Raj Babbar ने Smita Patil के आखिरी पलों को किया याद, कहा- ‘उसकी आंखों में आंसू थे, उसकी नजरें सब कुछ कह गईं’
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Smita Patil Raj Babbar

Raj Babbar ने Smita Patil के आखिरी पलों को किया याद, कहा- ‘उसकी आंखों में आंसू थे, उसकी नजरें सब कुछ कह गईं’

स्मिता ने अपने प्यार को पूरे मन से जिया, लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा दिन टिक नहीं पाईं.


स्मिता पाटिल का जीवन उनके बेहतरीन अभिनय और राज बब्बर के साथ विवादित रिश्ते के कारण हमेशा चर्चा में रहा. उनकी प्रेम कहानी तब शुरू हुई जब राज पहले से नादिरा बब्बर से शादीशुदा थे. इस रिश्ते ने न सिर्फ सार्वजनिक आलोचना का सामना किया, बल्कि कई भावनात्मक तूफानों को भी जन्म दिया. तमाम चुनौतियों और समाज के तानों के बावजूद स्मिता ने अपने प्यार को पूरे मन से जिया, लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा दिन टिक नहीं पाईं और बेटे प्रतीक के जन्म के कुछ ही दिनों बाद उनका अचानक निधन हो गया था.

तूफानों के बीच पनपा प्यार

उनकी पहली मुलाकात फिल्म भीगी पलकें के सेट पर हुई थी. उस समय राज बब्बर नादिरा से विवाहित थे, लेकिन स्मिता की सहजता और स्वतंत्रता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया. उनकी दोस्ती धीरे-धीरे एक गहरे रिश्ते में बदल गई. एक इंटरव्यू में राज बब्बर ने कहा था, मेरा और स्मिता का रिश्ता नादिरा से किसी समस्या का परिणाम नहीं था. ये बस हो गया. 10 दिसंबर 1981 को राज और स्मिता ने एक सिंपल शादी कर ली थी. उस वक्त राज कानूनी तौर पर नादिरा के पति थे. इसलिए स्मिता उनकी दूसरी पत्नी बनीं. इस रिश्ते के साथ ही एक ऐसा सफर शुरू हुआ जो भावनात्मक उथल-पुथल, सामाजिक निंदा और अकेलेपन से भरा था.

स्मिता का अनोखा रास्ता

स्मिता पाटिल जो नारीवादी आंदोलनों से भी जुड़ी रहीं. एक विवाहित पुरुष से प्रेम और विवाह करना सभी के लिए चौंकाने वाला था. मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ उनके अपने विचारधारा वाले समूहों ने भी उनकी आलोचना की, लेकिन स्मिता अपने फैसले पर अडिग रहीं, क्योंकि उनके लिए ये प्यार सबसे शुद्ध रूप में था.

दर्द में लिपटा प्यार

स्मिता हमेशा से एक मां बनना चाहती थीं. उनकी ये इच्छा पूरी भी हुई जब नवंबर 1986 में उन्होंने बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया, लेकिन खुशियां ज्यादा देर तक नहीं टिक पाईं. बच्चे के जन्म के कुछ ही दिनों बाद स्मिता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हुईं. 13 दिसंबर 1986 को उन्होंने अंतिम सांस ली. मात्र 31 साल की उम्र में उनका इस दुनिया से चले जाना सभी के लिए एक बड़ा आघात था.

स्मिता के निधन के बाद राज बब्बर फिर से नादिरा के पास लौट आए. नादिरा ने इस स्थिति को बड़े धैर्य से संभाला. उन्होंने न केवल अपने बच्चों को इस दर्द से बचाया बल्कि स्मिता के अंतिम संस्कार में भी अपने बच्चों के साथ शामिल हुईं. कई साल बाद नादिरा ने स्वीकार किया, उसके जाने का दुख इतना बड़ा था कि उसने हर दूसरे दर्द को छोटा कर दिया. इसने हम सबको तोड़ दिया राज, प्रतीक, उसके माता-पिता और कहीं न कहीं, मुझे भी.

राज बब्बर की स्मृतियों में जिंदा हैं स्मिता

राज बब्बर जब भी स्मिता का जिक्र करते हैं. उनकी आवाज में आज भी भावनाओं की गहराई महसूस होती है. घर से अस्पताल तक के सफर में वो मुझसे माफी मांगती रही और मैंने उसे भरोसा दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा. उसकी आंखों में आंसू थे. उसकी नजरें सब कुछ कह गईं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया डॉक्टर ने एक घंटे बाद आकर कहा कि वो कोमा में चली गई है. वो मेरी जिंदगी का हिस्सा थी और मैं उसका. वो और उसकी यादें मेरी आखिरी सांस तक मेरे साथ रहेंगी.

एक अधूरी प्रेम कहानी

स्मिता पाटिल की कहानी एक साधारण प्रेम कथा नहीं थी और न ही एक परफेक्ट अंत वाली कहानी. ये एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने सामाजिक बंधनों से परे जाकर प्यार किया. अपनी शर्तों पर जीती रही और दुनिया को दिखा दिया कि प्यार का मतलब क्या होता है. स्मिता आज भी न सिर्फ अपनी फिल्मों के जरिए जिंदा हैं, बल्कि उस प्रेम की याद में भी जो समाज की बंदिशों में कभी नहीं बंध सका.

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