ECI Bihar Assembly Polls
x
बिहार में चुनाव आयोग के BLO घर-घर जा रहे हैं.

बिहार में वोटर्स की जांच को लेकर बैकफुट पर ECI, 4.96 करोड़ मतदाताओं को अब नहीं देना कोई दस्तावेज

बिहार में वोटर्स लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के नियमों को लेकर चुनाव आयोग पर विपक्ष हमलावर नजर आ रहा था. विपक्ष गरीब वंचित वोटर्स के नाम को सूची से हटाने की साजिश का आरोप लगा रहा था.


मौजूदा साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी वोटर्स लिस्ट की गहन जांच के फैसले को लेकर चुनाव आयोग की भारी आलोचना हो रही है. इस आलोचना के बाद चुनाव आयोग बैकफुट पर आ गया है. आयोग ने ये ऐलान किया है कि बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं को कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग ने भी साफ किया इन 4.96 करोड़ मतदाताओं के बच्चों को भी अपने माता-पिता से संबंधित कोई अन्य दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है.

चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर एक रिलीज जारी किया है. इसमें आयोग ने बताया कि ECI ने बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण है, अपनी वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है. आयोग ने कहा कि 24 जून 2025 को जारीनिर्देशों के पैरा 5 में उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ को निर्देशित किया गया है कि वे 01.01.2003 की तारीख के आधार पर तैयार की गई मतदाता सूची की हार्ड कॉपी सभी बीएलओ को उपलब्ध कराएं, साथ ही इसे अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध कराएं ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपने एन्यूमरेशन फॉर्म के साथ इस दस्तावेज को साक्ष्य के रूप में उपयोग कर सके.

आयोग ने कहा कि बिहार की 2003 की मतदाता सूची की इस तरह से आसानी से उपलब्धता से राज्य में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को काफी सुविधा होगी, क्योंकि अब कुल मतदाताओं में से लगभग 60 फीसदी को कोई दस्तावेज जमा नहीं करना होगा. उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची से अपने विवरण की पुष्टि करनी होगी और भरा हुआ एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करना होगा. मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से देख सकेंगे.

चुनाव आयोग ने कहा, जिन लोगों का नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वे भी अपने माता या पिता के लिए अन्य कोई दस्तावेज देने के बजाय 2003 की मतदाता सूची में शामिल उनके नाम के साक्ष्य को प्रस्तुत कर सकते हैं. ऐसे मामलों में उनके माता-पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी. केवल 2003 की मतदाता सूची से संबंधित डिटेल्स प््रयाप्त माना जाएगा. ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए दस्तावेज जमा करने होंगे, साथ में भरा हुआ एन्यूमरेशन फॉर्म देना होगा.

चुनाव आयोग के मुताबिक, हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है, जैसा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(2)(a) और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 25 में भी इसका प्रावधान किया गया है. पिछले 75 वर्षों से भारतीय चुनाव आयोग सलाना संक्षिप्त और गहन पुनरीक्षण करता रहा है. आयोग के मुताबिक, यह प्रक्रिया इसलिए आवश्यक होती है क्योंकि मतदाता सूची एक गतिशील सूची होती है, जिसमें समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं जैसे मृत्यु, रोजगार शिक्षा विवाह जैसे कारण के चलते लोगों का माइग्रेशन होता है.

साथ ही लोगों 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नए मतदाताओं का नाम जोड़ा जाता है. आयोग ने बताया कि, मतदाता बनने की पात्रता को लेकर भारतीय संविधान में बताया गया है कि केवल वे भारतीय नागरिक, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी हैं, उन्हें मतदाता के रूप में रजिस्टर किया जा सकता है.

Read More
Next Story