हार से मायूस केजरीवाल पार्टी संगठन को करेंगे मजबूत, आतिशी के हाथों में अब दिल्ली की कमान?
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हार से मायूस केजरीवाल पार्टी संगठन को करेंगे मजबूत, आतिशी के हाथों में अब दिल्ली की कमान?

Arvind Kejriwal strengthening AAP: दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही आप हार की समीक्षा में जुट गई है. अब पार्टी का मकसद संगठन को दोबारा से खड़ा करके मजबूत करना है.


Arvind Kejriwal next step: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने 27 साल के लंबे इंतजार के बाद वापसी की. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) के 13 साल के शासन का अंत हुआ. हालांकि, आप को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनको इस चुनाव में इस तरह की हार की सामना करना पड़ेगा. यहां कि पार्टी का चेहरा और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गए. इतना ही नहीं, उनके पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया को भी हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि अब अरविंद केजरीवाल की राजनीति का अगला पड़ाव क्या होगा? क्योंकि, जिस दिल्ली से आप और केजरीवाल के राजनीति की शुरुआत हुई, क्या वह इसको छोड़कर राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक देंगे या फिर दोबारा से दिल्ली की सियासत में कदम रखेंगे?

रिपोर्ट्स के मानें तो आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल दिल्ली की हार से काफी मायूस हैं. इतना ही नहीं, वह फिलहाल मीडिया या सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी लोगों से मुखातिब नहीं हो रहे हैं. हालांकि, उनको इस बात का इत्मीनान है कि दिल्ली के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा अभी भी उनके साथ है और वह दिल्ली विधानसभा में भी 22 विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका में हैं.

हार की समीक्षा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही आप हार की समीक्षा में जुट गई थी. इस दौरान जो बातें निकलकर सामने आईं, उनमें पार्टी के संगठन को दोबारा से खड़ा करके मजबूत करना, पंजाब और गुजरात में पार्टी का विस्तार और नई नेतृत्व के पौध को तैयार करना, अरविंद केजरीवाल की इमेज पर दोबारा से काम करना (क्योंकि, भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद छवि खराब हुई है) और दिल्ली में बीजेपी के कामकाज पर नजर रखना और गलतियों को जनता के सामने लाना शामिल हैं.

विधायकों के साथ बैठक

दिल्ली में चुनावी हार के बाद से ही आप प्रमुख विधायकों के साथ बैठकें कर रहे हैं. पिछले दिनों पंजाब के विधायकों से साथ मीटिंग हुई. इतना ही नहीं, पार्टी दिल्ली में जीतने और हारने वाले वाले हर विधायक से फीडबैक ले रही है. ताकि हार के कारणों का पता लगाया जा सके.

संगठन पर ध्यान

इसके साथ ही अब पार्टी का प्रमुख फोकस संगठन पर है. दिल्ली और पंजाब में सरकार होने के चलते पार्टी की सीनियर लीडरशिप संगठन पर ध्यान नहीं दे पाई थी. जिसके चलते पार्टी कार्यकर्ता और संगठन पीछे छूट गए थे. अब जबकि, केजरीवाल समेत मनीष सिसोदिया के पास फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं है तो उनका पहला ध्यान संगठन को दोबारा से खड़ा करके मजबूत करने पर रहेगा.

गुजरात- पंजाब पर फोकस

अरविंद केजरीवाल समेत तमाम बड़े नेता अब दिल्ली की बजाय राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहेंगे. उनका मुख्य फोकस पंजाब और गुजरात पर रहेगा. क्योंकि, पंजाब में आप की बहुमत की सरकार है. वहीं, गुजरात में पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. साल 2017 के चुनाव में आप ने पंजाब में 20 सीट जीतकर धमाकेदार शुरुआत की थी. वहीं, साल 2022 के चुनाव में 92 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. इस दौरान आप का वोट प्रतिशत 42.3 फीसदी रहा. इसी तरह साल 2022 के चुनाव में आप ने गुजरात में 5 सीट जीती थी. इस दौरान आप ने गुजरात में 13.1 फीसदी वोट शेयर पर कब्जा किया था. ऐसे में अब अरविंद केजरीवाल का मैन फोकस गुजरात और पंजाब पर रह सकता है. इसके साथ ही वह देशभर में घूमकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट सकते हैं.

आतिशी को दिल्ली की कमान

पार्टी सूत्रों की मानें तो अरविंद केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन जैसे बड़े नेता संगठन विस्तार पर काम करेंगे और देश में नई लीडरशिप तैयार करेंगे. ताकि अन्य राज्यों में भी आप के लिए मौका तलाशा जा सके. खासकर साल 2027 में आने वाला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव आप के एजेंडे में रहने वाला है. वहीं, दिल्ली की कमान अब आप नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को सौंपी जा सकती है और इसकी बानगी आतिशी द्वारा लगातार प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी पर हमला करने के रूप में देखा जा सकता है.

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