अमेरिकी राजनयिक और मंत्री भारत में क्यों मिल रहे हैं विपक्षी अल्प संख्यक नेताओं से
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अमेरिकी राजनयिक और मंत्री भारत में क्यों मिल रहे हैं विपक्षी अल्प संख्यक नेताओं से

रिटायर्ड ब्रिगडियर वी महालिंगम ने 'X' पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार को इन मुलाकातों पर सजग रहने के लिए कहा है. उन्होंने चिंता जताई है कि आखिर अमेरिका विपक्षी नेताओं से क्यों मिल रहा है


America in India: अमेरिकी राजनयिक और मंत्री इन दिनों भारत में केंद्र सरकार के विरोधियों से मुलाक़ात करने में जुटे हैं हैं, खासतौर से उन लोगों से जो मोदी सरकार के खिलाफ लगभग हर समय मुखर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका के मन में क्या है? क्यों वो इस तरह से विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहा है, खासतौर से अल्पसंख्यक नेताओं से. अमेरिका की इन मुलाकातों पर रक्षा विश्लेषक रिटायर्ड ब्रिगडियर वी महालिंगम ने सवाल उठाया है.


'X' पर लिखा केन्द्रीय मंत्री समेत अन्य नेताओं को सतर्क रहने की दी सलाह

रक्षा विश्लेषक रिटायर्ड ब्रिगडियर वी महालिंगम इस अमेरिका के इस कदम पर 'X' पर पोस्ट करते हुए लिखा ''राजनीतिक मामलों के मंत्री-परामर्शदाता ग्राहम मेयर, प्रथम सचिव गैरी एप्पलगार्थ और राजनीतिक सलाहकार अभिराम सहित अमेरिकी राजनयिकों ने 26 अगस्त को श्रीनगर में गुपकार निवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की.
कहा जाता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने अमेरिकी राजनयिकों से जम्मू-कश्मीर के लिए अमेरिका द्वारा जारी यात्रा सलाह को आसान बनाने के लिए कहा और “जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की.”
इस महीने की शुरुआत में हैदराबाद में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के घर पर अमेरिकी महावाणिज्यदूत जेनिफर लार्सन की दूसरी यात्रा के बाद, यह श्रीनगर की यात्रा क्यों है?


ये सवाल उठाया
रिटायर्ड ब्रिगडियर वी महालिंगम ने एक सवाल भी पूछा. उन्होंने लिखा '' मेरा सवाल ये है कि अमेरिकी राजनयिक हैदराबाद और श्रीनगर जैसे संवेदनशील इलाकों में विपक्षी नेताओं से क्यों मिल रहे हैं? क्या ये बैठकें ज़रूरी थीं? क्या इन कदमों के पीछे कोई छिपी हुई मंशा है?''



इसके साथ ही उन्होंने 'X' के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ये कहा है कि वे सतर्क रहें और नज़र बनाये रखें.


ज्ञात रहे कि पिछले दिनों पडोसी देश बांग्लादेश में जिस तरह से तख्ता पलट हुआ और हिंसक प्रदर्शन हुए, उसे लेकर भी बांग्लादेश समेत कई अन्य देशों के विश्लेषकों ने इन सबके पीछे कहीं न कहीं अमेरिका का हाथ होने का शक जताया है. यही वजह है कि जो सवाल रिटायर्ड ब्रिगडियर ने उठाये हैं, उन्हें हलके में नहीं लेना चाहिए, वो भी तब जब कश्मीर में लम्बे समय बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और नेशनल कांफ्रेंस यानी ओमर अब्दुल्लाह की पार्टी ने चुनाव जीतने पर राज्य में फिर से धारा 370 लागू करने की पहल की है.


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