सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की खारिज
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सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की खारिज

सुर्पेमे कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि अदालतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.


Supreme Court on Freedom Of Speech : सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया, जिसमें उनके इंस्टाग्राम पोस्ट पर साझा की गई कविता "ऐ ख़ून के प्यासे बात सुनो" को लेकर विवाद हुआ था। अदालत ने इस मामले में कहा, "अदालतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।"


गुजरात पुलिस की अति-सक्रियता पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने माना कि इस मामले में कोई अपराध बनता ही नहीं और गुजरात पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को अनावश्यक बताया। अदालत ने यह भी कहा कि भाषण पर प्रतिबंध "उचित होने चाहिए, न कि मनमाने", और संविधान के अनुच्छेद 19(2) के प्रतिबंध अनुच्छेद 19(1) के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित नहीं कर सकते।


लोकतंत्र में तर्कपूर्ण संवाद की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा, "विचारों और दृष्टिकोण की स्वतंत्रता के बिना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत गरिमामय जीवन संभव नहीं है। एक स्वस्थ लोकतंत्र में, विरोधी विचारों का जवाब तर्कपूर्ण संवाद से दिया जाना चाहिए, न कि दमन से।"

इसके अलावा, अदालत ने साहित्य और कला के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "कविता, नाटक, फिल्में, स्टैंड-अप कॉमेडी, व्यंग्य और कला समाज को अधिक सार्थक बनाते हैं।"


कुणाल कामरा विवाद के बीच आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

यह फैसला ऐसे समय आया जब स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर उनके कॉमेडी सेट की कुछ क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और मुंबई के खार स्थित वेन्यू में तोड़फोड़ की गई, जहां उन्होंने परफॉर्म किया था।


प्रतापगढ़ी के खिलाफ एफआईआर और गुजरात हाई कोर्ट का रुख

इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ 3 जनवरी को जामनगर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शिकायत एक वकील के सहायक द्वारा दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी इंस्टाग्राम पोस्ट में साझा की गई कविता से सामाजिक अशांति भड़क सकती है और सौहार्द बिगड़ सकता है।

गुजरात हाई कोर्ट ने पहले एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था और प्रतापगढ़ी की यह कहते हुए आलोचना की थी कि एक सांसद के रूप में उन्हें अधिक जिम्मेदारी दिखानी चाहिए थी।


प्रतापगढ़ी का बचाव और एआई टूल का उपयोग

इमरान प्रतापगढ़ी ने अदालत में अपना बचाव करते हुए दावा किया कि उनकी पोस्ट में साझा की गई कविता फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ या हबीब जालिब की लिखी हुई है। उन्होंने इस दावे को साबित करने के लिए एआई टूल (ChatGPT) के स्क्रीनशॉट भी प्रस्तुत किए। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि एक सांसद होने के नाते उन्हें सोशल मीडिया पर अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी।

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