
'Sitaare Zameen Par' को महाराष्ट्र में टैक्स-फ्री करने की मांग, NGO's ने कहा, हर कोई सेलिब्रेट करें!
आमिर खान की फिल्म सितारे जमीन पर को महाराष्ट्र में टैक्स-फ्री घोषित करने की मांग की गई है.
बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान की नई फिल्म सितारे जमीन पर को दर्शकों और आलोचकों से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है. इस फिल्म में सामाजिक समावेशिता और विशेष जरूरतों वाले बच्चों के संघर्षों को बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाया गया है. अब इस फिल्म को लेकर एक नई मांग उठी है. महाराष्ट्र में टैक्स-फ्री घोषित करने की.
एक एनजीओ की सराहनीय पहल
एक प्रसिद्ध खेल संगठन एलाइट गेम्स फेडरेशन (Elite Games Federation) ने महाराष्ट्र सरकार को एक औपचारिक पत्र लिखकर ये अपील की है कि फिल्म को टैक्स-फ्री किया जाए, जिससे ये ज्यादा परिवारों, स्कूलों और समुदायों तक पहुंचे. इस पत्र में उन्होंने लिखा, ये फिल्म केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि ये बच्चों की क्षमताओं, उनके संघर्षों और सपनों का दिल को छू लेने वाली फिल्म है. उन्होंने आगे लिखा कि ये फिल्म दिव्यांग बच्चों और पैरा-एथलीट्स के लिए समाज में समावेश को बढ़ावा देने के उनके मिशन से मेल खाती है.
फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म का निर्देशन आर.एस. प्रसन्ना ने किया है और इसे आमिर खान और अपर्णा पुरोहित ने प्रोड्यूस किया है. आमिर खान ने इसमें गुलशन नामक एक बास्केटबॉल कोच की भूमिका निभाई है, जिसे ड्रिंक एंड ड्राइव (DUI) के जुर्म में सज़ा के तौर पर एक न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों की टीम को कोचिंग देने का आदेश मिलता है. शुरुआत में वो इस काम को बोझ समझता है, लेकिन धीरे-धीरे ये एक जीवन बदल देने वाला अनुभव बन जाता है. जेनेलिया डिसूजा फिल्म में गुलशन की पत्नी सुनीता की भूमिका निभा रही हैं, जो हर कदम पर अपने पति के साथ खड़ी रहती हैं. फिल्म 2 घंटे 39 मिनट की है, जिसे कुछ दर्शक थोड़ा ज्यादा मान रहे हैं.
टैक्स फ्री होने से क्या फायदा होगा?
एलाइट गेम्स फेडरेशन का कहना है कि अगर फिल्म टैक्स-फ्री हो जाती है, तो ज्यादा स्कूल और NGO फिल्म को दिखा सकेंगे. जागरूकता और संवेदना का दायरा बढ़ेगा. समाज में समावेशिता और स्वीकृति का संदेश फैलेगा. उन्होंने अपनी अपील में लिखा, Let’s celebrate every star on earth. आइए हर सितारे का सम्मान करें.
फिल्म सितारे जमीन पर न केवल एक खूबसूरत फिल्म है, बल्कि ये समाज को एक गहरा संदेश देती है. हर व्यक्ति की अपनी खासियत होती है. अगर महाराष्ट्र सरकार इसे टैक्स-फ्री घोषित करती है, तो ये एक सकारात्मक और प्रेरणादायक कदम होगा, जो समाज में स्वीकृति और समानता को बढ़ावा देगा.