11 साल बाद EPFO में बड़े बदलाव की तैयारी, अब ₹25,000 तक वेतन वालों को भी मिलेगा फायदा
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2014 के बाद यह पहली बार होगा जब वेतन सीमा बढ़ाने पर चर्चा की जा रही है।

11 साल बाद EPFO में बड़े बदलाव की तैयारी, अब ₹25,000 तक वेतन वालों को भी मिलेगा फायदा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल इन योजनाओं के लिए अनिवार्य वेतन सीमा ₹15,000 प्रति माह है, जिसे बढ़ाकर ₹25,000 प्रति माह करने का प्रस्ताव है।


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एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) की अगली बैठक में ईपीएफ (EPF) और ईपीएस (EPS) में शामिल होने के लिए न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल इन योजनाओं के लिए अनिवार्य वेतन सीमा ₹15,000 प्रति माह है, जिसे बढ़ाकर ₹25,000 प्रति माह करने का प्रस्ताव है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो देशभर में एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता है।

ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अगली बैठक दिसंबर या जनवरी में होने की संभावना है, जिसमें इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

मौजूदा नियम

वर्तमान में वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन ₹15,000 या उससे कम है, वही ईपीएफ और ईपीएस के दायरे में आते हैं। इससे अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के पास इन योजनाओं से बाहर रहने का विकल्प होता है।

2014 के बाद यह पहली बार होगा जब वेतन सीमा बढ़ाने पर चर्चा की जा रही है।

10,000 रुपये तक बढ़ सकती है सीमा

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, श्रम मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ईपीएफ और ईपीएस योजनाओं के लिए वेतन सीमा ₹10,000 तक बढ़ाई जा सकती है।

ऐसा होने पर करीब एक करोड़ अतिरिक्त कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।

मौजूदा योगदान व्यवस्था

मौजूदा नियमों के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को कर्मचारी के वेतन का 12-12 प्रतिशत योगदान करना होता है।

कर्मचारी का पूरा 12% हिस्सा ईपीएफ खाते में जाता है। नियोक्ता के योगदान में से 3.67% ईपीएफ और 8.33% ईपीएस में जमा किया जाता है।

7.6 करोड़ सक्रिय सदस्य

वर्तमान में ईपीएफओ लगभग ₹26 लाख करोड़ रुपये का फंड मैनेज कर रही है और इसके 7.6 करोड़ सक्रिय सदस्य हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह संभावित बदलाव बदलती आर्थिक परिस्थितियों में कर्मचारियों के लिए बेहतर वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सकता है।

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