
प्यार, परिवार और फैसलों की कसौटी पर खड़ी कहानी, कैसी है कार्तिक- अनन्या की फिल्म?
कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan)- अनन्या पांडे (Ananya Panday) की रोमांटिक फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ प्यार और परिवार के बीच फंसे रिश्तों की एक सादी लेकिन भावनात्मक कहानी पेश करती है.
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां रिश्ते भी जल्दबाजी में बनते और टूटते नजर आते हैं, वहीं फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ (Tu Meri Main Tera Main Tera Tu Meri) पुराने जमाने के प्यार की सादगी और भावनात्मक गहराई को दोबारा याद दिलाने की कोशिश करती है. ये फिल्म शोर-शराबे और बड़े ट्विस्ट की बजाय दिल से कही गई एक शांत प्रेम कहानी है, जो धीरे-धीरे असर छोड़ती है. निर्देशक समीर विद्वान (Samir Vidwans) ने एक बार फिर कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) के साथ मिलकर ऐसी कहानी चुनी है, जो दिखावे से दूर, आम लोगों की जिंदगी और रिश्तों के करीब है. फिल्म ये सवाल उठाती है कि क्या प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच होता है या उसमें परिवार और जिम्मेदारियां भी उतनी ही अहम होती हैं
कहानी
फिल्म की कहानी रेहान उर्फ रे और रूमी के इर्द-गिर्द घूमती है. ये एक खुले विचारों वाला लड़का है, जो जिंदगी को आसान तरीके से जीना चाहता है. वो करियर और भविष्य की प्लानिंग से ज्यादा आज के पल में यकीन रखता है. दूसरी तरफ रूमी एक भावनात्मक लेकिन समझदार लड़की है, जो अपने परिवार से गहराई से जुड़ी हुई है, खासकर अपने पिता से. एक साथ बिताया गया सफर दोनों को करीब ले आता है. दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है और ये बदलाव इतना स्वाभाविक लगता है कि दर्शक खुद को इस रिश्ते का हिस्सा मानने लगता है. फिल्म का पहला हिस्सा हल्के-फुल्के रोमांस, मजेदार बातचीत और प्यारे पलों से भरा हुआ है, जो चेहरे पर मुस्कान ले आता है. कहानी तब गंभीर मोड़ लेती है, जब रे शादी की बात करता है. यहीं से फिल्म सिर्फ रोमांटिक कॉमेडी न रहकर रिश्तों की परीक्षा बन जाती है. रे की जिंदगी अमेरिका में सेट है, जबकि रूमी अपने पिता को अकेला छोड़ने की कल्पना से भी डर जाती है. प्यार और परिवार के बीच फंसी रूमी की उलझन फिल्म का सबसे मजबूत भावनात्मक पक्ष बनती है.
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
समीर विद्वान का निर्देशन सधा हुआ है. उन्होंने कहानी को जरूरत से ज्यादा भारी नहीं बनाया और भावनाओं को स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ने दिया. फिल्म की गति आरामदायक है, जिससे दर्शक किरदारों से जुड़ पाता है. हालांकि, दूसरे हाफ में कुछ सीन थोड़े लंबे लगते हैं और कुछ टकराव पहले से अनुमानित हो जाते हैं. सिनेमैटोग्राफी फिल्म की खूबसूरती बढ़ाती है. पारिवारिक माहौल, त्योहार और भावनात्मक पल स्क्रीन पर अच्छे लगते हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के साथ बहता है और इमोशन्स को सपोर्ट करता है. एडिटिंग ठीक है, लेकिन थोड़ी और चुस्त हो सकती थी.
संगीत और संवाद
फिल्म का संगीत इसकी जान है. गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं और रोमांटिक और इमोशनल सीन्स को असरदार बनाते हैं. संवाद सरल हैं, लेकिन कई जगह दिल को छू जाते हैं. यही सादगी फिल्म को खास बनाती है. कार्तिक आर्यन रे के किरदार में सहज और भरोसेमंद नजर आते हैं. उनका किरदार प्यार और जिम्मेदारी के बीच झूलता हुआ एक आम युवा लगता है. अनन्या पांडे रूमी के रोल में पहले से ज्यादा परिपक्व दिखाई देती हैं. उनके चेहरे पर दिखता भावनात्मक संघर्ष कहानी को मजबूती देता है. नीना गुप्ता मां के किरदार में गर्मजोशी लाती हैं, वहीं जैकी श्रॉफ रूमी के पिता के रूप में गंभीर और प्रभावशाली नजर आते हैं. सपोर्टिंग कास्ट फिल्म को हल्का और संतुलित बनाए रखती है.
फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका दूसरा हाफ है, जो थोड़ा खिंचा हुआ महसूस होता है. कुछ भावनात्मक सीन और झगड़े छोटे किए जा सकते थे. साथ ही, कहानी के कुछ मोड़ पहले देखे हुए लगते हैं, जिससे फिल्म पूरी तरह नया अनुभव नहीं दे पाती. देखें या नहीं? ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ उन दर्शकों के लिए है, जो तेज ड्रामा नहीं बल्कि सुकून देने वाली प्रेम कहानी देखना चाहते हैं. ये फिल्म प्यार, त्याग और परिवार के महत्व को सरल अंदाज में दिखाती है. अगर आप हल्की-फुल्की, भावनात्मक और दिल से जुड़ने वाली रोमांटिक फिल्म पसंद करते हैं, तो यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है.

