
पिता धर्मेंद्र की पहली शादी का सच, ईशा देओल को स्कूल में हुई जानकारी
स्कूल में सहपाठी के सवाल ने ईशा देओल की ज़िंदगी बदल दी तब हेमा मालिनी ने बताया धर्मेंद्र की पहली शादी का सच
फिल्मी दुनिया की कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो वर्षों बाद भी जब सामने आती हैं, तो हर किसी को चौंका देती हैं। बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की बेटी ईशा देओल ने हाल ही में अपनी ज़िंदगी से जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा साझा किया, जिसने सभी का ध्यान खींचा। ईशा ने बताया कि उन्हें अपने पिता की पहली शादी के बारे में बहुत बाद में, वो भी एक अजीब संयोग से पता चला था—जब वे चौथी कक्षा में पढ़ती थीं।
ईशा देओल ने यह खुलासा लेख़क राम कमल मुखर्जी द्वारा लिखी गई हेमा मालिनी की अधिकृत जीवनी ‘हेमा मालिनी: बियॉन्ड द ड्रीम गर्ल’ में किया है। इस किताब में ईशा याद करती हैं कि स्कूल में एक सहपाठी ने उनसे सवाल किया था—“क्या तुम्हारी दो मम्मी हैं?” यह सवाल उनके लिए इतना चौंकाने वाला था कि उन्होंने तुरंत इसका खंडन करते हुए कहा, “क्या बकवास है! मेरी तो सिर्फ एक ही मम्मी हैं।”
उस दिन स्कूल से लौटकर ईशा ने यह बात अपनी मां हेमा मालिनी को बताई। तभी हेमा ने यह महसूस किया कि अब वक्त आ गया है कि बेटियों को अपने परिवार की सच्चाई बता दी जाए। ईशा कहती हैं, “मुझे आज भी याद है जब मैंने मां को वह सवाल बताया, तो उन्होंने उसी दिन हमें सबकुछ स्पष्ट कर दिया। सोचिए, हम तब चौथी क्लास में थे और हमें कुछ भी पता नहीं था।”
दरअसल, जब हेमा मालिनी ने 1980 में धर्मेंद्र से शादी की थी, तब धर्मेंद्र पहले से ही शादीशुदा थे और उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर से चार बच्चे थे—सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता और अजीता देओल। लेकिन ईशा और उनकी बहन अहाना इस सच्चाई से पूरी तरह अनजान थीं।
हालाँकि इस पारिवारिक परिस्थिति को जानने के बावजूद ईशा ने कभी इसे लेकर नकारात्मकता महसूस नहीं की। वे कहती हैं, “सच कहूं तो मुझे कभी बुरा नहीं लगा। मुझे आज भी नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत था। मैं अपने माता-पिता को इसका पूरा श्रेय देती हूं कि उन्होंने हमें कभी असहज महसूस नहीं होने दिया।”
ईशा ने यह भी साझा किया कि उन्होंने अपने पिता की गैर-मौजूदगी को कभी गहराई से महसूस नहीं किया, लेकिन बचपन में जब वे अपने दोस्तों के घर जाया करती थीं, तब उन्हें अहसास हुआ कि आमतौर पर बच्चों के साथ दोनों माता-पिता रहते हैं। वे कहती हैं, “जब मैं छोटी थी और दोस्तों के घर जाती थी, तो देखती थी कि उनके मम्मी-पापा दोनों साथ रहते हैं। तब जाकर समझ में आया कि पापा का आसपास होना आम बात होती है।”
फिर भी, ईशा अपने बचपन को लेकर संतुष्ट रहीं। “हमें इस तरह से पाला गया था कि इस बात ने मुझे ज्यादा प्रभावित नहीं किया। मैं मां के साथ बहुत खुश थी और अपने पापा से प्यार करती थी,” उन्होंने कहा।
ईशा की यह सच्चाई भरी कहानी बताती है कि पारिवारिक रिश्तों की जटिलताएं अगर समझदारी और प्यार से संभाली जाएं, तो वे कभी जीवन में बोझ नहीं बनतीं।