ग़ालिब (1954), द हाउसहोल्डर (1963), बॉबी (1973) और बिदाई में कैकेयी के रूप में उन्होंने शानदार भूमिकाएं निभाई हैं, जिसमें उन्होंने जीतेंद्र की माँ की भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई फिल्मों में शाही रानी की भूमिका भी निभाई है. जिनमें परख, काजल, दादी मां, दो दिल और राजा जानी जैसी फिल्में शामिल हैं.

लीला चिटनिस (1909-2003)


इस लिस्ट में अब बारी आती है लीला चिटनिस. लीला चिटनिस ने बहुत सी फिल्मों में मां का किरदार निभाया है. मां के किरदार को निभाते वक्त वो बेहद ही अगल दिखाई देती थी. चाहे वो संकट के समय अपने ऑन-स्क्रीन बच्चों को सांत्वना दे रही हों या ज्ञान की बातें कह रही हों. लीला चिटनिस को आवारा (1951), गंगा जमुना (1961), साधना (1958), हम दोनो (1961) और शहीद (1948) जैसी फिल्मों में लंबे समय तक मां की भूमिका में देखा गया है. मां के रोल में लीला चिटनिस को दर्शक खूब पसंद करते थे. कर्नाटक के धारवाड़ में जन्मी लीला चिटनिस ने 1930 से लेकर 1980 तक फिल्मों में काम किया. लीला चिटनिट ने अपने करियर की शुरुआत फिल्मों में एक रोमांटिक लीड के रूप में की थी और फिर उसके बाद उन्हें मां के किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है.

निरूपा रॉय (1931-2004)


निरूपा रॉय को ज्यादातर अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की फिल्म दीवार (1975) में निभाए मां के किरदार के लिए याद किया जाता है. इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को एक पंचलाइन दी. 'मेरे पास मां है' फिल्म में उन्होंने सुमित्रा देवी का किरदार निभाया था. जो अपने बेटों के जीवन में अलग-अलग रास्तों के कारण कई चुनौतियों का सामना कर रही होती हैं. जो उन्हें कानून के विपरीत पक्षों पर खड़ा करती है. निरुपा रॉय ने 1946 से 1999 तक कई फिल्मों में दुखी मां की भूमिकाएं निभाई है. साथ ही उन्हें अमर अकबर एंथनी और खून पसीना फिलम में बच्चन की मां की भूमिका निभाई था.

ललिता पवार (1916-1998)


हिंदी सिनेमा की सास के रूप में जानी जाने वाली ललिता पवार ने कई फिल्मों में षडयंत्र सास की भूमिका निभाई है. उन्होंने फिल्म प्रोफेसर (1962) में एक कठोर महिला का किरदार निभाया था, जो प्यार में पड़ जाती है. वी. शांताराम की साल 1952 में आई फिल्म दहेज ड्रामा फिल्म में दुष्ट मां की भूमिका निभाई थी. जो अपनी बहू चंदा (जयश्री) को इतना प्रताड़ित करती है कि परिवार पर एक बड़ी मुसिबत आ जाती है.

नरगिस दत्त (1921-1981)


नरगिस ने मां की भूमिकाओं को निभाकर दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया था. हालांकि उन्हें अपनी रोमांटिक फिल्मों के लिए ज़्यादा जाना जाता है, लेकिन महबूब खान की मदर इंडिया (1957) में मां की भूमिका निभाकर सभी को हैरान कर दिया था. इस फिल्म में उन्होंने राधा के रूप में बलिदानी माँ की भूमिका निभाई थी.

(ये स्टोरी कोमल गौतम द्वारा अनुवाद की गई है)

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