
किसके हाथ होगी बीजेपी की कमान, इन चेहरों की चर्चा है तेज
बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा। इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। उत्तर-दक्षिण भारत से नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि बीजेपी चौंकाने वाले फैसले लेती है।
BJP President News: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस महीने अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कर सकती है। इस अहम पद के लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान, एमएल खट्टर और भूपेंद्र यादव के नाम पर विचार किया जा रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया कुछ महीनों की देरी से हो रही है, लेकिन अब सत्तारूढ़ पार्टी आने वाले दिनों में आंतरिक चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार है।
ओबीसी नेता को मिल सकता है मौका
बीजेपी नेतृत्व नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अंतिम निर्णय लेने की तैयारी कर रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस बार किसी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का नेतृत्व करने का अवसर मिल सकता है। दिलचस्प बात यह है कि ओबीसी समुदाय पर बीजेपी का यह विशेष ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद आया है, जब पार्टी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला और सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए एनडीए सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ा।
क्या ओबीसी चेहरा बदल सकता है बीजेपी की किस्मत?
लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में झटके का सामना करने के बाद, बीजेपी के अंदर यह भावना बढ़ रही है कि पार्टी अध्यक्ष पद पर एक ओबीसी नेता की नियुक्ति राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी की स्थिति को मजबूत कर सकती है।
वरिष्ठ नेताओं की रेस में कौन?
इस अहम पद के लिए जिन वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं, उनमें केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, एमएल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान प्रमुख हैं। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने द फेडरल से कहा, "पिछले दो दशकों में कोई भी ओबीसी नेता राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का नेतृत्व नहीं कर पाया है। अब इस बात पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि किसी ओबीसी नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए। इस दौड़ में धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और एमएल खट्टर प्रमुख नाम हो सकते हैं।"
इसके अलावा, केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस दौड़ में शामिल हैं। वह लगभग दो दशकों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और बीजेपी के सबसे सफल मुख्यमंत्रियों में से एक माने जाते हैं।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने द फेडरल से कहा, "शिवराज सिंह चौहान सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक हैं, लेकिन वर्तमान में वह किसानों के साथ बातचीत कर रहे हैं, इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया से बीच में नहीं हटाया जा सकता। वहीं, धर्मेंद्र प्रधान भी एक मजबूत दावेदार हैं, क्योंकि वह आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों के करीबी माने जाते हैं।"
चुनावी प्रक्रिया में देरी
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने द फेडरल से कहा, "नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता जब तक कि 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे न हो जाएं। पहले राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी, फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।"
फिलहाल, बीजेपी नेतृत्व 50 प्रतिशत राज्यों में चुनाव पूरा करने की कोशिश कर रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उम्मीद है कि नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) की बैठक के बाद होगी, जो 15 से 17 मार्च के बीच बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी। यह बैठक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक होती है, जिसमें इस बार संगठन की 100वीं वर्षगांठ के जश्न पर चर्चा की जाएगी।
अब तक जिन राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हैं, उनमें बिहार, असम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा और पूर्वोत्तर के कुछ छोटे राज्य शामिल हैं।
देरी की वजह क्या रही?
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव जनवरी 2025 तक पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों की वजह से यह प्रक्रिया विलंबित हो गई। इन चुनावों में आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व पूरी तरह व्यस्त रहा, जिससे नए अध्यक्ष के चुनाव को टालना पड़ा।
नए अध्यक्ष के लिए चुनौती भरा रास्ता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि नए अध्यक्ष को आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करना होगा। बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जहां बीजेपी को बड़ी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अमित ढोलकिया ने द फेडरल से कहा, "नए बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब पार्टी लोकसभा में बहुमत से दूर है। उन्हें न केवल गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल बनाना होगा, बल्कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए भी बीजेपी को तैयार करना होगा। बिहार में भी बीजेपी को सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि वहां उन्हें दिल्ली में सत्ता बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार के समर्थन की जरूरत है।"
नए बीजेपी अध्यक्ष के सामने क्या होंगे मुख्य कार्य?
गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल – बीजेपी को अब एनडीए सहयोगियों की जरूरत है, इसलिए नए अध्यक्ष को गठबंधन को मजबूत रखना होगा।बिहार, बंगाल, केरल और तमिलनाडु में विधानसभा चुनावों की तैयारी – इन राज्यों में बीजेपी की स्थिति मजबूत करने की चुनौती होगी।आर्थिक मुद्दों और किसान आंदोलन को संभालना – खासतौर पर शिवराज सिंह चौहान को किसानों के साथ बातचीत का जिम्मा दिया गया है, जिससे उनका नाम भी चर्चा में है।राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी समर्थन को मजबूत करना – लोकसभा चुनावों में हुए नुकसान के बाद बीजेपी ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है।
क्या ओबीसी नेता के नेतृत्व में बीजेपी को फायदा होगा?
बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन किया था, जहां ओबीसी वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता है। ऐसे में, पार्टी नेतृत्व इस संभावना को देख रहा है कि अगर कोई ओबीसी नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है, तो इससे पार्टी की सियासी स्थिति मजबूत हो सकती है।अब देखना यह होगा कि बीजेपी इस महत्वपूर्ण पद के लिए किस नेता को चुनती है और वह आगामी राजनीतिक चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।