बीजेपी ने टाली नए अध्यक्ष की घोषणा, उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद होगा फैसला
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बीजेपी ने टाली नए अध्यक्ष की घोषणा, उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद होगा फैसला

Modi-Shah Strategy: पार्टी नेतृत्व यह भी चाहता है कि बदलाव से गुटबाजी की संभावना कम हो और जातीय, क्षेत्रीय और पीढ़ीगत संतुलन भी साधा जा सके.


BJP National President: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा को फिलहाल टालने का फैसला लिया है. पार्टी अब यह घोषणा सितंबर में होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद करेगी. यह फैसला मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों, संसद में घटती संख्या और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र लिया गया है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इस संवेदनशील समय में संगठन में स्थिरता बनाए रखना अधिक ज़रूरी है, ताकि सरकार और संगठन के बीच तालमेल बना रहे और विपक्ष के बढ़ते दबाव का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया जा सके.

सूत्रों के मुताबिक, जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनावों के बाद समाप्त माना जा रहा था. लेकिन नेतृत्व ने संगठनात्मक स्थिरता बनाए रखने के लिए बदलाव को स्थगित कर दिया है. यह निर्णय राजनीतिक रणनीति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

राज्यसभा में संख्याबल की चुनौती

भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की कमजोर स्थिति को देखते हुए यह पद और भी महत्वपूर्ण हो गया है. पार्टी का मानना है कि इस समय नेतृत्व परिवर्तन करने से संसद में फ्लोर कोऑर्डिनेशन और विपक्ष से संवाद में बाधा आ सकती है.

बिहार चुनाव से पहले घोषणा

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नया पार्टी अध्यक्ष घोषित किया जाएगा. बिहार चुनाव को 2027 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है.

नए अध्यक्ष के लिए मानदंड तय

जमीनी स्तर से संगठन में सक्रिय रहा हो, 60 वर्ष से अधिक आयु का हो, संगठन और सरकार के बीच समन्वय में सक्षम हो, प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की कार्यशैली से मेल खाता हो और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अपेक्षाओं पर खरा उतरता हो.

27 राज्यों में हो चुकी हैं नियुक्तियां

अब तक पार्टी ने 37 में से 27 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियां कर दी हैं. इनमें महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों में अभी नियुक्तियां लंबित हैं. पार्टी का मानना है कि इन नियुक्तियों के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा करना समन्वय के लिहाज़ से बेहतर होगा.

संतुलन साधने की कोशिश

पार्टी नेतृत्व यह भी चाहता है कि बदलाव से गुटबाजी की संभावना कम हो और जातीय, क्षेत्रीय और पीढ़ीगत संतुलन भी साधा जा सके. सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष के पदभार संभालने के बाद कैबिनेट में भी बदलाव की संभावना जताई जा रही है. जेपी नड्डा को 2020 में भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था और 2024 के आम चुनावों तक उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया गया था. अब पार्टी संसदीय व्यावहारिकता को प्राथमिकता देते हुए तत्काल संगठनात्मक फेरबदल से परहेज़ कर रही है.

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