कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारतीय फिल्मों का भविष्य बदल रहा है
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कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारतीय फिल्मों का भविष्य बदल रहा है

भारत के फिल्ममेकर तेजी से AI की ओर आकर्षित हो रहे हैं, भले ही वे अभी इसके नैतिक और कानूनी सवालों से जूझ रहे हैं.


आजकल भारत में कई फिल्ममेकर AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को अपनाते जा रहे हैं. चाहे वो एक्टर को जवां दिखाना हो, आवाज की नकल करनी हो या फिल्म का प्लान बनाना. हालांकि, इसके साथ कुछ कानूनी और नैतिक चुनौतियां भी हैं.

AI से अभिनेता को जवां बनाना

कन्नड़ फिल्म निर्देशक एम.जी. श्रीनिवास AI के बड़े फैन हैं. उन्होंने अपनी फिल्म Ghost (2023) में एक्टर शिवराजकुमार को AI की मदद से जवान दिखाया. ये सिर्फ एक सिनेमैटिक मोमेंट दिखाने के लिए किया गया था. इससे प्रेरित होकर उन्होंने ईरान की VFX कंपनी Asoo की एक ब्रांच बेंगलुरु में शुरू की. श्रीनिवास को हॉलीवुड फिल्म Gemini Man (2019) देखकर इस तकनीक में रुचि आई, जिसमें Will Smith का यंग वर्जन दिखाया गया था. उन्होंने माना कि साउथ की कई बड़ी फिल्मों जैसे Vijay GOAT और Prabhas की Kalki में भी de-aging हुआ है, लेकिन उसमें खामियां थीं. अब वो तकनीक और बेहतर हो गई है और श्रीनिवास का सपना है कि वो एकदम परफेक्ट जवां लुक बना सकें.

AI से आवाज की नकल

श्रीनिवास ने फिल्म Ghost के मलयालम, तेलुगु और हिंदी वर्जन में शिवराजकुमार की आवाज AI से क्लोन की. इसका रिजल्ट इतना अच्छा था कि उन्होंने एक नई कंपनी AI Samhitha शुरू की जो ये सर्विस देती है. अब कई फिल्ममेकर उनके पास आवाज क्लोन कराने आ रहे हैं. उनकी कंपनी अब इस पर रिसर्च कर रही है कि कैसे AI से डबिंग को और रियलिस्टिक बनाया जा सके, जिससे कि होंठों की हरकत डब भाषा से बिल्कुल मेल खाए.

AI से फिल्म का प्लानिंग आसान

श्रीनिवास बताते हैं कि अब वो अपने आर्ट डायरेक्टर, सिनेमैटोग्राफर और कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर को AI से बने विजुअल्स दिखाकर अपनी बात आसानी से समझा सकते हैं.

AI के शुरुआती दौर में हैं हिंदी फिल्में

मुंबई के लेखक सुमित पुरोहित, जो Scam 1992 लिख चुके हैं. मानते हैं कि हिंदी सिनेमा में अभी AI की शुरुआत ही हुई है. उनका कहना है कि AI में सबसे बड़ी चुनौती है कंटिन्युएटी एक ही कैरेक्टर का चेहरा हर फ्रेम में बदल सकता है. वो AI की मदद से अपने प्रोजेक्ट्स के ट्रेलर और छोटे-छोटे विडियो बनाते हैं और मानते हैं कि AI एक अच्छा राइटिंग असिस्टेंट हो सकता है.

AI पहले से फिल्मों का हिस्सा

फिल्ममेकर चैतन्य चिंचिलकर Whistling Woods International के बिजनेस हेड बताते हैं कि AI काफी समय से फिल्मों का हिस्सा है. जैसे कि प्री-विज़ुअलाइजेशन, स्टोरीबोर्ड, VFX, बैकग्राउंड स्कोर आदि में. अब जब इसे भारत के डेटा से ट्रेन किया जा रहा है ये और उपयोगी बन रहा है.

AI के नैतिक सवाल

विवेक अंचलिया जो Naisha नाम की एक पूरी AI फिल्म बना चुके हैं कहते हैं कि उन्होंने कभी किसी असली अभिनेता का नाम AI में इस्तेमाल नहीं किया. वो सिर्फ सामान्य जानकारी डालते हैं जैसे एक 22 साल की बंगाली लड़की वगैरह. उनका मानना है कि नाम चेहरा या आवाज बिना इजाजत इस्तेमाल करना गलत है. अभी तक भारत में AI को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है पर उन्हें लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री को भी इस पर चर्चा में शामिल किया जाना चाहिए.

कॉपीराइट और सुरक्षा के नियम

अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर दोनों ने कोर्ट में केस किए ताकि उनकी आवाज, नाम, चेहरा बिना अनुमति के न इस्तेमाल हो. कोर्ट ने उन्हें राहत दी और पब्लिसिटी राइट्स की बात को स्वीकार किया. श्रीनिवास बताते हैं कि वो हर बार कलाकार से लिखित अनुमति लेते हैं जब भी उनकी आवाज का क्लोन किया जाता है.

AI से नौकरियां जाएंगी या बनेंगी?

कुछ लोगों को डर है कि AI से नौकरियां जाएंगी पर श्रीनिवास मानते हैं कि इससे नए टैलेंट के लिए मौके बनेंगे. जैसे कि वो लोग जो AI टूल्स को अच्छे से चला सकें और सही प्रॉम्प्ट से क्वालिटी इमेज/वीडियो बना सकें. सुमित पुरोहित मानते हैं कि AI की जिम्मेदारी फिल्ममेकर की है. अगर कोई AI से बना चेहरा किसी असली इंसान जैसा दिखे, तो मैं उसे इस्तेमाल नहीं करता.

कहानी सबसे ऊपर

फिलहाल AI इंसानों की तरह सोच नहीं सकता महसूस नहीं कर सकता और न ही कहानी की गहराई दे सकता है. इसलिए फिल्ममेकर्स को AI को एक सहायक टूल की तरह देखना चाहिए ना कि कहानी से ऊपर रखना चाहिए.

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