Paradise Review: एक उस कपल की कहानी जो श्रीलंका में रामायण यात्रा पर निकल पड़ता है
प्रसन्ना विथानगे की फिल्म पैराडाइज़ जो श्रीलंका के आर्थिक संकट पर आधारित है. ये एक मलयाली कपल फिल्म है, जिसमें उनकी यात्रा एक बुरे सपने में बदल जाती है.
अपनी सालगिरह पर छुट्टियां मनाने पहुंचा एक कपल की यात्रा एक बुरे सपने में बदल जाती है. फिल्म की शुरुआत उस एक कपल से होती जो छुट्टियां मनाने श्रीलंका में जाता है. पति, केसव (रोशन मैथ्यू) की आंखें और कान उसके फोन पर चिपके हुए हैं क्योंकि वो एक कॉल का इंतजार कर रहा है, जबकि पत्नी अमृता (दर्शन राजेंद्रन) अपनी किराए की लैंड क्रूजर की खिड़की से बाहर देखती है और मुस्कुराती आंखों से देखती है. एंड्रयू (श्याम फर्नांडो) कार चलाकर पहाड़ी के ऊपर उनके आर्केडियन होमस्टे तक जाते हैं और अगले कुछ दिनों तक वो उनके साथ गाइड के तौर पर साथ में रहता है. इस यात्रा उनकी शादी की पांचवीं सालगिरह को यादगार बनाने में मदद करती है. फिर उसके बाद ये कपल अपनी यात्रा पर निकल पड़ता है. वो आगे चलकर एक गुफा में एंटर करते हैं जहां मारे गए रावण सोते थे. वहां पर एक मंदिर था जहां सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी.
लेकिन इन सबसे पहले, इस जगह की अनोखी खूबसूरती को महसूस करने से पहले. उन्हें अपने देश की दुखद वास्तविकता का सामना करना होगा. क्योंकि कार काफी खराब सड़कों से गुज़रती है. श्रीलंका ने हाल ही में दिवालियापन की घोषणा की है और वो गंभीर रूप से दबाव में है. उसी बीच एक पुलिस वाला उनकी टैक्सी से लिफ्ट मांगता है क्योंकि उसकी सरकारी गाड़ी में ईंधन खत्म हो जाता है.
श्रीलंकाई लेखक प्रसन्ना विथानगे की पैराडाइज, आर्थिक संकट पर आधारित है. ये एक तनावपूर्ण ड्रामा फिल्म है जो हमको इसमें काफी कुछ अलग देखने को मिलता है, लेकिन लगभग हमेशा अपने असली इरादे के बारे में गुप्त रहता है. पहली नज़र में ये एक शादी के धीरे-धीरे टूटने के बारे में है जो अपराध की घटना के बाद पहली बार संकेत देती है. अमृता और केसव को उनके होमस्टे में चाकू की नोक पर लूट लिया जाता है और उनके फोन उनके आईपैड के साथ उनके कमरे को भी छीन लिए जाता है. ये छुट्टी की एक भयानक शुरुआत है और श्रीलंका से जिस स्वर्ग की उन्हें तलाश थी वो एक दिखावा जैसा लगने लगता है.
हालांकि अम्मू इस पूरे मामले से बेपरवाह है, लेकिन केसव उतना ही परेशान है, क्योंकि उसे एक डील को पूरा करने के लिए कम से कम एक डिवाइस की जरूरत थी. हमने अभी तक जो भी फिल्म में देखा वो सेटअप देखने में काफी अच्छा लगा. साथ ही कैसे एक मैरिड कपल एक छोटे से अपराध के कारण अपने भविष्य को खतरे में देखता है.
लेकिन 2023 बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में किम जिसियोक पुरस्कार जीतने वाली ये फिल्म जल्द ही एक नया मोड़ लेती है और हमें उस विचार को तुरंत रोकने के लिए कहती है. विथानगे कहते हैं कि इसमें और भी बहुत कुछ है, जिन्होंने अब हमें मलयालम बोलने वाले पर्यटकों, सिंहली पुलिस, 'एस्टेट' तमिलों और कुछ और लोगों के साथ कई अलग- अलग पात्रों से परिचित कराया है, जिनमें से सत्य को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पुलिस में शिकायत दर्ज की जाती है और क्षेत्र के मुख्य पुलिसकर्मी, सार्जेंट बंडारा (एक शानदार महेंद्र परेरा, एक श्रीलंकाई अभिनेता), केसव द्वारा संदिग्धों को पकड़ने के लिए धमकाया जाता है. उनका मानना है कि आर्थिक रूप से जर्जर राज्य को उन्हें इस तरह परेशान करने के बजाय उनके लिए रेड कार्पेट बिछाना चाहिए था, क्योंकि हमने यहां आकर उन पर एहसान किया हैं. पैराडाइज़ उन फिल्मों में से एक है जिसमें कुछ भी नहीं और सब कुछ एक ही समय में आपके सामने होता है.
केशव का व्यवहार बेशक रूड है, लेकिन आप अमृता की चिंताओं को महसूस कर सकते हैं क्योंकि वो पहली बार अपने पति के इस पहलू का सामना कर रही है. दर्शना राजेंद्रन इस भूमिका में काफी अलग दिख रही हैं. फिल्म कई मामलों में एक शानदार सरल फिल्म है और फिर भी इसमें इतनी गहराई और परतें हैं कि इसमें प्रस्तुत किए गए सभी एंगल को समझना वास्तव में मुश्किल हो सकता है. लेकिन पैराडाइज़ अपनी कहानी में कहीं भी शाब्दिक नहीं हो जाता है और जब हमें ये फिल्म सभी अलग-अलग एंगल को दिखाती है. ये हमें बताती है कि जैसे-जैसे लोग अनजाने में अपने असली रंग दिखाते जा रहे हैं, हमारे बीच सस्पेंस उजागर करने के लिए नई- नई एंगल फिल्म में डाले गए हैं.