'प्यार किया तो डरना क्या' का मोहक मंचन ताज महल में देखिये
'मुगल-ए-आजम: द म्यूजिकल' एक वैश्विक स्तर की कृति है जो आखिरी बार दिल्ली में दिखाई जाएगी.
फ़िरोज़ अब्बास खान की रचना 'मुग़ल-ए-आज़म: द म्यूजिकल' का वैभव तब जीवंत हो उठा है जब 14 जनवरी 2025 को ताजमहल के प्रांगण में अमर प्रेम गीत 'प्यार किया तो डरना क्या' का मंचन किया गया. टीम 'मुगल-ए-आजम: द म्यूजिकल' ने अपने ऐतिहासिक 300वें शो के उपलक्ष्य में ये शानदार प्रदर्शन किया. अब ये नाटक जवाहर लाल स्टेडियम में नई दिल्ली में 13 फरवरी को दिखाया जाएगा और 23 फरवरी तक जारी रहेगा. ये इस महान कृति को दिल्ली में देखने का अंतिम अवसर है.
ताज महल में अपने भावनात्मक अनुभव के बारे में बताते हुए, फ़िरोज़ अब्बास खान ने कहा, "हम ताज महल के सामने 'प्यार किया तो डरना क्या' का मंचन करके प्यार की सुन्दर, अमर विरासत का जश्न मनाना चाहते थे. संयोग से शकील बदायुनी ने ही ताज की प्रशंसा में एक सुन्दर प्रेम गीत लिखा था और हमारा प्रदर्शन शकील साहब और नौशाद जी को भी श्रद्धांजलि थी, जिन्होंने सभी बाधाओं से परे प्यार के एलान को गीतों में उतारा."
दिल्ली से पहले नाटक का प्रदर्शन 26 जनवरी, 2025 तक मुंबई के एनएमएसीसी में भी होगा. 550 से अधिक उत्कृष्ट पोशाकें लुभावने सेट लाइव गायन और आश्चर्यजनक कथक कोरियोग्राफी की विशेषता के साथ, इस नाटक को भारतीय रंगमंच के इतिहास में एक मील का पत्थर माना गया है. खान कहते हैं, "के आसिफ के कालजयी महाकाव्य को मंच पर प्रस्तुत करते समय हमने अनुमान नहीं लगाया था के ये दुनिया भर में छा जायेगा. अब हम दिल्ली में अपना 300वां शो करने के लिए तैयार हैं और ये मौका हमारे लिए बहुत ख़ास है."
निर्माता दीपेश सालगिया कहते हैं, “शापूरजी पल्लोनजी सिनेमाई और नाटकीय रूप में 75 सालों से अधिक समय से 'मुगल-ए-आजम' की भव्यता से जुड़े हुए हैं. चाहे वो प्रोडक्शन कैनवास हो या मार्केटिंग अभियान. हमने हमेशा नए मानक स्थापित करने की दिशा में काम किया है. उसी भावना के साथ ताज पर प्रदर्शन दिल्ली में हमारे आखिरी शो के उपलक्ष्य में किया गया था.''
शापूरजी पल्लोनजी द्वारा निर्मित और फ़िरोज़ अब्बास खान द्वारा निर्देशित, 'मुगल-ए-आज़म: द म्यूजिकल' ने सात ब्रॉडवे वर्ल्ड इंडिया पुरस्कारों सहित कई सम्मान जीतें हैं. साल 2016 में अपनी शुरुआत के बाद से ये शो वैश्विक स्तर पर दर्शकों का मन मोहता चला आ रहा है और अब सांस्कृतिक विचारधारा का हिस्सा बन गया है.