
ब्लैक बॉक्स से उठेगा परत-दर-परत दुर्घटना का पर्दा, क्या हुआ था उस दिन
अहमदाबाद में एयर इंडिया ड्रीमलाइनर क्रैश के बाद ब्लैक बॉक्स की तलाश जारी है। इससे हादसे की असली वजह तकनीकी या मानवीय साफ हो सकती है।
What is Black Box: परिवहन के तमाम साधनों में सबसे सुरक्षित विकल्प वायु परिवहन यानी एयर ट्रवेल माना जाता है। लेकिन हादसे जब होते हैं तो वो मंजर देख या हताहतों की संख्या रौंगटे खड़े हो जाते हैं। गुरुवार एयर इंडिया की फ्लाइट में जो 242 यात्री सवार थे उनमें एक को छोड़ सबकी बदकिस्मती यह है है कि अब वो इस दुनिया में नहीं है। एयर इंडिया की फ्लाइट में बोइंग 787 इंजन इस्तेमाल में लाया गया था जिसे दुनिया का सबसे सुरक्षित इंजन माना जाता है। लेकिन जिस तरह से विमान के दोनों इंजनों ने काम करना बंद किया उसके बाद तरह तरह के सवाल हैं।
भयावह एयर इंडिया विमान दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स की तलाश अब तक जारी है। लंदन जाने वाले इस ड्रीमलाइनर विमान में 241 लोग सवार थे, जिनकी मौत की पुष्टि हो चुकी है। हादसे के बाद से ही जांच एजेंसियां लगातार ब्लैक बॉक्स को ढूंढने में जुटी हैं। यही उपकरण या डिवाइस इस त्रासदी के पीछे की असली वजहों का खुलासा कर सकती है।
ब्लैक बॉक्स. जांच का सबसे अहम सुराग
जांच में ब्लैक बॉक्स की भूमिका बेहद अहम होती है, खासकर जब विमान क्रैश की परिस्थितियां स्पष्ट न हों। इससे यह जानकारी मिलती है कि क्या हादसा किसी तकनीकी खराबी, इंजन फेल होने, पक्षी के टकराने, आग लगने या मानवीय गलती के कारण हुआ। ब्लैक बॉक्स क्रू की मेडे कॉल, अलर्ट संकेतों और उड़ान के दौरान उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड करता है, जिससे जांचकर्ता पूरी उड़ान का विश्लेषण कर पाते हैं।
ब्लैक बॉक्स होता कैसा है?
ब्लैक बॉक्स वास्तव में नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे के बीच आसानी से पहचाना जा सके। इसका नाम भले ही ब्लैक हो, लेकिन इसका बाहरी रंग चटक ऑरेंज होता है। इसे खास तरह की मजबूत केसिंग में रखा जाता है, जो विस्फोट, तेज गर्मी, गहराई में पानी के दबाव और जबरदस्त टक्कर को भी झेल सकती है।
प्रत्येक विमान में दो रिकॉर्डिंग डिवाइस होते हैं, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR)। इन्हें मिलाकर ही ब्लैक बॉक्स कहा जाता है।
क्या करता है फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर ?
FDR इंजन की कार्यक्षमता, विमान की ऊंचाई, गति, थ्रस्ट, और उड़ान पथ जैसी तकनीकी जानकारियाँ रिकॉर्ड करता है। इससे यह पता चलता है कि विमान के नियंत्रण उपकरण और सिस्टम अलर्ट्स कैसे काम कर रहे थे।
कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर की भूमिका
CVR, पायलट और को-पायलट के बीच हुई बातचीत, रेडियो संचार, अलार्म की आवाजें और कॉकपिट में मौजूद यांत्रिक ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। इससे यह पता चल सकता है कि क्रू ने इमरजेंसी चेकलिस्ट का पालन किया या नहीं, और उन्होंने तकनीकी समस्या का कैसे जवाब दिया।
क्यों कहा जाता है ब्लैक बॉक्स?
इसका रंग ऑरेंज होता है, लेकिन इसे ‘ब्लैक बॉक्स’ कहा जाता है। इसका कारण 1950 के दशक की तकनीक है। जब यह डिवाइस पहली बार 1954 में इस्तेमाल हुई, तब इसकी अंदर की दीवारें काली होती थीं, ताकि यह फोटो-फिल्म आधारित डेटा को अंधेरे में सुरक्षित रख सके जैसे पुराने कैमरों की नेगेटिव रील को डार्करूम में संभाल कर रखा जाता था। तब से यह नाम ही चलन में आ गया।
ब्लैक बॉक्स की बरामदगी के बाद ही अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे के असली कारणों से पर्दा उठ सकेगा। 241 जानों के इस नुकसान के पीछे की वजह जानना, भविष्य की उड़ानों की सुरक्षा के लिए भी बेहद ज़रूरी है। यहां बता दें कि डीवीआर की बरामदगी हो चुकी है।