पुरी जगन्नाथ यात्रा: 53 साल बाद दो दिनों तक निकलेगी रथ यात्रा
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पुरी जगन्नाथ यात्रा: 53 साल बाद दो दिनों तक निकलेगी रथ यात्रा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व कई वीवीआईपी समेत 10 से 15 लाख लोग रथ यात्रा में होंगे शामिल,


Jagannath Rath Yatra: ओडिशा की पवित्र नगरी पुरी में भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. कुछ ही देर में रथ यात्रा शुरू होगी जो दो दिन तक चलेगी. ऐसा 53 साल बाद हो रहा है, जब पवित्र जगन्नाथ यात्रा दो दिन तक चलेगी. क्योंकि रथ यात्रा से पहले देवताओं के प्रमुख अनुष्ठान जैसे नबाजौबन दर्शन और नेत्र उत्सव, रथ यात्रा के दिन ही मनाए जाते हैं. इससे पहले ऐसा 1971 में हुआ था.

राष्ट्रपति मुर्मू भी रहेंगी मौजूद

पवित्र नगरी में रथ यात्रा के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालु एकत्रित हुए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित कई गणमान्य लोग रविवार को इस भव्य समारोह को देखने के लिए मौजूद रहेंगे. राज्य सरकार ने उनके दौरे के लिए विशेष व्यवस्था की है.

ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के लिए वीआईपी जोन की योजना बनाई गई है, जबकि राष्ट्रपति के लिए बफर जोन की योजना बनाई गई है. तीर्थ नगरी में मुर्मू की यात्रा की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ एसपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक समर्पित टीम गठित की गई है.


रथ हैं तैयार

रथों को जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है, जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा, जहां देवता अपना सप्ताह भर का 'अवकाश' बिताएंगे. शनिवार को बढ़ई और कलाकारों द्वारा तीनों रथों को अंतिम रूप दिया गया. त्योहार से पहले ही श्रद्धालुओं और पुलिस द्वारा तीनों रथों को रथ खला (जहां सेवक बढ़ई द्वारा रथों का निर्माण किया जाता है) से खींचकर सिंहद्वार (सिंह द्वार) तक ले जाया जा चुका है. रविवार दोपहर को भक्तों द्वारा रथ खींचा जाएगा

दुर्लभ उत्सव

इस वर्ष, रथ यात्रा और इससे संबंधित अनुष्ठान जैसे 'नबाजौबन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' एक ही दिन में - 7 जुलाई को आयोजित किए जाएंगे. ये अनुष्ठान आमतौर पर रथ यात्रा से पहले आयोजित किए जाते हैं.

नबाजौबन दर्शन का अर्थ है देवताओं का युवा रूप, जो स्नान पूर्णिमा के बाद 15 दिनों के लिए दरवाजे के पीछे रहते थे, जिसे 'अनासरा' (संगरोध) कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्नान पूर्णिमा पर अधिक स्नान करने के कारण देवता बीमार पड़ जाते हैं और इसलिए घर के अंदर ही रहते हैं.

'नबाजौबन दर्शन' से पहले, पुजारियों ने 'नेत्र उत्सव' नामक विशेष अनुष्ठान किया, जिसमें देवताओं की आंखों को नए सिरे से रंगा जाता है.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

इस बीच, राज्य सरकार ने वार्षिक महोत्सव के सुचारू और समय पर आयोजन के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं. पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, "सभी हितधारकों के सहयोग से सभी अनुष्ठान सुचारू रूप से चल रहे हैं. भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से अन्य सभी अनुष्ठान भी तय समय के अनुसार ही संपन्न होंगे." पुरी के पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने बताया कि त्योहार के दौरान कानून-व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की देखभाल के लिए राज्य और केंद्र सरकार के सुरक्षाकर्मियों की 180 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 जवान होते हैं) तैनात की गई हैं.

भीड़ में से बीमार होने वाले किसी भी व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार रखा गया है.

एआई तकनीक वाले सीसीटीवी कैमरों से निगरानी

एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि महोत्सव स्थल बड़ादंडा और तीर्थ नगरी के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. 10 से 15 लाख की भीड़ आने की उम्मीद को देखते हुए अग्निशमन विभाग ने इंतजाम किए हैं.


गर्मी और उमस से निजात के लिए भक्तों पर होगा छिड़काव

अग्निशमन सेवा के महानिदेशक सुधांशु सारंगी ने बताया कि रथ यात्रा के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों और समुद्र तट पर कुल 46 आधुनिक अग्निशमन गाड़ियां तैनात की गई हैं.

उन्होंने कहा कि चूंकि मौसम गर्म और उमस भरा हो सकता है, इसलिए भीड़ पर समय समय पर पानी का छिड़काव किया जाएगा.

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