नेहरू-इंदिरा ने की वोट चोरी, अमित शाह का गांधी परिवार पर जोरदार हमला
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नेहरू-इंदिरा ने की वोट चोरी, अमित शाह का गांधी परिवार पर जोरदार हमला

Lok Sabha debate: गृह मंत्री ने विपक्ष पर एकतरफा झूठ फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि SIR को गलत तरीके से केंद्र सरकार द्वारा मतदाता हटाने की कवायद के रूप में पेश किया जा रहा है।


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Amit Shah: लोकसभा में बुधवार को चुनावी सुधारों पर हुई गर्मागर्म बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी अनियमितताएं या 'वोट चोरी' कोई नई बात नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के दौर से हुई थी। शाह ने यह भी दावा किया कि सोनिया गांधी भारतीय नागरिक बनने से पहले ही मतदाता सूची में दर्ज थीं। शाह ने कहा कि ये उदाहरण दिखाते हैं कि चुनावी प्रक्रियाओं में हेरफेर दशकों से होता आया है, जो भाजपा के अस्तित्व से भी पहले का है।

विपक्ष पर हमला

गृह मंत्री ने विपक्ष पर एकतरफा झूठ फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को गलत तरीके से केंद्र सरकार द्वारा मतदाता हटाने की कवायद के रूप में पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रहा है और इसे राजनीति रंग देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने विपक्ष की नाराजगी को “इतिहास से असहज होने” की मानसिकता बताया। शाह ने कहा कि इतिहास बताने पर कुछ लोग परेशान हो जाते हैं, लेकिन अतीत को समझे बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता।

शाह की ‘तीन वोट चोरी’ की सूची

शाह ने तीन घटनाओं का उल्लेख किया, जिन्हें उन्होंने “वोटर चोरी” कहा:-

1. नेहरू का सिर्फ दो वोटों से प्रधानमंत्री बनना

शाह ने दावा किया कि स्वतंत्रता के बाद नेतृत्व चयन में सरदार पटेल को 28 वोट मिले थे, जबकि नेहरू को सिर्फ दो—“फिर भी नेहरू प्रधानमंत्री बने।”

2. इंदिरा गांधी को खुद को बचाने के लिए दी गई ‘इम्युनिटी’

शाह ने कहा कि 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा चुनाव रद्द किए जाने के बाद इंदिरा गांधी ने खुद को संरक्षण देने के लिए कानून में बदलाव किया।

3. सोनिया गांधी के नागरिकता से पहले मतदाता बनने का आरोप

शाह ने दावा किया कि यह विवाद सिविल कोर्ट तक पहुंचा था। इस पर कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कड़ा विरोध जताते हुए शाह को चुनौती दी कि वे इसे साबित करें।

क्या घुसपैठिये PM और CM तय करेंगे?

SIR का बचाव करते हुए शाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को डर है कि अवैध प्रवासियों के नाम हटने से उनका वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। उन्होंने पूछा कि क्या घुसपैठियों को यह तय करने दिया जाए कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कौन बनेगा? बिल्कुल नहीं। उन्होंने फिर दोहराया कि SIR का उद्देश्य मृतकों के नाम हटाना, विदेशी नागरिकों को निकालना, डुप्लिकेट हटाना और नए 18+ युवाओं को जोड़ना है।

SIR चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र

शाह ने कहा कि SIR पूरी तरह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है और संसद इसके विवरण पर चर्चा नहीं कर सकती। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 1995 के लाल बाबू हुसैन फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आयोग नागरिकता की जांच करने में सक्षम है।

राहुल गांधी के ‘501 वोट’ दावे पर निशाना

शाह ने राहुल गांधी के इस दावे को “झूठा” बताया कि हरियाणा के एक घर से 501 वोट डाले गए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वहां कई परिवारों की पुश्तैनी भूमि है, जिसे गलत तरीके से वोट चोरी के रूप में पेश किया गया। उन्होंने विपक्ष पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब आप जीतते हैं तो EC अच्छा, जब हारते हैं तो EC खराब। भाजपा ने भी चुनाव हारे हैं, लेकिन हमने कभी EC की निंदा नहीं की।

राहुल गांधी से तीखी नोकझोंक

बहस के दौरान राहुल गांधी के हस्तक्षेप पर सदन में तनावपूर्ण स्थिति बन गई। शाह ने कहा कि वह तय नहीं कर सकते कि मैं क्या बोलूं। उन्हें धैर्य रखना सीखना चाहिए। इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया कि शाह “डरे हुए” हैं, लेकिन शाह ने आगे पलटवार से परहेज किया।

कांग्रेस और INDI गठबंधन पर हमला

शाह ने कहा कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और उसके साथियों ने पहुंचाया है, जिनमें ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन और भगवंत मान शामिल हैं। उन्होंने पूछा कि अगर मतदाता सूची गलत है, तो जीतने के बाद शपथ क्यों ली?

NDA बहस से नहीं भागता

शाह ने विपक्ष के दावे को खारिज किया कि सरकार बहस से बच रही थी। उन्होंने कहा कि NDA कभी चर्चा से नहीं भागता। संसद सबसे बड़ी पंचायत है। शाह ने कहा कि SIR, जो चुनाव आयोग का विषय है, उसी पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकती। शाह ने कहा कि SIR विपक्ष की शिकायतें दूर करने के लिए ही चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई सूची हो या पुरानी, आपकी हार तय है। चुनाव मतदाता सूची से नहीं, जनता के समर्थन से जीते जाते हैं।

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