
कूटनीतिक संतुलन: पुतिन का भव्य स्वागत, अब जेलेंस्की के दौरे की तैयारियों में भारत
India diplomacy: जेलेंस्की की भारत यात्रा, रूस-यूक्रेन युद्ध के दोनों पक्षों के साथ भारत की सुलझी हुई कूटनीतिक नीति को मजबूत करेगी।
Volodymyr Zelensky India visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दो दिन पूरे होने के बाद भारत ने कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में अगले कदम उठाना शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की भारत यात्रा की संभावित रूपरेखा तय करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह यात्रा जनवरी 2026 में हो सकती है।
जेलेंस्की की भारत यात्रा, रूस-यूक्रेन युद्ध के दोनों पक्षों के साथ भारत की सुलझी हुई कूटनीतिक नीति को मजबूत करेगी। जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मास्को की यात्रा कर पुतिन से मुलाकात की थी और अगस्त में उन्होंने यूक्रेन का दौरा किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच कई सप्ताह से बातचीत चल रही है और पुतिन की यात्रा से पहले ही दिल्ली जेलेंस्की के कार्यालय के संपर्क में थी। यात्रा की समयसीमा और दायरा कई कारकों पर निर्भर करेगा। जैसे कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना का विकास, युद्ध की स्थिति, और यूक्रेन में आंतरिक राजनीतिक दबाव। जेलेंस्की की सरकार वर्तमान में व्यापक भ्रष्टाचार कांड में फंसी है, जो यात्रा की योजना को प्रभावित कर सकता है। भारतीय इतिहास में अब तक केवल तीन बार ही यूक्रेनी राष्ट्रपति भारत आए हैं: 1992, 2002 और 2012।
पुतिन की भारत यात्रा पर यूरोपीय देशों की भी कड़ी नजर रही। कई यूरोपीय दूतों ने भारत से आग्रह किया कि वह रूस को युद्ध समाप्ति की दिशा में प्रभाव डालने में मदद करे। दिल्ली ने बार-बार कहा कि संवाद और कूटनीति ही एकमात्र प्रभावी रास्ता हैं और मोदी ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत तटस्थ नहीं है, भारत शांति के पक्ष में है। भारत ने फरवरी 2022 से ही पुतिन और जेलेंस्की दोनों के साथ संपर्क बनाए रखा है। मोदी और जेलेंस्की ने कम से कम आठ बार फोन पर बातचीत की है और चार बार आमने-सामने भी मिले हैं। हाल की बातचीत 30 अगस्त को हुई थी, जब मोदी शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के लिए चीन के तियानजिन गए थे।
युद्ध का भारत पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है। ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीद पर लगाए गए 25% शुल्क के कारण भारत को सितंबर से रूसी कच्चे तेल के आयात में कटौती करनी पड़ी। मोदी ने पुतिन से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत ने हमेशा शांति की पैरवी की है। हम इस मुद्दे के शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत हमेशा योगदान देने के लिए तैयार रहा है और रहेगा। दिलचस्प बात यह रही कि दोनों नेताओं ने युद्ध या संघर्ष शब्द का उल्लेख नहीं किया और यूक्रेन की स्थिति को केवल संकट बताया। यह 2022 और 2024 की तुलना में अलग था, जब मोदी ने कहा था कि समाधान युद्धक्षेत्र में नहीं खोजे जा सकते। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय अधिकारी अब जेलेंस्की के नए प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं, ताकि यात्रा की संभावित तिथियों और कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा सके।

