
भूतनी का पर्दा: पर्दे के पीछे की सच्चाई
रीमा सेन, एक जानी-मानी अभिनेत्री, जिसे पहले कभी किसी हॉरर फिल्म में नहीं देखा गया था.
बॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया में जहां ग्लैमर, रोमांस और ऐक्शन का बोलबाला रहता है. वहीं कुछ अभिनेत्रियां ऐसी भी हैं जिन्होंने डरावने किरदारों को अपना बनाया इतना डरावना कि परदे पर देखकर रूह कांप जाए. ये कहानी शुरू होती है एक फिल्म के सेट से नाम था कालरात्रि और इसमें मुख्य भूमिका निभा रही थी रीमा सेन, एक जानी-मानी अभिनेत्री, जिसे पहले कभी किसी हॉरर फिल्म में नहीं देखा गया था.
रीमा को चुड़ैल का किरदार मिला था एक ऐसी आत्मा जो बरसों से एक वीरान हवेली में भटक रही थी बदला लेने के लिए. रोल कठिन था और उसे अपने लुक से लेकर आवाज तक में इतना बदलाव करना पड़ा कि खुद को आईने में देख कर डर जाए.
1. रीमा सेन - 'कालरात्रि' की साया
रीमा के लहूलुहान आंखों, बिखरे बालों और फटी-फटी आवाज़ वाली परफॉर्मेंस ने दर्शकों को थर्रा दिया. लोगों ने कहा, रीमा की आंखों में कुछ था. मानो वो सच में आत्मा बन गई हो.
2. विद्या बालन - 'भूल भुलैया' की मंजुलिका
क्लासिक हॉरर में विद्या बालन ने जब मंजुलिका के रूप में डांस करते हुए अपने चेहरे पर डर को जीवंत किया, तो सिनेमाघर में सन्नाटा छा गया. दर्शक कभी उसे देखने से डरते थे. कभी उसके अभिनय की तारीफ करते थे.
3. बिपाशा बसु - 'राज' और 'आत्मा' की रानी
बिपाशा को हॉरर फिल्मों की रानी कहा गया. उसकी आंखों में डर भी था और दर्द भी. राज में उसका किरदार जब रात के अंधेरे में चीखता था, तो दर्शक भी सीट से उछल जाते थे.
4. अनुष्का शर्मा - 'परी' की परछाई
अनुष्का ने न सिर्फ फिल्म में काम किया. बल्कि उसे प्रोड्यूस भी किया. परी में उसने एक डार्क, टेढ़े-मेढ़े शरीर वाली आत्मा का किरदार निभाया. न कोई साउंडट्रैक, न चीख फिर भी डर ऐसा कि दिल कांप जाए.
5. नुसरत भरूचा - 'छोरी' की छवि
एक मां, जो आत्मा से लड़ रही है और कभी-कभी खुद आत्मा बन जाती है. नुसरत की परफॉर्मेंस इतनी रियल थी कि बहुत से दर्शकों को यकीन हो गया कि उसने कुछ असल देखा होगा.
फिल्मों में चुड़ैलों और आत्माओं के किरदार निभाना केवल डरावना मेकअप और चीखों का खेल नहीं होता. ये है भावनाओं की गहराई में उतरकर दर्शकों की रूह तक पहुंचने का हुनर. इन अभिनेत्रियों ने साबित कर दिया कि डराने के लिए चेहरे पर भूतिया रंग नहीं, आंखों में सच्चाई चाहिए. तो अगली बार जब आप इन फिल्मों को रात के अंधेरे में देखेंगे. तो याद रखिए ये केवल किरदार नहीं, शायद कोई अधूरी आत्मा आपको देख रही हो परदे के उस पार से.