जगन रेड्डी विवाद: तिरुपति ही नहीं, ये हैं 9 प्रमुख भारतीय मंदिर, जहां गैर-हिंदुओं का प्रवेश है वर्जित
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी के बीच तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में जाने की इच्छा को लेकर विवाद छिड़ गया है.
Lord Venkateswara temple Tirupati: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी के बीच तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में जाने की इच्छा को लेकर विवाद छिड़ गया है. विवाद का मुख्य कारण यह है कि जगन हिंदू नहीं, बल्कि एक ईसाई हैं. इसलिए राज्य में दक्षिणपंथी एनडीए सहयोगी नायडू की टीडीपी इस बात पर जोर दे रही है कि मंदिर में जाने से पहले वह अपनी आस्था की घोषणा करें. हालांकि, मंदिर के नियम गैर-हिंदुओं को दर्शन करने से नहीं रोकते हैं. इसकी बजाय वे विदेशियों और गैर-हिंदुओं को भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए अपनी श्रद्धा प्रकट करने की बात कहते हैं. जबकि, जगन ने अब तक ऐसा कभी नहीं किया है. नायडू अब इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उन्हें देवता के दर्शन करने के लिए पवित्र मंदिर की परंपराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए.
तिरुपति में भले ही केवल भक्ति की घोषणा की आवश्यकता हो. लेकिन भारत भर में कई मंदिर हैं. खासकर दक्षिण में, जहां गैर-हिंदुओं को दर्शन करने से रोका जाता है. ऐसे में तिरुपति विवाद के बीच इस लेख में उन सबसे प्रतिष्ठित भारतीय मंदिरों पर एक नज़र डाली गई है, जो गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं देते हैं.
1. सोमनाथ मंदिर, गुजरात
साल 2015 में गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में मंदिर प्रबंधन की पूर्व अनुमति के बिना गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह निर्णय ट्रस्टियों के बोर्ड द्वारा लिया गया था, जिनमें से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. अन्य धर्मों के लोगों के लिए आदेश जारी करते हुए मंदिर के अधिकारियों ने सुरक्षा चिंताओं और मंदिर की पवित्रता की रक्षा का हवाला दिया. मुख्य द्वार पर लगे एक नोटिस में कहा गया है कि "श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग हिंदुओं के लिए एक तीर्थस्थल है. गैर-हिंदुओं को पवित्र तीर्थस्थल में प्रवेश करने के लिए (मंदिर के) महाप्रबंधक कार्यालय से अनुमति लेनी होगी."
2. गुरुवायुर मंदिर, केरल
भगवान कृष्ण को समर्पित केरल के इस प्रसिद्ध मंदिर में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति है. यहां एक सख्त ड्रेस कोड का भी पालन किया जाता है, जहां पुरुषों को अपना ऊपरी वस्त्र उतारना पड़ता है और मुंडू (धोती) भी पहननी पड़ती है. महिलाओं को केवल साड़ी पहनने की अनुमति है. जबकि लड़कियां स्कर्ट और ब्लाउज पहन सकती हैं. गायक येसुदास, जो एक ईसाई धर्म के अनुयायी हैं, को एक बार मंदिर के द्वार के बाहर रोक दिया गया था और उन्होंने मंदिर की दीवारों के बाहर भजन गाए थे. गुरुवायुर केरल का एकमात्र मंदिर नहीं है, जिसने गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाला बोर्ड लगाया है. लेकिन सभी मंदिर गुरुवायुर की तरह इस नियम का सख्ती से पालन नहीं करते हैं. साल 2010 में भी श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की गुरुवायूर यात्रा को लेकर काफी विवाद हुआ था. मुख्य मुद्दा यह था कि उनकी पत्नी, जिन्होंने भी मंदिर में प्रवेश किया था, गैर-हिंदू थीं.
3.जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा
प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ मंदिर में केवल "रूढ़िवादी हिंदुओं" को ही प्रवेश की अनुमति है. कम से कम इसके मुख्य सिंह द्वार पर लगे साइनबोर्ड से तो यही पता चलता है. मंदिर ने किसी के लिए भी नियम नहीं तोड़ा. यहां तक कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए भी नहीं. पुजारियों ने उनके प्रवेश को रोकने के लिए एक पारसी, फिरोज गांधी से उनकी शादी का हवाला दिया था और उन्होंने मंदिर के दर्शन पास के रघुनंदन पुस्तकालय भवन से किए थे. यहां तक कि थाईलैंड की रानी महाचक्री सिरीधरन जैसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति को भी 2005 में प्रवेश से रोक दिया गया था. क्योंकि वह बौद्ध धर्म को मानती थीं. साल 2006 में स्विस नागरिक एलिजाबेथ जिगलर, जिन्होंने मंदिर को 1.78 करोड़ रुपये की भारी राशि दान की थी, को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी, क्योंकि वह ईसाई थीं. इतना ही नहीं 12वीं सदी के इस मंदिर में 1389 में रहस्यवादी और कवि कबीर को भी प्रवेश करने से रोका गया था. क्योंकि पुजारियों ने उन्हें मुसलमान समझ लिया था. गुरु नानक और उनके मुस्लिम शिष्य मर्दिना को भी 1505 में ऐसा ही व्यवहार झेलना पड़ा था. हालांकि, पुरी के गजपति राजा के हस्तक्षेप के बाद कबीर और नानक को पूरे सम्मान के साथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई.
