पार्टी में बाटा सूप, मुंबई पहुंचने पर रिश्तेदारों ने दिया धोखा, ऐसी है पंचायत के दमाद जी की स्ट्रगल स्टोरी
वेब सीरीज पंचायत के कई स्टार ऐसे हैं जिन्हें एक वक्त के बाद लाइमलाइट मिली. इन्ही में से एक हैं पंचायत के दामाद आसिफ खान. जिनकी स्ट्रगल स्टोरी सबसे अलग है.
ना जानें ऐसे कितने लाखों लोग हैं जो सपनों की नगरी मुंबई में अपने सपनों को पूरा करने पहुंचते हैं. सपने सभी के पूरे होते हैं, लेकिन उनको पूरा करने के लिए आपकी मेहनत काम पर आती है. ऐसी ही एक स्ट्रगल स्टोरी हम अपने इस आर्टिकल में आप तक पहुंचाने जा रहे हैं, जिन्होंने बिना कुछ सोचे समझे अपने परिवार वालों को झूठ बोलकर मुंबई में एक्टर बनने का सपना पूरा किया. जी हां, हम बात कर रहे हैं पंचायत के दामाद जी आसिफ खान की. हाल ही में उनका एक छोटा सा इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल होता दिखाई दे रहा है, जिसमें उन्होंने आपने आप पर बिती को सुनाया.
इंटरव्यू में आसिफ खान ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि, गरीब इंसान वो नहीं होता जिसके पास पैसें नहीं होते. गरीब इंसान वो है जिसके आंखों में कोई ख्वाब नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि जब मैं साल 2010 में मुंबई आ रहा था बिना किसी एक्टिंग ट्रेनिंग के तो मेरे एक भाई का दोस्त था. उसने मुझे बोला कि जयपुर आ जा मेरे भाई का एक दोस्त है जो मुंबई में कैटरिंग का काम करता है. तू पहले यहां आ जा मैं तुझे उससे मिलवा दूंगा फिर तू मंबुई चले जाना. आसिफ खान जब जयपुर पहुंचे तो उन्होंने देखा एक महफिल संगीत चल रहा था. वो एक सरकारी पार्टी थी.
उन्होंने आगे बताया, उस पार्टी में उन्हें सूप बांटने के लिए कह दिया. इस बात तो सुनकर आसिफ शॉक्ड हो गए और पार्टी में सूप बांटने चल दिए. सूप बांटते वक्त आसिफ खान अपने फेस को छूपा रहे थे. क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि अगर मैं बाद में फेमस एक्टर बन गया तो कोई मुझे ऐसा ना पहचाने कि इसको तो हमनें उस पार्टी में सूप बांटते हुए देखा था.
आसिफ खान ने आगे बताया, मेरे पिता की मौत के बाद मैं उस घर में रह नहीं पा रहा था. मुझे जेल की तरह लगने लग गया था घर. मुझे मुंबई जाना है और एक्टर बनना है. जब मैं मुंबई पहुंचा तो मैंने अपने कुछ रिश्तेदारों को कॉल की और कहां मैं मुंबई आ गया हूं. मेरे रिश्तेदारों ने कॉल करके कहां हमें आज के बाद कोई कॉल मत करना. फिर उसके बाद मैंने अपने एक दोस्त को कॉल किया और मैंने उससे मदद मांगी. उसके घर पर जाने के बाद मैं रोज नौकरी ढूंढता था क्योंकि उस वक्त मैंने बस 11वीं तक पढ़ाई की हुई थी.
आगे बताया, उन्होंने एक होटल में नौकरी के लिए कॉल और वहां उन्हें एक दिन का 225 रुपये वेतन मिलता था. नौकरी करने के साथ एक्टर ने कई ऑडिशन दिए, लेकिन उनके हाथ सिर्फ असफलता हाथ लगती थी. फिर उन्होंने थिएटर ज्वाइन किया. जहां उन्हें 250 पन्नों का प्ल उन्हें दो बार पढ़कर याद हो जाता था. आसिफ को लगा था कि थिएटर करने के बाद इंडस्ट्री में उन्हें काम आसानी से मिल जाएगा. काफी संर्घष करने बाद उन्हें फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करने को मिले. इसके बाद उन्होंने वेब सीरीज का सहारा लिया और पाताल लोक, जामताड़ा, मिर्जापुर और पंचायत जैसी सीरीज में उनकी जबरदस्त एक्टिंग देखने को मिली और आज वो पंचायत के फेमस दामाद जी बन गए हैं.