Sikandar review: एक्शन से भरी, फिल्म में ड्रामा और रोमांच की कमी
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Sikandar review: एक्शन से भरी, फिल्म में ड्रामा और रोमांच की कमी

हालांकि, सलमान खान के फैंस के लिए 'सिकंदर’ में कुछ खास एक्शन सीन हैं. लेकिन पूरी फिल्म में कहानी की कमी महसूस होती है.


सलमान खान की नई फिल्म ‘सिकंदर’ आज ईद के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इसके साथ ही फिल्म ने सुर्खियों में जगह बना ली है. इस फिल्म में सलमान खान ने संजय राजा का किरदार निभाया है. जो राजकोट का राजा है और भारत के 25 प्रतिशत सोने का मालिक है. एक स्वर्ण हृदय वाला यह राजा, जो धारावी की कचरा समस्या का समाधान करने के लिए जमीन खरीदने के लिए पूरी तरह से नकद में मदद करता है, कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाता है.

राजा की दुनिया और पत्नी की दूरी

फिल्म में संजय राजा इतना व्यस्त है कि वह अपनी पत्नी के साथ समय नहीं बिता पाता. उसकी पत्नी, जो उसे लता मंगेशकर के गाने जैसे “लग जा गले” गाकर अपनी तरफ खींचने की कोशिश करती है, राजा के दिल में सिर्फ अपने राज्य और मुंबई के लोगों के लिए जगह है. राजा का दिल अपने लोगों के लिए धड़कता है और उसकी कोशिशें कभी अपने राज्य के लिए तो कभी धारावी के लोगों के लिए होती हैं.

अशांत राजनीति और कड़े संदेश

फिल्म में सलमान खान एक सख्त संदेश भी देते हैं, जहां वह एक भ्रष्ट मंत्री से कहते हैं, "कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, यहां तक कि अभिनेता और मंत्री भी जेल जाते हैं." वह यह भी कहते हैं, "मुझे तो बस पलटने की देर है और जो लोग मेरे पीछे हैं, वे मुझसे डर सकते हैं."

धारावी की कचरा समस्या

कहानी में एक्शन सीन्स की भरमार है. सलमान खान अकेले ही 10-20 गुंडों से भिड़ते हैं और इन दृश्यों में वह बांस, त्रिशूल और अन्य हथियारों का उपयोग करते हैं. हालांकि, इन एक्शन दृश्यों का उद्देश्य केवल सलमान खान के ‘स्वैग’ को दिखाना लगता है, जो कि पूरी फिल्म में लगातार जारी रहता है. उनके डायलॉग्स में भी कुछ राजनीतिक संकेत होते हैं. जैसे "न कोई अभिनेता कानून से ऊपर है, और न कोई मंत्री".

कहानी में कमजोर कड़ी और लचर संवाद

फिल्म में हर किरदार का कोई विशेष बैकग्राउंड नहीं है. खलनायक प्रधान और उनके बेटे (प्रतीक बब्बर) का कोई स्पष्ट चरित्र निर्माण नहीं हुआ है. इसके अलावा काजल अग्रवाल का रोल भी सिर्फ एक सपोर्टिंग कैरेक्टर की तरह है. वह सिर्फ कुछ दृश्यों में दिखती हैं और उसके बाद गायब हो जाती हैं.

संगीत और प्रस्तुति की कमी

संगीतकार प्रीतम चक्रवर्ती ने इस फिल्म के लिए कोई खास गीत नहीं दिए हैं और यहां तक कि बैकग्राउंड स्कोर भी बस सलमान खान की ‘हीरो’ छवि को उभारने में ही व्यस्त रहता है. "बंबम भोले शंभू" गाना थोड़ी ताजगी देता है. लेकिन बाकी का संगीत फिल्म से मेल नहीं खाता है.

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