
Air India हादसा: WSJ की रिपोर्ट में कैप्टन पर सवाल
इस क्रैश की जांच में कॉकपिट स्विच से इंजन बंद होना एक अहम खुलासा है और यह मानव त्रुटि, मानसिक स्थिति या तकनीकी चूक—इन सभी पर सवाल खड़े करता है। बहरहाल, यह पूरा मामला अभी जांच प्रक्रिया में है—जिसमें अंतिम निर्णय आने में अभी समय लगेगा।
12 जून को एयर इंडिया की बोइंग 787 ‘ड्रीमलाइनر’ AI 171 फ्लाइट क्रैश की शुरुआती जांच में सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। Wall Street Journal और Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना के तुरंत बाद कॉकपिट रिकॉर्डिंग से पता चला कि कैप्टन ने एक-के-बाद-एक दोनों इंजनों के ईंधन सप्लाई स्विच ‘cutoff’ की ओर घुमाए थे, जिससे इंजन बंद हो गए।
क्या हुआ कॉकपिट में?
टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद को- पायलट क्लाइव कुंडर चौंककर पूछते हैं – “यह ईंधन क्यों बंद किया?” कैप्टन समीत सबरवाल इसका जवाब देते हैं कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। जांच अधिकारियों ने बताया कि स्विच एक सेकंड के अंतर से ‘cutoff’ पर चले गए, पर किसी ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि किसने किया।
सीसीटीवी में दिखा कि टेकऑफ़ के तुरंत बाद एक बैकअप सिस्टम ‘राम एयर टरबाइन’ निकल आया — इसका मतलब था कि इंजन पावर चली गई। विमान 650 फीट की ऊंचाई पर पहुंचते ही खोखला हो गया, फिर से इंजन स्टार्ट होने की कोशिश हुई, लेकिन पर्याप्त ऊंचाई नहीं होने के कारण वह गिर गया, जिससे 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई, साथ ही जमीन पर 19 लोग भी मरे।
तकनीकी दोष?
एयर इंडिया के CEO कैंपबेल विल्सन ने कहा कि जांच में कोई मैकेनिकल या मेन्टेनेंस फॉल्ट नहीं मिला। DGCA तथा FAA की जांच में भी स्विच सुरक्षित पाए गए — इस दिशा में कोई सुरक्षा सुझाव सामने नहीं आए।
मानव त्रुटि या तकनीकी चूक?
कई अमेरिकी एविएशन विशेषज्ञ का मानना है कि स्विच को मनुश्यता से ही ‘cutoff’ किया गया होगा, क्योंकि तकनीकी तौर पर गलती होना संभव नहीं। AAIB ने यह साफ किया कि स्विच ‘cutoff’ पर थे लेकिन किसने किया यह अभी स्पष्ट नहीं।
पायलट संगठन नाराज
Federation of Indian Pilots (FIP) ने रिपोर्ट से आपत्ति जताते हुए कहा कि मीडिया द्वारा पायलट त्रुटि को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया और पायलटों को जांच प्रक्रिया से बाहर रखा गया। ALPA India ने भी कहा कि पायलटों को सम्मान दें और उन्होंने अपने आखिरी प्रयासों को होशियारी भरा बताया।
फाइनल रिपोर्ट कब आएगी?
अंतिम रिपोर्ट में सभी पहलुओं को मिलाकर निष्कर्ष आएगा, जो एक साल के भीतर आ सकता है। इस बीच जांच एजेंसियां, वाहन निर्माता, सरकार और विमान सुरक्षा विशेषज्ञों से सबूत जुटा रही हैं।