नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों के बीच लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून
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नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों के बीच लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून

शुक्रवार को केंद्र सरकार ने शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरी की भर्ती के लिए होने वाली परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ पेपर लीक कानून लागू कर दिया है.


Public Examination Act, 2024: देश में इन दिनों पेपर लीक का मुद्दा काफी गर्म है. ये मामला नीट परीक्षा के परिणाम आने के बाद शुरू हुआ और फिर जैसे ही यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द की गयी तो मानों इस मामले ने आग में घी का काम कर दिया. तमाम विपक्षी दलों ने एक सुर में केद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. राहुल गाँधी ने इस मुद्दे को लोकसभा में जोरशोर से उठाने की बात कह दी. इस सब के बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरी की भर्ती के लिए होने वाली परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ पेपर लीक कानून लागू कर दिया है. सरकार ने 21 जून को इस सम्बन्ध में गज़ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जिसका नाम लोक परीक्षा कानून 2024(पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024) रखा गया है. इस कानून में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ 3 से 5 साल तक की सजा से लेकर 10 लाख रूपये से 1 करोड़ रूपये तक का जुर्माने का प्रावधान है. ये सजा और जुर्माना अलग अलग श्रेणी के आधार पर तय किये गए हैं, अगर ये पाया जाता है कि अपराध की संगठित की श्रेणी में किया गया है तो फिर सजा और जुरमाना अधिकतम रहेगा. इस कानून में क्या प्रावधान है और कौन कौन इसके दायरे में आता है, सब जानते है. ये भी जानते है कि ये कानून कब पारित हुआ.

लोकसभा चुनाव से पहले पारित हुआ था कानून

पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024(प्रिवेंशन ऑफ़ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 को देश की संसद में फरवरी 2024 में पारित किया गया था. इस कानून को सार्वजनिक तौर पर कराई जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी को ध्यान में रखते हुए तैयार कर संसद में पारित किया गया था. जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मजूरी मिल चुकी है. इस कानून को लाने का मकसद देश में होने वाली सभी प्रकार की सार्वजिनक परीक्षाओं( शैक्षणिक प्रतियोगी परीक्षा या फिर रोज़गार प्रतियोगी परीक्षाओं) में पारदर्शिता लाना है, ताकि देश के युवा इस बात से आश्वस्त रहें कि परीक्षा में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो सकती.





सजा और जुर्माने के हैं सख्त प्रावधान

पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024 में सजा और जुर्माने का प्रावधान है, वो भी सख्त. मकसद यही है कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक परीक्षाओं में धांधली करने की हिम्मत न जुटा पाए. अगर ये पाया जाता है कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी हुई है और एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर को इस गड़बड़ी का पहले से ही अंदाजा था तो उस पर 1 करोड़ रूपये का जुरमाना लगाया जा सकता है. इसके अलावा अगर जाँच में ये भी साबित होता है कि इस धांधली में किसी वरिष्ठ अधिकारी की संलिप्तता भजी है तो फिर उसे 10 साल तक की कैद और 1 करोड़ रूपये का जुर्माना की सजा हो सकती है.

इसके अलावा अगर ये पाया जाता है कि ये गड़बड़ी संगठित तरीके से की गयी है, मसलन गैंग बना कर, जैसे पेपर लीक करने से लेकर बेचने तक का इंतजाम, सरकारी कर्मचारी(एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर भी) और प्राइवेट लोगों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर पेपर लीक होना और फिर उसे कई लोगों को बेचना या फिर उसके आधार पर सॉल्वर गैंग के जरिये अलग अलग लोगों तक पहुँचाना तो ऐसे में दोषियों के खिलाफ 10 साल की सजा और 1 करोड़ रूपये जुर्माना की सजा का प्रावधान रखा गया है.

भारतीय न्याय संहिता के तहत रखा गया है सजा का प्रावधान

पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024 की बात करें तो इसमें सजा का प्रावधान भारतीय न्याय संहिता के तहत रखा गया है. अब सवाल ये उठता है कि अभी तो भारतीय न्याय संहिता लागु भी नहीं हुई है तो फिर कैसे सजा का प्रावधान इसके आधार पर किया गया तो उसका जवाब ये है कि पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट में ये भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक भारतीय न्याय संहिता लागू नहीं होता है तब तक परीक्षा को लेकर बने कानून में भातीय दंड संहिता(IPC) के प्रावधान लागू रहेंगे. बता दें कि भारतीय न्याय संहिता 1 जुलाई से लागू होने जा रहा है.

