न्याय मिलने में देर तो होगी ही, 25 हाइकोर्ट में जजों के इतने पद खाली
x

न्याय मिलने में देर तो होगी ही, 25 हाइकोर्ट में जजों के इतने पद खाली

बेहतर न्यायिक व्यवस्था के लिए पर्याप्त संख्या में जज होने चाहिए. लेकिन भारत में कई तरह की चुनौतियां हैं. 25 हाईकोर्ट में करीब 29 फीसद जजों के पोस्ट खाली हैं.


High court Judge News: भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की तीन अहम अंग है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. यहां बात हम न्यायपालिका की करेंगे, न्यायपालिका में निचली स्तर की अदालत जिला अदालत, मध्य स्तर पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में है. भारत की न्यायिक प्रणाली के बारे में कहा जाता है कि वो खुद अपने ही बोझ के तले दबी हुई. अदालतों के पास पर्याप्त संख्या में जज नहीं हैं और उसका असर केस की सुनवाई पर नजर आता है. जिला, उच्च या सर्वोच्च न्यायालय सभी अदालतों में लंबित केसों की संख्या मिलाकर लाखों में हैं. इन सबके बीच हम बात करेंगे उच्च न्यायालय में जजों की संख्या के बारे में.

ये हैं कुछ आंकड़े
देश के सभी उच्च न्यायालयों के लिए जजों की स्वीकृत संख्या 1114 है, लेकिन 29 फीसद यानी करीब 327 पोस्ट खाली हैं. इलाहाबाद हाइकोर्ट, हरियाणा पंजाब, गुजरात बांबे और कलकत्ता हाईकोर्ट में खाली पदों की संख्या करीब 52 फीसद है. जैसे इलाहाबाद में कुल स्ट्रेंथ 160 है. खाली पदों की संख्या 69 है. पंजाब हरियाणा की कुल स्ट्रेंथ 85, खाली पदों की संख्या 30 है. बांबे हाईकोर्ट में कुल पदों की संख्या 94, खाली पदों की संख्या 26, कलकत्ता में कुल पदों की संख्या 72, खाली पदों की संख्या 23, गुजरात में कुल पदों की संख्या 52, खाली पदों की संख्या 23, पटना में कुल पदों की संख्या 53, खाली पदों की संख्या 19, दिल्ली में कुल पदों की संख्या 60 और खाली पद की संख्या 18 है.

केंद्र सरकार का क्या है कहना

इस संबंध में पिछले साल दिसंबर में कुछ सांसदों ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से सवाल पूछा था. कानून मंत्री ने कहा कि जजों की नियुक्ति के मामले में जो सिफारिशें आ रही हैं उनकी रफ्तार बेहद धीमी है. उच्च न्यायलयों की कॉलेजियम तय समय सीमा में काम नहीं कर रही हैं. कुल 189 जजों के नाम पर अलग अलग हाइकोर्ट की कॉलेजियम के सामने है लेकिन उस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है. इसकी वजह से बैकलॉग में बढ़ोतरी हुई है.

इस तरह होती है जजों की नियुक्ति

मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत हाइकोर्ट के जजों की नियुक्ति होती है. इस मामले में संबंधित हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस दो सीनियर जजों की सलाह से जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करते हैं. नियक्ति की व्यवस्था यह है कि किसी वैकेंसी के क्रिएट होने से पहले ही चयन की प्रक्रिया शुरू की जाए. लेकिन इस समय सीमा का पालन नहीं हो पाता है. जब हाइकोर्ट का कॉलेजियम किसी नाम पर अपनी सहमति दे देता है तो उस नाम पर आईबी की इनपुट ली जाती है और केस को सुप्रीम कोर्ट भेज दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम अंतिन निर्णय लेकर नोटिफिकेशन जारी करने के लिए उपयुक्त नामों को भेज देता है.अगर किसी नाम पर सुप्रीम कोर्ट असहमत होता है उस केस में हाइकोर्ट को दोबारा विचार करने के लिए कहा जाता है.


Read More
Next Story