
बीमा पर GST राहत से वंचित रिटायर्ड बैंक कर्मचारी, वित्त मंत्री को लिखा पत्र
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज़ एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है और इस विसंगति को दूर करने की मांग की है।
56वीं जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद की बैठक में केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीरो जीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है। यह छूट 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होगी। इस फैसले को आम जनता ने काफी सराहा है और इसे स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। हालांकि, जहां आम नागरिक इस राहत का स्वागत कर रहे हैं। वहीं, बैंक से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग खुद को इस राहत से वंचित पा रहा है। वजह है बीमा नीति की श्रेणीकरण संबंधी तकनीकी खामियां।
ग्रुप पॉलिसी बन गई रुकावट
अधिकांश बैंक रिटायरीज को "ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम" के तहत बीमा कवर मिलता है, जो भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा बैंकों और बीमा कंपनियों के बीच समझौते के तहत लागू की जाती है। हालांकि, इन रिटायरीज द्वारा प्रीमियम पूरी तरह से खुद भुगतान किया जाता है, फिर भी यह पॉलिसी "ग्रुप इंश्योरेंस" श्रेणी में आती है। जीएसटी परिषद ने जो राहत दी है, वह केवल "व्यक्तिगत बीमा पॉलिसियों" पर लागू होती है, न कि ग्रुप पॉलिसी पर। परिणामस्वरूप, रिटायर्ड बैंक कर्मचारी अब भी 18% जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं, जबकि वे अपने प्रीमियम सीधे दे रहे हैं।
रिटायरीज पर भारी वित्तीय बोझ
वर्तमान बीमा वर्ष (2024-25) में एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को देना होता है:
⦁ ₹34,661 – बीमा प्रीमियम
⦁ ₹6,239 – जीएसटी
⦁ कुल ₹40,900 – ₹4 लाख के फैमिली फ्लोटर पॉलिसी के लिए
कई वरिष्ठ पेंशनधारकों के लिए यह रकम पूरी पेंशन के बराबर या उससे अधिक है। खास बात यह है कि जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब कुल प्रीमियम ही ₹7,000 के आसपास था — आज सिर्फ जीएसटी ही उसी के बराबर हो गया है।
नीति की समीक्षा की मांग
रिटायरीज का कहना है कि उनकी पॉलिसी को "ग्रुप इंश्योरेंस" के रूप में वर्गीकृत करना महज एक प्रशासनिक सुविधा है और इससे उन्हें जीएसटी राहत से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। वे न तो किसी बैंक की ओर से सब्सिडी पा रहे हैं और न ही कंपनी की ओर से बीमा मिल रहा है। वे केवल पॉलिसी का प्रीमियम बैंक के माध्यम से भुगतान कर रहे हैं। इस तकनीकी खामी से सात लाख से अधिक बैंक रिटायरीज प्रभावित हो सकते हैं। इसे नीतिगत चूक माना जा रहा है और सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग उठ रही है।
AIBEA ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज़ एसोसिएशन (AIBEA) ने इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है और इस विसंगति को दूर करने की मांग की है। वर्तमान ग्रुप बीमा पॉलिसी केवल अक्टूबर 2025 तक मान्य है और इसका नवीनीकरण 1 नवंबर 2025 से होना है। यदि तब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ तो रिटायरीज एक और वर्ष जीएसटी राहत से वंचित रहेंगे।
यह पूरा मामला न्याय और समानता का है। यदि जीएसटी छूट का उद्देश्य आम नागरिकों पर आर्थिक बोझ कम करना है तो स्वतंत्र रूप से प्रीमियम भरने वाले रिटायर्ड व्यक्तियों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए — चाहे वह पॉलिसी "ग्रुप" नाम से ही क्यों न हो। उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी परिषद और वित्त मंत्रालय इस पर शीघ्रता से संज्ञान लेंगे और तकनीकी वजहों से किसी भी रिटायरी को राहत से वंचित नहीं किया जाएगा।