
बाढ़ प्रबंधन को लेकर अमित शाह ने की बैठक, कहा- नॉर्थ-ईस्ट में बनाए जाएं तालाब
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बाढ़ से निपटने और कृषि, सिंचाई एवं पर्यटन को विकसित करने के लिए ब्रह्मपुत्र के पानी को मोड़ने के लिए पूर्वोत्तर में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाए जाने चाहिए.
Amit Shah Flood Management Meeting: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि बाढ़ से निपटने और कृषि, सिंचाई एवं पर्यटन को विकसित करने के लिए ब्रह्मपुत्र के पानी को मोड़ने के लिए पूर्वोत्तर में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाए जाने चाहिए. मानसून के दौरान बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने बाढ़ और जल प्रबंधन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा उपलब्ध कराए गए सेटेलाइट फोटो के उपयोग पर भी जोर दिया. इस दौरान उन्होंने ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) से निपटने की तैयारियों का भी जायजा लिया.
शाह ने कहा कि बेहतर बाढ़ प्रबंधन के लिए नदियों के जलस्तर के पूर्वानुमान प्रणाली को उन्नत करने के प्रयास किए जाने चाहिए. पूर्वोत्तर में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाए जाने चाहिए, ताकि ब्रह्मपुत्र के पानी को मोड़कर इन तालाबों में संग्रहित किया जा सके. इससे उन क्षेत्रों में कम लागत पर कृषि, सिंचाई और पर्यटन को विकसित करने में मदद मिलेगी तथा बाढ़ से निपटने में भी मदद मिलेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.
ब्रह्मपुत्र में बार-बार आने वाली बाढ़ असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक बड़ी समस्या है. क्योंकि इससे हर साल कई लोगों की जान जाती है और हजारों हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाती है. पिछले कुछ वर्षों में ग्लेशियर झील के फटने के कारण आई बाढ़ के कारण सिक्किम और उत्तराखंड में कई लोग मारे गए, सैकड़ों लोग बेघर हो गए और संचार लाइनें और सड़क नेटवर्क टूट गए, जो मानसून के दौरान सरकार के लिए एक और बड़ी चिंता का विषय बन गया है.
गृह मंत्री ने कहा कि बाढ़ की स्थिति में जलभराव से निपटने के लिए प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली को सड़क निर्माण के डिजाइन का अभिन्न अंग होना चाहिए. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का आपदा प्रबंधन 'शून्य हताहत दृष्टिकोण' के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने संबंधित विभागों को सिक्किम और मणिपुर में हाल में आई बाढ़ का विस्तृत अध्ययन करने और केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए.
गृह मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बाढ़ निगरानी केन्द्रों को आवश्यकताओं और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए. बैठक के दौरान गृह मंत्री ने पिछले वर्ष की बैठक में लिए गए निर्णयों पर की गई कार्रवाई की भी समीक्षा की. इसके साथ ही बाढ़ प्रबंधन के लिए सभी एजेंसियों द्वारा अपनाई जा रही नई प्रौद्योगिकियों तथा उनके नेटवर्क के विस्तार पर भी चर्चा की गई.
शाह ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बाढ़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा जारी सलाह को समय पर लागू करने की अपील की. उन्होंने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और सीडब्ल्यूसी को बाढ़ पूर्वानुमान में उपयोग किए जाने वाले सभी उपकरणों के पुनः समायोजन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया. उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी प्रमुख बांधों के द्वार अच्छी स्थिति में हों.
गृह मंत्री ने कहा कि गैर-बारहमासी नदियों में मिट्टी का कटाव और गाद जमने की अधिक आशंका होती है, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आती है. उन्होंने एनडीएमए और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को वनों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए उचित एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए. इसके लिए गृह मंत्री ने नियमित रूप से सूखी पत्तियां हटाने तथा स्थानीय निवासियों और वन कर्मियों के साथ मॉक ड्रिल आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
इसके साथ ही उन्होंने एक ही स्थान पर बार-बार जंगल में आग लगने की घटनाओं का भी विश्लेषण करने को कहा. शाह ने एनडीएमए से वनों में आग की घटनाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत मैनुअल तैयार करने को कहा.
उन्होंने निर्देश दिया कि बिजली गिरने के संबंध में आईएमडी की चेतावनी एसएमएस, टीवी, एफएम रेडियो और अन्य मीडिया के माध्यम से समय पर जनता तक पहुंचाई जानी चाहिए. उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा विकसित मौसम, वर्षा और बाढ़ चेतावनी संबंधी ऐप्स को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि उनका लाभ लक्षित आबादी तक पहुंच सके.
शाह ने निर्देश दिए कि चूंकि किसी भी आपदा के समय समुदाय ही सबसे पहले प्रतिक्रियाकर्ता होता है. इसलिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों में समन्वय और एकीकरण होना चाहिए, ताकि उनका अधिकतम प्रभाव हो सके.