क्यों बनाया गया पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024?

देश में ये पहली बार नहीं हुआ है जब कोई सार्वजानिक परीक्षा लीक होने के आरोप लगे हों या फिर किसी सार्वजनिक परीक्षा में गड़बड़ी की बात सामने आई हो. ऐसा कई बार हुआ है जब किसी शैक्षणिक सार्वजानिक प्रतियोगी परीक्षा या फिर राजगार सम्बंधित सार्वजानिक प्रतियोगी परीक्षा में प्रश्न पात्र लीक होने या फिर गड़बड़ी होने के आरोप लगे हैं. ऐसे मामलों में राज्य सरकार या फिर केंद्र सरकार पर तरह तरह के आरोप भी लगते रहते हैं, लेकिन इन सबसे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है देश के युवाओं का भविष्य और विश्वास, जिसे बचाने के लिए ये पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट, 2024 बनाया गया और अब लागू किया गया.

कौन कौन सी परीक्षाएं रहेंगी इस कानून के दायरे में

इस पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट ,2024 की बात करें तो इसके दायरे में तमाम वो सार्वजानिक परीक्षाएं रहेंगी जो किसी शैक्षणिक संसथान में प्रवेश के लिए हो या फिर किसी सरकारी विभाग या सरकारी उपक्रम में रोज़गार भर्ती के लिए आयोजित की गयी हों. इनमें कई बड़ी परीक्षाएं शाामिल हैं. जैसे यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग भर्ती प्रतियोगी परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाने वालीं परीक्षाएं.

कैसे तय की गयी है अपराध की व्याख्या

इस कानून में अपराध की व्याख्या करते हुए ये कहा गया है कि परीक्षार्थी को अनुचित और अनैतिक लाभ पहुँचाने के लिए प्रश्न पत्र या उनके उत्तर लीक करना अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसके लिए अगर कोई कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी करता है या फिर सीधे पेपर लीक न करते हुए परीक्षार्थियों को अन्य तरीके से गड़बड़ी कर लाभ पहुंचता है तो वो अपराध की श्रेणी में आएगा. ऐसे व्यक्ति का परीक्षा केंद्र में प्रवेश वर्जित है, जो न तो परीक्षा में ड्यूटी कर रहा हो, या जो परीक्षार्थी न हो.

इस कानून में ये भी तय किया गया है कि गड़बड़ी चाहे एक व्यक्ति द्वारा की गयी हो या फिर संगठित रूप से एक समूह द्वारा या फिर किसी संस्था द्वारा, इस कानून के तहत अपराध है. अनुचित व अनैतिक लाभ के लिए फर्जी वेबसाइट बनाना या फिर फर्जी परीक्षा आयोजित करना भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है.

उम्मीदवारों या परीक्षार्थियों को रखा गया है सजा के प्रावधान से दूर

सरकार ने कानून पारित करने के समय ये भी साफ़ किया था कि इस कानून के तहत परीक्षा के उम्मीदवारों या परीक्षार्थियों को सजा के दायरे से बाहर रखा गया है. असल में इस कानून का उद्देश्य परीक्षा में होने वाली गड़बड़ी को रोकना है, उन लोगों पर लगाम लगाना है, जो अपने मुनाफे के लिए युवा परीक्षार्थियों को प्रलोभन देकर फंसाते हैं और बदले में उनसे मोती रकम वसूलते हैं. कानून को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक हाई लेवल टेक्निकल समिति बनाने की सिफारिश की गई है, ताकि कंप्यूटर के जरिए होने वाली परीक्षाओं को फूलप्रूफ बनाया जा सके.

पुलिस करेगी शुरूआती जाँच, होंगे सम्पति जब्त व कुर्क करने के प्रावधान

इस कानून में ये भी स्पष्ट किया गया है कि पहले इस मामले की जाँच स्थानीय पुलिस करेगी, अगर सरकार(राज्य या केंद्र) चाहेगी तो जाँच सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी से करायी जा सकती है. जाँच एजेंसी के पास आरोपियों/दोषियों की सम्पति जब्त करने या कुर्क करने के अधिकार भी होंगे, ताकि परीक्षा में होने वाले आर्थिक नुक्सान की भरपाई की जा सके.

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