फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, NSA डोभाल व चीनी विदेश मंत्री की मौजूदगी में भारत-चीन के बीच बनी सहमति
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फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, NSA डोभाल व चीनी विदेश मंत्री की मौजूदगी में भारत-चीन के बीच बनी सहमति

India China Meeting: भारत और चीन के बीच पांच साल के अंतराल के बाद विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की बैठक हुई. बीजिंग में हुई इस बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी.


Kailash Mansarovar Yatra: लगता है कि चीन और भारत के बीच रिश्तों की जमी बर्फ पिघलने लगी है. दोनों ही पड़ोसी देश एक-दूसरे के साथ संबंध सुधारने की कवायद में लगे हुए हैं. इसका ही नतीजा है कि पिछले चार साल यानी कि कोविड महामारी (Covid pandemic) के बाद से बंद कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) फिर से शुरू होने वाली है. भारत और चीन के बीच इस यात्रा शुरू करने को लेकर सहमति बनी है. दोनों देशों के बीच पांच साल के अंतराल के बाद विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की बैठक हुई. बीजिंग में हुई इस बैठक में कई अन्य मुद्दों पर भी सहमति बनी. बता दें कि बॉर्डर मुद्दे पर बने इस मैकेनिज्म की आखिरी बैठक दिसंबर 2019 के बाद पहली बार हुई है. भारत की तरफ से इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) और चीन की ओर से विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए.

द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और चीन ने बुधवार को सीमा पार आदान-प्रदान को मजबूत करने और कैलाश-मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) को फिर से शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की. बता दें कि कोविड-19 महामारी (Covid pandemic) और चीन द्वारा यात्रा को लेकर कोई कदम न उठाने की वजह से साल 2020 से कैलाश-मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) स्थगित है. ऐसे में यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र सरकार चीनी अधिकारियों के साथ कूटनीतिक रूप से बातचीत कर रहा है.

बता दें कि कैलाश-मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) एक चुनौतीपूर्ण तीर्थयात्रा है, जो तिब्बती पठार से होकर गुजरती है. हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाने वाली यह यात्रा कैलाश पर्वत के आसपास केंद्रित है, जिसे भगवान शिव का निवास माना जाता है. कैलाश पर्वत चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है. इस चोटी पर जाने के लिए यात्रियों के पास कई मार्गों के विकल्प मौजूद है. इनमें नेपाल में काठमांडू, नेपाल में सिमिकोट और तिब्बत में ल्हासा है. वहीं, भारत की ओर से चोटी पर जाने के लिए दो रास्ते हैं. इनमें से एक रास्ता लिपुलेख दर्रे (उत्तराखंड) से होकर जाता है और दूसरा रास्ता नाथू ला दर्रे (सिक्किम) से होकर जाता है.

पांच साल बाद हुई इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल (Ajit Doval) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच हुए समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन करने पर सहमति जताई और दोहराया कि "कार्यान्वयन कार्य जारी रहना चाहिए". नई दिल्ली और बीजिंग इस मामले पर छह आम सहमति बिंदुओं पर पहुंचे, जिसमें सीमा समाधान प्राथमिक फोकस था.

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में कज़ान में हुई बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार विशेष प्रतिनिधियों ने मुलाकात की, ताकि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख की जा सके और सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशा जा सके. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डोभाल (Ajit Doval) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान में हुई बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार मुलाकात की, ताकि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख की जा सके और सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशा जा सके.

विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा प्रश्न के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य ढांचे की तलाश करते हुए समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को बनाए रखने के महत्व को दोहराया और इस प्रक्रिया में और अधिक जीवंतता लाने का संकल्प लिया. साल 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में टकराव के बाद से यह एसआर की पहली बैठक थी. एसआर ने अक्टूबर 2024 के नवीनतम विघटन समझौते के कार्यान्वयन की सकारात्मक रूप से पुष्टि की, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित क्षेत्रों में गश्त और चराई हुई. दोनों एसआर ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया.

साल 2020 की घटनाओं से सीख लेते हुए, उन्होंने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने और प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की. उन्होंने इस उद्देश्य के लिए संबंधित राजनयिक और सैन्य तंत्रों का उपयोग, समन्वय और मार्गदर्शन करने का निर्णय लिया. एसआर ने आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) को फिर से शुरू करने, सीमा पार नदियों और सीमा व्यापार पर डेटा साझा करने सहित सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान के लिए सकारात्मक दिशा-निर्देश दिए.

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