
संसद पर 'कब्जे' का आरोप, कांग्रेस ने कहा विपक्ष के मुद्दे किये जाते हैं नजरअंदाज
गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा, संसद लोकतंत्र का सही रूप नहीं दिखा रही।
Parliament Session : संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होते ही विपक्ष और खासकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखी आलोचना शुरू कर दी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि “प्रधानमंत्री मोदी ने संसद पर कब्ज़ा कर लिया है और विपक्ष के प्रमुख मुद्दों को उठाने नहीं दे रहे।”
गोगोई ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि विपक्षी दलों ने फ्लोर लीडर्स की बैठक में भारतीय चुनाव प्रणाली पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन भाजपा ने इसे इस सप्ताह के संसद एजेंडे में शामिल करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “संसद को केवल सरकार के बिल पास करने के लिए नहीं चलाना चाहिए, बल्कि विपक्ष के मुद्दों को भी चर्चा में शामिल करना चाहिए।”
सत्र शुरू होने से पहले मीडिया से बातचीत में गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सभी बिलों में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन उनका एकमात्र अनुरोध है कि सरकार विपक्ष के मुद्दों को भी चर्चा में जगह दे। उन्होंने कहा, “सरकार सिर्फ अपने बिल पास करना चाहती है और विपक्ष के उठाए गए मुद्दों को शामिल करने के लिए कोई जगह नहीं है। यही संसद लोकतंत्र का तरीका नहीं है।”
गोगोई ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव भी दायर किया है, जिसमें उन्होंने चुनावी सूची (Electoral Roll) की कमजोरियों पर बहस की मांग की है। उन्होंने इसे “राष्ट्रव्यापी गंभीर चिंता का मुद्दा” बताया।
प्रियंका गांधी ने भी केंद्र पर निशाना साधा
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि केंद्र सरकार “किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहती। अगर SIR पर नहीं, तो चुनाव सुधार या कोई अन्य संबंधित विषय चर्चा में लाया जा सकता है। अगर सरकार कुछ भी चर्चा में शामिल नहीं करेगी, तो संसद कैसे चलेगी?”
प्रियंका ने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री को थोड़ी नजर बाहर भी डालनी चाहिए और देखना चाहिए कि देश में क्या हो रहा है। उन्होंने सभी से मौसम का आनंद लेने को कहा, लेकिन दिल्लीवासियों के लिए कौन सा मौसम है?”
यह टिप्पणी पीएम मोदी के विपक्ष पर कटाक्ष के कुछ घंटे बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था, “जो भी नाटक करना चाहता है, वह कर सकता है। यहां डिलीवरी होनी चाहिए, न कि नाटक। जोर नीति पर होना चाहिए, न कि नारों पर।”
सत्र की शुरुआत के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्ष और सरकार के बीच टकराव का माहौल बना हुआ है, खासकर चुनाव सुधार और अन्य संवेदनशील मुद्दों को लेकर।
Next Story

