Mohanlal Birthday: 64 के हुएMohanlal, यूं ही नहीं कहते उनको एक्टिंग का खजाना
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Mohanlal Birthday: 64 के हुएMohanlal, यूं ही नहीं कहते उनको एक्टिंग का खजाना

दक्षिण भारतीय सिनेमा के दिग्गज मलयाली सुपरस्टार Mohanlal जिन्होंने 40 साल के करियर में कई तरह बहुमुखी किरदार निभाए हैं.


कौन हैं मोहनलाल और उन्हें क्यों सुपरस्टार कहा जाता है? इस सवाल का सीधा-साधा जवाब है कि वो एक मलयाली व्यक्ति पूरा लुक कैरी करते हैं, जिनका सफर 'मुंडू' और सिंपल सी शर्ट पहने आम लोगों की कहानी को दर्शाते हैं. भले ही उन्होंने बडे पर्दे पर अपनी मूंछों को घुमाके और बंदूकों को चलाकर डॉन का किरदार निभाया हो, लेकिन मोहनलाल निभाए गए हर एक किरदार की बात ही अलग है.

मोहनलाल मलयालम सिनेमा में एक सुपरस्टार एक्टर हैं. 21 मई, 1960 को केरल के एलंथूर में जन्मे मोहनलाल ने चार दशकों से अधिक समय तक अपने करियर को आगे बढ़ाया है, जिसमें अलग- अलग किदार से लोगों को एंटरटेन किया है. मोहनलाल का एक्टिंग में करियर एक संयोगवश हुआ था. साल 1978 में उन्होंने थिरनोट्टम में एक छोटी भूमिका के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. एक ऐसी फिल्म जिसे कई देरी का सामना करना पड़ा और ये दशकों बाद ही रिलीज़ हुई थी. एक्टर को सफलता साल 1980 की आई फिल्म मंजिल विरिन्जा पुक्कल से मिली थी. जिसमें उन्होंने एक अलग भूमिका निभाई थी.

80 के दशक में मोहनलाल ने खुद को एक अभिनेता के रूप में स्थापित किया. जो कई तरह की भूमिकाएं निभाने में सक्षम थे. साल 1986 में आई फिल्म राजविन्ते मकान में उन्होंने डॉन का किरदार निभाया था. जिसके लिए उन्हें फैंस के द्वारा तारीफ मिली थी. उसी साल टीपी बालगोपालन एमए में उनकी भूमिका ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला फिल्म पुरस्कार मिला था.

1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में मोहनलाल ने खूब काम किया और सफलता भी हासिल की थी. साल 1988 में आई चित्रम जैसी फिल्म में उन्होंने पारिवारिक और सामाजिक जैसी दिक्कतों को निपटाने का किरदार निभाया था. फिल्म किरीदम उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला.

मोहनलाल ने साल 1991 में आई फिल्म भारतम में उन्होंने एक शास्त्रीय संगीतकार की भूमिका निभाई जो अपने जीवन से जूझ रहे थे. इस भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था. इसके बाद उन्होंने फिल्म किलुक्कम में उन्होंने अपनी कॉमेडी से लोदों को खूब हंसाया. जिससे ये साबित हुआ कि वो हर किरदार को निभाने में माहिर हैं. फिल्म वानप्रस्थम के लिए भी उनकी भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना दूसरा राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला. इसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था.

बहुत कम निर्देशकों ने मोहनलाल को एमजी रामचंद्रन की याद दिलाने वाले किरदार में ढालने की कल्पना की होगी. हालांकि, जब मणिरत्नम ने उन्हें एमजीआर और एम करुणानिधि बायोपिक फिल्म इरुवर में कास्ट किया, तो उनका ये किरदार और एक्टिंग मास्टरक्लास थी. मोहनलाल का इस फिल्म में अभिनय काफी अलग था. अपने करियर के आखिरी दौर में मोहनलाल ने भूमिकाएं निभाने से परहेज नहीं किया. थनमात्रा (2005) में अल्जाइमर रोग से पीड़ित एक व्यक्ति की उनकी भूमिका बेहतरीन थी. जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले थे. मोहनलाल इन दिनों लूसिफ़र के सीक्वल पर काम कर रहे हैं, जिसमें पृथ्वीराज एक बार फिर फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं.

जन्मदिन मुबारक हो, मोहनलाल।

(ये स्टोरी कोमल गौतम द्वारा अनुवाद की गई है)

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