
तीन भाषा विवाद के बीच DMK पर बरसे निशिकांत दुबे, समझाई 'संस्कृत' की अहमियत
निशिकांत दुबे का यह बयान तमिलनाडु के भाषाई विवाद को और गहरा करता है और NEP की तीन-भाषा नीति पर चल रही बहस को नया मोड़ देता है.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार (10 मार्च) को लोकसभा में दिए भाषण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और तमिलनाडु में DMK द्वारा विरोध की जा रही तीन-भाषा नीति पर अपने विचार जाहिर किए. इसके साथ ही उन्होंने संस्कृत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह भाषा तमिलनाडु सहित पूरे भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण है.
संस्कृत का महत्व
दुबे ने अपने भाषण में कहा कि DMK के नेता तमिल भाषा का प्रचार-प्रसार करते हुए संस्कृत के महत्व को नजरअंदाज कर रहे हैं. संस्कृत एक प्राचीन और प्रतिष्ठित भाषा है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि तमिलनाडु के कई प्रमुख मंदिरों, जैसे मदुरै और चिदंबरम के मंदिरों में संस्कृत का उपयोग पूजा और अनुष्ठानों में किया जाता है, जो दर्शाता है कि यह भाषा धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत को एक बोझ के रूप में नहीं, बल्कि भारत की विविधता में एकता का प्रतीक माना जाना चाहिए.
NEP और तीन-भाषा नीति पर विवाद
दुबे का बयान उस समय आया, जब केंद्र सरकार और तमिलनाडु की DMK सरकार के बीच NEP 2020 की तीन-भाषा नीति को लेकर विवाद गहरा रहा है. इस नीति के तहत मातृभाषा, अंग्रेजी और हिंदी में शिक्षा देने की बात की गई है, जिसे तमिलनाडु ने पूरी तरह से नकार दिया है. राज्य सरकार ने अपनी दो-भाषा नीति, यानी तमिल और अंग्रेजी को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि यह नीति उनकी भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने में मदद करेगी. इसके अलावा, राज्य सरकार का यह भी आरोप है कि हिंदी को थोपने की कोशिश भारत की विविधता के खिलाफ है.
राजनीतिक दृष्टिकोण से विरोध
दुबे ने DMK के विरोध को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा और यह तर्क दिया कि पार्टी आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनावों को लेकर यह मुद्दा उठा रही है. उन्होंने कहा कि DMK का यह विरोध छात्र-हितों से ज्यादा चुनावी राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने यह भी कहा कि NEP को लागू करने से तमिलनाडु के युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक अवसर मिलेंगे, जो बीजेपी का प्रमुख दृष्टिकोण है.
DMK का तीव्र विरोध
दुबे के बयान पर DMK के सांसदों ने जोरदार विरोध किया. इस विरोध का आधार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस बयान से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने 11 फरवरी को संस्कृत को भारत की "प्रमुख भाषा" कहा था. इस पर DMK सांसद दयानिधि मारन ने आपत्ति जताई थी, जिससे यह विवाद और बढ़ गया. तमिलनाडु के नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह एक "उत्तर-केन्द्रित" एजेंडा लागू कर रही है, जो तमिलनाडु की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के लिए खतरे की घंटी है.
DMK की प्रतिक्रिया
DMK ने इन आरोपों को सख्त शब्दों में खारिज किया. पार्टी की सांसद कनिमोझी ने प्रधान के बयान को "तमिलनाडु की प्रतिष्ठा पर हमला" बताते हुए कहा कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति घमंडपूर्ण उदासीनता को दिखाता है. इसी दौरान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यह सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विवादास्पद रुख का समर्थन करते हैं. वहीं, स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यमोजी ने कहा कि तमिलनाडु का PM SHRI योजना का विरोध "यू-टर्न" नहीं है, बल्कि यह इस योजना के समग्र मूल्यांकन की मांग है.