जब शादियों की कहानियों में झलकती हैं औरतों की इच्छाएं, त्याग और सच
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जब शादियों की कहानियों में झलकती हैं औरतों की इच्छाएं, त्याग और सच

आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसी फिल्मों पर, जिन्होंने शादी-थीम को और गहराई दी.


भारतीय सिनेमा में शादी पर बनी फिल्में हमेशा से दर्शकों को आकर्षित करती रही हैं. चमचमाते कपड़े, शानदार सेट और धमाकेदार गाने इन फिल्मों की खासियत जरूर होते हैं, लेकिन इनके पीछे छिपा असली रंग औरतों की कहानियों से आता है. हिंदी फिल्मों ने बार-बार दिखाया है कि शादी सिर्फ एक रस्म या उत्सव नहीं, बल्कि ये महिलाओं की इच्छाओं, त्याग, संघर्ष और सच का मंच भी है.

Veere Di Wedding (2018)

करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया की यह फिल्म शादी और औरतों की स्वतंत्रता पर खुलकर बात करती है. आमतौर पर शादी-आधारित कहानियों में परंपरा और संस्कार का तड़का दिखाया जाता है, लेकिन इस फिल्म ने दिखाया कि औरतें भी अपनी इच्छाओं और आज़ादी को खुलकर जी सकती हैं. ये कहानी बताती है कि शादी सिर्फ समाज को खुश करने का जरिया नहीं है, बल्कि दोस्ती, आत्म-स्वीकृति और निजी फैसलों का भी हिस्सा है. Veere Di Wedding ने शादी पर बनी कहानियों को मजेदार और नारीवादी नजरिए से नए अंदाज़ में पेश किया.

Hum Aapke Hain Koun (1994)

सूरज बड़जात्या की यह फिल्म आज भी भारतीय शादी फिल्मों की सबसे बड़ी मिसाल मानी जाती है. माधुरी दीक्षित और सलमान खान के किरदारों ने शादी को एक भावनात्मक, पारिवारिक और संस्कारों से जुड़ी रस्म के रूप में दिखाया. यहां औरत सिर्फ दुल्हन नहीं है, बल्कि परिवार की डोर को जोड़ने वाली शक्ति है. माधुरी का किरदार बलिदान, बहनापा और भावनात्मक ताकत का प्रतीक है. इस फिल्म ने भारतीय दर्शकों को शादी और महिलाओं की भूमिका का एक संस्कृतिक ब्लूप्रिंट दिया, जिसे आज भी फॉलो किया जाता है.

Kapoor & Sons (2016)

शादी-थीम पर बनी ये फिल्म थोड़ी अलग थी. आलिया भट्ट की मौजूदगी के बावजूद असली कहानी तीन पीढ़ियों के परिवार और उनके छुपे राज़ों पर केंद्रित थी. इस फिल्म ने दिखाया कि शादी महज जश्न का मौका नहीं, बल्कि सच सामने लाने का बहाना भी होती है. महिला किरदारों को यहां गहराई और परतों के साथ गढ़ा गया, जिससे फिल्म relatable लगी. ये शादी की पृष्ठभूमि में एक पारिवारिक ड्रामा था, जिसने रिश्तों के टूटने और जुड़ने की जटिलताओं को दिखाया.

Monsoon Wedding (2001)

मीरा नायर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई ये फिल्म शादी के रंग और दर्द दोनों को सामने लाती है. फिल्म ने ये सच्चाई उजागर की कि शादी की तैयारियों के शोर-शराबे के बीच घर के अंदर भी कई अनकहे सच और घाव छुपे होते हैं. यहां महिला किरदारों की आवाज सबसे बुलंद सुनाई देती है. Monsoon Wedding ने साबित किया कि शादी सिर्फ सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि समाज में दबे मुद्दों और रिश्तों की जटिलताओं को सामने लाने का एक मंच भी है.

Parineeta (2005)

विद्या बालन की डेब्यू फिल्म Parineeta ने शादी को महिला की जिंदगी की एक बड़ी कसौटी के रूप में दिखाया. 1960 के दशक के कोलकाता की पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म ने प्यार, वर्गभेद और सामाजिक उम्मीदों की कहानी कही. विद्या का किरदार औरत की मजबूती और नर्मी दोनों को दर्शाता है. यहां शादी एक ऐसा संघर्ष है, जिसमें आत्मसम्मान, परंपरा और समाज के बीच संतुलन साधना पड़ता है.

बॉलीवुड की शादी-आधारित फिल्में सिर्फ भव्य सेट, कपड़े और गानों तक सीमित नहीं हैं. ये कहानियां हमें दिखाती हैं कि शादी की रस्मों और जश्न के पीछे कितनी महिलाओं की इच्छाएं, सपने और त्याग छुपे होते हैं. चाहे वो Veere Di Wedding जैसी आधुनिक और मज़ेदार कहानी हो, या Hum Aapke Hain Koun जैसी परंपरा-प्रधान गाथा, हर फिल्म औरतों के अनुभवों को नए दृष्टिकोण से सामने लाती है. शादी, भारतीय सिनेमा के लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि समाज और औरतों की भावनाओं का आईना है.

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