
भारतीय नौसेना में 18 जून को शामिल होगा पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत 'अर्नाला'
विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में होने वाले इस समारोह की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे।
भारतीय नौसेना 18 जून को अपना पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत 'अर्नाला' नौसेना में शामिल करने जा रही है। यह कार्यक्रम विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में होगा, जिसकी अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे।
क्या है खास 'अर्नाला' में?
यह युद्धपोत पानी के अंदर निगरानी रखने, खोज और बचाव अभियान चलाने और हल्के समुद्री ऑपरेशनों के लिए तैयार किया गया है। इसका 80% से ज्यादा हिस्सा भारत में ही बना है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस जैसी बड़ी कंपनियों की तकनीकें लगी हैं। यह 77 मीटर लंबा और करीब 1490 टन वजनी है। यह भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत है जो डीज़ल इंजन और वॉटरजेट से चलता है।
कहां बना और किसने बनाया?
‘अर्नाला’ को कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने एलएंडटी के साथ मिलकर बनाया है। इसका निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत हुआ है। इस प्रोजेक्ट में 55 से ज़्यादा छोटे उद्योगों को भी जोड़ा गया।
अर्नाला नाम क्यों?
इस जहाज का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है। यह किला 1737 में मराठा योद्धा चिमाजी आप्पा ने बनवाया था। जैसे वह किला दुश्मनों से रक्षा करता था, वैसे ही यह जहाज समुद्र में भारत की रक्षा करेगा।
शिप का निशान (crest) और आदर्श वाक्य (motto)भारतीय नौसेना में 18 जून को शामिल होगा पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत 'अर्नाला'
जहाज के निशान में एक खास तरह का शंख (ऑगर शेल) है, जो मजबूती और सतर्कता का प्रतीक है। नीचे देवनागरी में 'अर्नाला' लिखा है। इसका आदर्श वाक्य है – ‘अर्णवे शौर्यम्’, जिसका मतलब है ‘समुद्र में शौर्य’। यह नाविकों को हिम्मत और मजबूती से अपने कर्तव्य निभाने की प्रेरणा देगा। यह युद्धपोत आने वाले समय में भारत की समुद्री सुरक्षा को और मज़बूत करेगा और यह दिखाएगा कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है।अर्नाला के नौसेना में शामिल होने पर नौसेना के कई वरिष्ठ अधिकारी, जहाज बनाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि और अन्य खास मेहमान मौजूद रहेंगे।