
Mandala Murders Review: जब माइथोलॉजी, थ्रिल और मर्डर मिस्ट्री के चक्कर में खुद ही उलझ गई कहानी
Netflix पर रिलीज हुई Mandala Murders एक माइथोलॉजिकल-थ्रिलर वेब सीरीज है, जानिए इस रिव्यू में इसकी कहानी, एक्टिंग, विजुअल्स और कमियों के बारे में विस्तार से.
नेटफ्लिक्स पर आई नई वेब सीरीज 'Mandala Murders' काफी चर्चा में है. इसका प्रोडक्शन यशराज फिल्म्स ने किया है और इसे डायरेक्ट किया है गोपी पूथरन ने, जिन्होंने पहले 'मर्दानी 2' बनाई थी. इस बार वो लेकर आए हैं एक ऐसी सीरीज, जो माइथोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल और मर्डर मिस्ट्री का तड़का लगाने की कोशिश करती है. पर क्या वाकई ये तड़का स्वादिष्ट बना? चलिए जानते हैं आसान भाषा में, पूरी सीरीज का रिव्यू.
कहानी कहां से शुरू होती है?
सीरीज की कहानी है उत्तर भारत के एक काल्पनिक शहर चरणदासपुर की है. यहां के पास मौजूद वरुणा के जंगल में छुपा है एक रहस्य. कुछ महिलाएं एक नए भगवान को जन्म देने की योजना बना रही हैं, जिसे वो 'यस्त' कहती हैं. इस नए भगवान को बनाने के लिए वो अलग-अलग लोगों के शरीर के हिस्सों को जोड़कर उसे एक चुंबकीय मशीन से ज़िंदा करने की कोशिश करती हैं. इन औरतों को आयस्ती कहा गया है और ये सब बहुत ही गुप्त तरीके से काम करती हैं.
क्या है असली मर्डर मिस्ट्री?
कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब बलिदान के नाम पर लगातार लोगों की हत्याएं शुरू होती हैं. ये सिलसिला 1952 से लेकर 2022 तक चलता है. इस केस की तह तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस का सस्पेंडेड इंस्पेक्टर विक्रम सिंह आता है, जो अपनी मां को तलाश रहा है. वहीं, CIB अफसर रिया थॉमस भी केस को सुलझाने के लिए चरणदासपुर पहुंचती हैं. इन दोनों की मुलाकात के बाद कहानी आगे बढ़ती है और हर किरदार की एक गहरी बैकस्टोरी सामने आती है.
किरदारों की भरमार और उनका असर
इस सीरीज की सबसे खास बात है इसके किरदारों की गहराई. लगभग हर किरदार का अपना अतीत है और उसकी एक खास भूमिका है. वाणी कपूर (रिया थॉमस) ने अच्छा काम किया है, खासतौर पर इमोशनल और एक्शन सीन में. वैभव राज गुप्ता ने एक बार फिर अपने अभिनय से दिल जीता है. सुरवीन चावला के कैरेक्टर के कई लेयर हैं और उन्होंने उसे बखूबी निभाया है. जमील खान और रघुबीर यादव जैसे एक्टर्स ने अपने रोल में दम डाला है. श्रिया पिलगांवकर को महामनी के रोल में खास मौका नहीं मिला, उनके किरदार में दम नहीं था. गेस्ट अपीयरेंस में सनी हिंदुजा और अदिति पोहनकर भी नजर आते हैं, लेकिन उनके टैलेंट को इस्तेमाल नहीं किया गया.
क्या कहती है सीरीज की तकनीकी टीम?
बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है. विजुअल इफेक्ट्स और लोकेशन्स शानदार हैं. सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है, लेकिन एक बड़ी गलती है: CBI को बार-बार CIB कहा गया है, जिससे रियलिज्म में कमी आ जाती है.
क्या है कमजोर कड़ी?
बनावटी दुनिया
चरणदासपुर को देखकर लगता है कि ये वाराणसी ही है, मगर उसे फिक्शनल दिखाने की कोशिश बार-बार खटकती है.
असंतुलित कहानी
डायरेक्टर ये तय नहीं कर पाए कि 'आयस्ती' महिलाएं हीरो हैं या विलेन.
भाषा की समस्या
नकली बनारसी एक्सेंट बहुत परेशान करता है.
क्लाइमेक्स में गिरावट
आखिरी दो एपिसोड में कहानी की पकड़ ढीली पड़ जाती है.
आखिर में क्या देखें या छोड़ें?
अगर आप थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री और माइथोलॉजी में दिलचस्पी रखते हैं और आपको थोड़ा जटिल प्लॉट समझने में दिक्कत नहीं होती, तो Mandala Murders एक बार देखी जा सकती है. हालांकि इसमें कुछ कमियां हैं, लेकिन इसकी प्रोडक्शन क्वालिटी और एक्टिंग देखने लायक है. Mandala Murders एक ऐसा शो है, जो बहुत कुछ बनने की कोशिश करता है. मर्डर मिस्ट्री भी, माइथोलॉजिकल भी, और थ्रिलर भी है. इसमें जबर्दस्त एक्टिंग, दमदार कैमरा वर्क और अलग टाइप की कहानी है, लेकिन कहानी का बैलेंस बिगड़ जाता है और यही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनती है.