4. पद्मनाभ स्वामी मंदिर, केरल
यह केरल का एक और मंदिर है, जहां गैर-हिंदुओं का प्रवेश सख्त वर्जित है. हालांकि कई विदेशी लोग इस मंदिर में आते हैं. लेकिन उन्हें बाहर से एक झलक और कुछ क्लिक से ही संतुष्ट रहना पड़ता है. 16वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं द्वारा निर्मित इस मंदिर को दुनिया का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है. मंदिर के सूत्रों का दावा है कि इसमें करीब 90,000 करोड़ रुपए का खजाना है.
5. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, यूपी
भारत में शिव के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. गैर-हिंदुओं को गंगा के किनारे स्थित मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है. हालांकि, यह नियम गुरुवायुर मंदिर की तरह सख्ती से लागू नहीं होता है. हालांकि, गैर-हिंदुओं को मंदिर के उत्तर में ज्ञान कुपर कुआं परिसर में प्रवेश करने से सख्ती से रोका जाता है.
6. कपालेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
मायलापुर में 7वीं सदी के इस शिव मंदिर के गर्भगृह में विदेशियों और गैर-हिंदुओं को जाने की अनुमति नहीं है. यहां शिव की पूजा कपालेश्वर के रूप में की जाती है और उनका प्रतिनिधित्व लिंगम द्वारा किया जाता है. उनकी पत्नी पार्वती की पूजा कर्पगंबल (तमिल में "इच्छा-पूर्ति करने वाले वृक्ष की देवी") के रूप में की जाती है.
7. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा
भुवनेश्वर में सबसे अधिक पूजनीय धार्मिक और लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक लिंगराज मंदिर है. नतीजतन, मंदिर ट्रस्ट और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दोनों ही इस संरचना का रखरखाव करते हैं. मंदिर में प्रतिदिन लगभग 6,000 आगंतुक आते हैं, जो त्योहारों के दौरान लाखों तक पहुंच जाता है. हालांकि, मंदिर गैर-हिंदुओं के लिए वर्जित है. साल 2012 में, इस प्रसिद्ध मंदिर में तब बहुत हंगामा हुआ था, जब एक रूसी पर्यटक 11वीं सदी के मंदिर में घुसते हुए पकड़ा गया था. पुजारियों द्वारा शुद्धिकरण समारोह किए जाने के कारण सभी अनुष्ठान चार घंटे तक रोक दिए गए थे. उन्होंने नियम तोड़ने के लिए पर्यटक पर जुर्माना लगाया और साथ ही, भगवान के लिए पकाए गए 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के भोजन को नष्ट कर दिया. कथित तौर पर इसे एक कुएं में फेंक दिया गया!
8. कामाक्षी अम्मन मंदिर, तमिलनाडु
कांचीपुरम का यह मंदिर गैर-हिंदुओं के लिए वर्जित एक और मंदिर है. देवी पार्वती के एक रूप कामाक्षी को समर्पित इस मंदिर के गर्भगृह में "आदिवराह पेरुमल" नामक देवता की प्रतिमा स्थापित है. कामाक्षी मंदिर का श्री कांची कामकोटि पीठम और शंकराचार्यों से घनिष्ठ संबंध है.
9. अरुलमिगु धनदायुथपानी स्वामी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु
इस साल की शुरुआत में मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पलानी मंदिर में सभी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विवाद छिड़ गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिरों के प्रवेश द्वार, मंदिर परिसर के भीतर प्रमुख स्थानों और कोडिमारम (ध्वज स्तंभ) के पास बोर्ड लगाने का निर्देश दिया, जिसमें घोषणा की गई थी कि गैर-हिंदुओं को कोडिमारम से आगे जाने की अनुमति नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि देवता के दर्शन के इच्छुक गैर-हिंदुओं को यह वचन देना होगा कि उनकी देवता में आस्था है और वे हिंदू धर्म और मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेंगे.
उदाहरण के लिए मदुरै में प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर में विदेशियों को 50 रुपये का शुल्क देकर प्रवेश की अनुमति दी जाती है. लेकिन उन्हें मंदिर के कोडिमारम तक ही सीमित रखा जाता है. कोर्ट ने फैसला सुनाते समय मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर और ऐसे अन्य मंदिरों की व्यवस्था पर ध्यान दिया.